शिक्षिका डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता- नव वर्ष का हर्षोत्सव कुछ यूं मनाएं
आओ आओ सुनो प्रिय अपना नव वर्ष का,
हर्षोत्सव कुछ यूं मनाएं
विक्रम संवत्- 2080
चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा,
शक्ति की करें उपासना।
शक्ति के नौ रूपों का करें ध्यान और पूजन॥
हर्षोल्लास से हम सब
हिन्दू नववर्ष मनाएँ॥
आओ आओ सुनो प्रिय अपना नव वर्ष का
हर्षोत्सव कुछ यूं मनाएं।
मधुमास के स्वागत में,
नव किसलय से नव जीवन के।
शुभ सुन्दर तोरण द्वार सजाएँ॥
वसन्त का वैभव प्रकृति का यौवन।
देख प्रफुल्लित हो जाता तन -मन॥
हरीतिमा चहुँ ओर सौरभ समीर।
नवल उत्थान, उल्लास
अग -जग बहुविध
धर्म ध्वजा घर – घर फहराकर।
सत्कर्मों की सुन्दर जोत जगाकर॥
पुष्प जड़ित बंदरवार
सजाकर,
शक्ति की नौ रुपों का
ध्यान लगाकर।
सबको नव वर्ष की दें
शुभकामनाएँ॥
आओ आओ सुनो प्रिय अपना नव वर्ष का,
हर्षोत्सव हम कुछ यूं मनाएं।
मधुमास के स्वागत में,
नव किसलय से नव जीवन के।
सुन्दर तोरण – द्वार सजाएँ॥
कवयित्री का परिचय
प्रोफेसर, डॉ. पुष्पा खण्डूरी
डी.ए.वी ( पीजी ) कालेज
देहरादून, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।