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November 8, 2024

चिकित्सा क्षेत्र में भी ग्राफिक एरा अस्पताल का कीर्तिमान, बिना ऑपरेशन आहार नली खोली, अबोध को तीसरा पेसमेकर लगाया

ग्राफिक एरा अस्पताल में जटिल मामले में एक नन्हें बच्चे का पेसमेकर बदल कर चिकित्सा क्षेत्र में नया इतिहास रच दिया है। इसके साथ ही आहार नली की रूकावट का बिना चीर फाड़ इलाज करने की नई तकनीक ‘पोयम’ के जरिये 15 लोगों को ठीक करने में कामयाबी हासिल की है। ग्राफिक एरा अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने आज पत्रकारों से औपचारिक बातचीत में उत्तराखंड में पहली बार ये बड़ी कामयाबियां मिलने की जानकारी दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ग्राफिक एरा के हृदय रोग विशेषज्ञ डा. राज प्रताप सिंह ने बताया कि देहरादून के चार साल के बच्चे के हृदय में लगा पेसमेकर बदलने के एंडो कार्डियल के लिए राज्य में पहली बार हाईब्रिड टेक्निक इस्तेमाल की गई। पेट में टनल बनाकर ये तीसरी जगह पेसमेकर लगाया गया है। अब काफी सालों तक शरीर का विकास होने पर भी किसी बदलाव की जरूरत नहीं होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

डा. राज ने बताया कि पहले दिल में छेद का आपरेशन होने के बाद करीब एक साल की उम्र में इस बच्चे को पेसमेकर लगा था। उसके बाद संक्रमण होने पर पेसमेकर बदला गया था। अब बच्चा चार साल का होने पर शरीर में वृद्धि के कारण पेसमेकर के तार छोटे पड़ने लगे और उन्हें टूटने से पहले बदलना उसकी जीवन रक्षा के लिए आवश्यक हो गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसी स्थिति में ग्राफिक एरा अस्पताल में हाईब्रिड तकनीक से उसके कंधे के नीचे से पेट के नीचे तक एक टनल बनाकर पेसमेकर लगाया गया। इसमें यह ध्यान रखा गया कि उम्र के साथ शरीर के विकास से पेसमेकर प्रभावित न हो। अगले 10 से 12 वर्षों तक यह पेसमेकर उसके सामान्य जीवन और विकास में उसका साथी रहेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

यह आपरेशन करने वाली हृदय रोग विभाग की टीम में विशेषज्ञ डा. अखिलेश पाण्डेय, डा. राज प्रताप सिंह और डा. एस. पी. गौतम शामिल थे। कल इस बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। यह उत्तराखण्ड में ऐसा पहला और सफल आपरेशन है। ग्राफिक एरा अस्पताल के गेस्ट्रोएंटरोलॉजी के विशेषज्ञ डा. सचिन मुंजाल ने पोयम तकनीक से आहार नली में रूकावट से पीड़ित 15 रोगियों का बिना किसी आपरेशन इलाज करने में सफलता हासिल की है। यह तकनीक भी उत्तराखंड के लिए नई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

ग्राफिक एरा अस्पताल के डायरेक्टर आपरेशन व प्रख्यात पल्मोलाॅजी विशेषज्ञ डा. पुनीत त्यागी ने बताया कि दुनिया की एकदम नई तकनीकों से सुसज्जित आपरेशन थियेटर, एडवांस कैथ लैब, एडवांस कोरेनरी केयर यूनिट, बहुत कम रेडिएशन वाली 128 स्लाइस की सीटी स्कैन मशीन, जिससे कॉर्डियल एन्जियोग्राफी भी की जा सकती है और अत्याधुनिक तकनीक थ्री टेस्ला की एमआरआई मशीन के साथ जटिल मामलों में भी अस्पताल में बेहतरीन चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डा. त्यागी ने बताया कि ग्राफिक एरा अस्पताल में कार्डियोलाजी, नैफरोलाजी, गैस्टो एण्डोलाजी, प्लास्टिक सर्जरी, न्यूनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट जैसी सुविधाएं नई तकनीकों से जोड़ी गई हैं। आयुष्मान कार्ड धारकों को भी इनका लाभ मिल रहा है। इस अवसर पर ग्राफिक एरा एजुकेशनल सोसायटी के पदाधिकारी डा. सतीश घनशाला, बिग्रेडियर अश्वनी कपूर और निदेशक इन्फ्रा. डा. सुभाष गुप्ता व कई विशेषज्ञ मौजूद थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

ग्राफिक एरा की नई खोज दुनिया को समर्पित, घर बैठे कर सकते हैं टाइफाइड की जांच
गौरतलब है कि ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय ने विकसित टाइफाइड डायग्नोज करने की दुनिया में अपनी तरह की पहली किट कल गुरुवार 27 अप्रैल को देश को समर्पित की थी। ग्राफिक एरा के पेटेंट वाली इस किट से कोई भी व्यक्ति घर में बैठे टाइफाइड होने की तुरंत जांच कर सकता है। अभी तक दुनिया में टाइफाइड की सटीक जांच के लिए ऐसी कुछ तकनीक उपलब्ध नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस किट को वैनस्कैन का नाम दिया गया। वैनस्कैन पेटेंट तकनीक पर आधारित दुनिया की पहली आर-टी पी सी आर टाइफाइड टेस्ट किट है, जो टाइफाइड पैदा करने वाले दोनो जीवाणों, सालमोनेला टयफी और सालमोनेला पैरा टायफी को स्क्रीन करने में सक्षम है। विश्व की मजूदा टाइफाइड जांच तकनीकें सिर्फ सालमोनेला टायफी को ही लक्षित कर पाती हैं। दुनियाभर में टाइफाइड की जांच विडाल टेस्ट से की जाती हैं और इस के परिणाम पूरी तरह विश्वसनीय नहीं होते। आम तौर पर विडाल टेस्ट में करीब 14 प्रतिशत गलत रिपोर्ट आती है। इसी वजह से डॉक्टर विडाल टेस्ट पॉजिटिव आने पर पुष्टि के लिए कल्चर कराने की सलाह देते हैं। कल्चर की रिपोर्ट आने में एक हफ्ते से ज्यादा समय लग जाता है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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