Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

February 8, 2025

क्या आप जानते हैं कि जापान ने छापी थी भारतीय करेंसी, इसलिए हुआ था मजबूर, जानिए क्या है मामला

क्या आप जानते हैं कि एक समय जापान ने भारतीय नोटों की छपाई की थी। हर देश की अपनी करेंसी होती है, लेकिन क्या कभी ऐसा हुआ है कि किसी देश ने किसी अन्य देश की मुद्रा छापी हो। आप कहेंगे ऐसा संभव नहीं है, लेकिन यह हुआ है। एक समय पर जापान ने भारतीय करेंसी नोट छापे थे। तब परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी थीं कि जापान को यह कदम उठाना पड़ा। यह भारत में नकली नोट भेजने की चाल नहीं थी, बल्कि हालात ऐसे बने कि जापान को यह कदम उठाना पड़ा। मजेदार बात यह है कि ये नोट भारत में नहीं, बल्कि आज के म्यांमार और फिर बर्मा के लिए छपे थे। जानिए ऐसा आखिर जापान को क्यों करना पड़ा, क्योंकि कहानी दिलचस्प है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दूसरे विश्वयुद्ध से है संबंध
जापान की ओर से भारतीय करेंसी छापने का संबंध दूसरे विश्वयुद्ध से है। तब भारत की तरह बर्मा भी ब्रिटेन का उपनिवेश था। युद्ध के समय जापान और ब्रिटेन दो अलग-अलग गुटों में थे। 1939 में जापान में विश्व युद्ध शुरू हुआ और 1942 में जापान ने बर्मा में ब्रिटिश सेना को पीछे खदेड़ दिया और वहां कब्जा कर लिया। 1944 तक बर्मा उसके नियंत्रण में रहा। इस दौरान व्यापारिक गतिविधियों या वस्तुओं के क्रय-विक्रय के लिए मुद्रा की आवश्यकता पड़ती थी। बर्मा में कई वर्षों तक ब्रिटिश शासन के कारण वहाँ भारतीय रुपये में ही व्यापार होता था। जापान ने जब वहां कब्जा किया और अस्थाई सरकार बनाईस तो वह उसी भारतीय रुपए का इस्तेमाल करता रहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जापान ने छापे थे भारतीय नोट 
बर्मा में मुद्रा के प्रवाह को बनाए रखने के लिए जापान ने 1942 में बर्मा को 1, 5 और 10 सेंट (पैसा), 1, 5 और 10 रुपये के नोट दिए। 1944 में, 100 रुपये के नोट भी छापे गए। हालांकि, जापान ने 1945 में आत्मसमर्पण कर दिया। इन करेंसी नोटों पर B लिखा हुआ था। इसके B का मतलब बर्मा था। इस जमाने में जापान के हर करेंसी नोट पर एक कोड लिखा होता था। बर्मी रुपये का कोड बी था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसा था नोट
प्रत्येक नोट के नीचे ‘गवर्नमेंट ऑफ ग्रेट इंपीरियल जापान’ लिखा हुआ था। इसके अलावा जापान के वित्त मंत्रालय द्वारा एक प्रतीक चिन्ह भी छापा गया था। इन नोटों पर बौद्ध धर्म की झलक दिखाई दे रही थी। इन पर मंदिरों या बौद्ध मठों के चित्र भी छपे होते थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जापान के समर्पण के बाद मुद्रा हुई रद्दी
1945 में अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम से हमला किया और जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया। इस प्रकार द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया। युद्ध की समाप्ति और जापान के आत्मसमर्पण के बाद बर्मा में उसके द्वारा जारी इस मुद्रा का कोई मूल्य नहीं रह गया और यह समाप्त हो गया। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि आज यह मुद्रा बहुत मूल्यवान है।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page