फूलदेई पर्व का किया भव्य समापन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन, कवि सम्मेलन रहा आकर्षण
उत्तराखंड के अधिकांश हिस्सों में बाल पर्व फूलदेई को एक सप्ताह तक मनाने के बाद आठवें दिन इसका समापन अट्वाड़ा मनाने के साथ किया जाता है। रुद्रप्रयाग जनपद की मध्य दशज्यूला पट्टी में जहां यह पर्व केवल चैत्र संक्रांति के दिन ही मनाया जाता है, वहीं जिले के बाकी क्षेत्रों में यह पर्व आठ दिन तक चलता है। अपनी संस्कृति और परम्पराओं के संवर्द्धन और संरक्षण करने के लिए प्रसिद्ध केदारनाथ विधानसभा के गांव पैलिंग में भी यह पर्व सामूहिक हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आयोजित की गई घोघा यात्रा
समापन दिवस पर सभी ग्रामवासियों ने मिलकर घोघा यात्रा का आयोजन किया। इस दौरान हर घर की देहरी पर बच्चों की टोली ने फूल डालते हुए मंगल कामनाएँ की। तदुपरान्त झाँकी निकाली गई। कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ शारदे की वन्दना व स्वागत गान से किया गया। तदुपरान्त घोघा प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसके तहत गीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम और देव डोली नचाने की की प्रतियोगिता होती है। प्रथम बार आयोजित इस कार्यक्रम में सात टीमों ने प्रतिभाग किया। विशेष आकर्षण का केन्द्र रही ल्वाणी (लमगोण्डी) की राजराजेश्वरी घोघा टीम जो काफी दूर से इस कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंची थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रतिभाग करने वाली अन्य टीमें आरुष घोघा टीम ध्रुव नगर, उथिण्ड प्रथम, उथिण्ड द्वितीय, भूतनाथ घोघा टीम पैलिंग, दुर्गा घोघा टीम कोल्याणी व चण्डिका घोघा टीम स्वाड़ू थी। सातों टीमों में चण्डिका घोघा स्वाड़ू प्रथम स्थान पर, भूतनाथ घोघा टीम दूसरे व राजराजेश्वरी घोघा टीम तीसरे स्थान पर रही। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विजेताओं को दी गई नगद राशि
प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली टीम को स्मृति चिह्न व 2100 की नगद धनराशि, द्वितीय टीम को स्मृति चिह्न व 1500 की नगद धनराशि व तृतीय टीम को 1100 की नगद धनराशि व स्मृति चिह्न प्रदान की गई। निर्णायक की भूमिका अश्वनी गौड़, कैलाश पुष्पवान और कुसुम भट्ट ने निभाई। शेष टीमों को सान्त्वना पुरस्कार व स्मृति चिह्न प्रदान किये गये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ ही कवि सम्मेलन आयोजित
तत्पश्चात घोघा पूजन कर आने वाले साल में मिलन के वादे के साथ घोघा विसर्जन किया गया। इसके बाद सामूहिक रूप से नववर्ष व नवरात्रि मनाने के कार्यक्रमों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का विशेष आकर्षण कलश संस्था का गढ़वाळी कवि सम्मेलन रहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ करते हुए जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमंत तिवाड़ी के प्रतिनिधि के रूप में पूर्व प्रधानाचार्य द्वारिका प्रसाद ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम समाज में समरसता के साथ साथ एकता को पल्लवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में खण्ड शिक्षा अधिकारी जखोली यशवीर सिंह रावत ने कहा कि ये कार्यक्रम न केवल सांस्कृतिक रूप से ही सराहनीय हैं बल्कि शैक्षिक रूप से भी बहुत सराहनीय हैं। ग्राम प्रधान श्रीमती सावित्री देवी ने सभी आगन्तुकों का स्वागत और अभिनंदन करते हुए आशा जताई कि आने वाले समय में भी हम इसी तरह के आयोजनों से अपनी नई पीढ़ी के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन रचनाकारों ने दी प्रस्तुति
कलश के कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए कलश के संस्थापक ओम प्रकाश सेमवाल ने पैलिंग गांव की सांस्कृतिक विरासत में दिये जा रहे योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह अनुकरणीय और प्रशंसनीय है कि सामाजिक सहभागिता के साथ ऐसे कार्यक्रम आयोजित होते हैं। कवि सम्मेलन में गढ़कवि के नाम से विख्यात जगदम्बा चमोला ने अपनी भावपूर्ण कविताओं से श्रोताओं को बसाने के साथ-साथ सोचने और विचार करने के लिए मजबूर कर दिया। चमोला ने यौक स्यौर धूड़ा पर, ब्यौ मा गयों, मेरी मेम साब जैसी कविताओं से खूब गुदगुदाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ओम प्रकाश सेमवाल ने चला फुल्यारों गीत के माध्यम से फूलदेई वाले बच्चों को अपनी शुभकामनाएं दी। कवि सम्मेलन में कुसुम भट्ट ने मोबाइल कविता के माध्यम से श्रोताओं को गुदगुदाया। वेदिका सेमवाल-दहेज प्रथा, प्रकाश बड़वाल- मेरी पहली पोस्टिंग, अनूप नेगी- व्यूह रचणा छै ह्वेयीं, उपासना सेमवाल- बेटी बचाओ, अश्विनी गौड़- ने भी अपनी कविताओं से श्रोताओं और दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। प्रधान सावित्री देवी ने विद्यालय से सम्बन्धित समस्याओं के निराकरण के लिए खण्ड शिक्षा अधिकारी और जिला पंचायत उपाध्यक्ष को ज्ञापन देते हुए कहा कि खेल मैदान की बहुत जरूरत है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये रहे उपस्थित
कार्यक्रम में भूतनाथ सांस्कृतिक कला मंच के अध्यक्ष गौर सिंह नेगी, सचिव राहुल नेगी, कोषाध्यक्ष यशवीर सिंह राणा, महिला मंगल दल अध्यक्षा प्रियंका नेगी, कीर्तन मण्डली अध्यक्षा सरस्वती नेगी, वन पंचायत सरपंच महावीर सिंह नेगी, संरक्षक माधव सिंह नेगी, प्रबन्धक डा धीरेन्द्र सिंह राणा, सचिव राहुल सिंह नेगी, कोषाध्यक्ष यशवीर सिंह राणा, डा गीता नौटियाल व उनके पति बलराम नौटियाल , कैलाश पुष्पवान, प्रताप सिंह रावत प्रधानाध्यापक रा. उ. प्रा. वि. उथिण्ड, ओमप्रकाश सेमवाल प्रधानाध्यापक राप्रावि पैलिंग, मीना देवी (आँगनबाड़ी शिक्षिका), पूजा देवी (आंगनबाड़ी
शिक्षिका) विनोद प्रसाद सेमवाल उथिण्ड, पूर्व प्रधान ग्राम उथिण्ड, शान्ता देवी, ग्राम प्रधान भींगी, राजेन्द्र सिंह, बचन सिंह, अकेन्द्र सिंह, उप प्रधान पुष्कर सिंह, प्रताप सिंह पूर्व सरपंच, दरवान सिंह, शिव सिंह , नारायण सिंह, नारायण सिंह सुरज्वाण, गजपाल सिंह सुरज्वाण, रघुवीर सिंह सुरज्वाण, रघुवीर राणा, भ्यूँराज सिंह, महिपाल सिंह, प्रदीप सिंह, यशपाल सिंह दुमागा, रमेश सिंह नेगी, बीर सिंह नेगी, सुजान सिंह नेगी, तपाल सिंह नेगी, विजयपाल सिंह बड़ा, सनोज सिंह, प्रताप सिंह बड़ा, अनूप सिंह, अवतार सिंह नेगी, विक्रम सिंह कोल्याणी, सतीश सिंह, अरविन्द नेगी, अंतकि, धर्मेन्द्र कोल्याणी, बलवीर सिंह, सहित सभी गाँव की महिलाएँ बच्चों सहित कई ग्रामीण उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में गढ़वाली साहित्य, संस्कृति, रीति-रिवाजों व परम्पराओं पर रिसर्च कर रहे, जर्मन नागरिक एरिक भी उपस्थित रहे। संचालन माधव सिंह नेगी ने किया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।