विश्व पुस्तक दिवस पर शिक्षिका डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता-किताबें
किताबें
(1)
सबसे अच्छी यार किताबें।
पढ़ली जिसने चार किताबें॥
कर देती होशियार किताबें।
कागज पर लिखी दास्ताँ
किताबें॥
सारे ग्रंथन का आधार किताबें।
देखो हैं ये विद्या का अभिसार किताबें॥
(2)
सबसे अच्छी यार किताबें।
पढ़ली जिसने चार किताबें॥
कागज पर लिखे शिलालेख सी।
पुरव्ता सबूत, आधार किताबें॥
कथनी करनी एक है इनकी ।
बोलती कभी न झूठ किताबें॥
(3)
सबसे अच्छी यार किताबें।
पढ़ली जिसने चार किताबें॥
इतिहासों का सार किताबें।
नक्शों में संसार किताबें॥
संस्कृति का आधार किताबें।
ज्ञान का भी हैं भंडार किताबें॥ (जारी, अगले पैरे में देखिए)
(4 )
सबसे अच्छी यार किताबें।
पढ़ली जिसने चार किताबें॥
साथी हाथ छुड़ा ले चाहे।
पर कभी ना छोड़े साथ किताबें॥
नींद ना आए , लेकर देखो हाथ किताबें।
थपकी दे मीठी नींद सुलाए,
माँ की लोरी जैसा दे प्यार किताबें॥
(5 )
सबसे अच्छी यार किताबें।
पढ़ली जिसने चार किताबें॥
जीवन का है सार किताबें।
रखती सबका ही ध्यान किताबें॥
बच्चे -बूढ़े ,ज्ञानी-विज्ञानी ऋषि – मुनि॥
शिक्षक, डाक्टर या वकील हों।
सबको सही राह बताती किताबें॥
(6 )
सबसे अच्छी यार किताबें।
पढ़ली जिसने चार किताबें॥
पर आज मोबाइल और गूगल देखो।
जाने क्यों दुश्मन सा खा रहा किताबें॥
संरक्षण कर ज्ञान ध्यान का।
रखती सबका ध्यान किताबें॥
सबसे अच्छी यार किताबें।
पढ़ली जिसने चार किताबें॥
कवयित्री का परिचय
प्रोफेसर, डॉ. पुष्पा खण्डूरी
डी.ए.वी ( पीजी ) कालेज
देहरादून, उत्तराखंड।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।