सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा-मैं कानून मंत्री से किसी विवाद को लेकर उलझना नहीं चाहता, छुट्टी में भी काम करते हैं जज
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को न्यायाधीशों की नियुक्ति करने वाली कॉलेजियम प्रणाली का बचाव करते हुए कहा कि हर प्रणाली सही नहीं होती है, लेकिन यह उपलब्ध सर्वोत्तम प्रणाली है। कहा कि न्यायपालिका को स्वतंत्र रखने के लिए बाहरी प्रभावों से बचाना होगा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों, कॉलेजियम सिस्टम और कानून मंत्री को लेकर अहम बयान दिया। सीजेआई ने कहा कि मेरे 23 साल के जज के कार्यकाल में किसी ने मुझे यह नहीं बताया कि केस का फैसला कैसे करना है। उन्होंने कहा कि मैं इस मुद्दे पर कानून मंत्री के साथ उलझना नहीं चाहता, क्योंकि हमारी अलग-अलग धारणाएं हो सकती हैं। इसमें कुछ गलत नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कानून मंत्री किरेन रिजिजू कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं। इसके अलावा कानून मंत्री ने कहा था कि कुछ जज ऐसे हैं जो कार्यकर्ता हैं और भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा हैं, जो न्यायपालिका को विपक्षी दलों की तरह सरकार के खिलाफ करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट जाते हैं और कहते हैं कि सरकार पर लगाम लगाएं। ये तो नहीं हो सकताय न्यायपालिका किसी समूह या राजनीतिक संबद्धता का हिस्सा नहीं हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चंद्रचूड़ ने कहा कि हर प्रणाली सही नहीं है लेकिन यह हमारे द्वारा विकसित की गई सबसे अच्छी प्रणाली है, लेकिन इसका उद्देश्य न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा करना था, जो कि एक प्रमुख मूल्य है। हमें न्यायपालिका को बाहरी प्रभावों से अलग रखना होगा यदि न्यायपालिका को स्वतंत्र रखना है। सीजेआई ने कानून मंत्री किरेन रिजिजू को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा संवैधानिक अदालतों के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए अनुशंसित नामों को मंजूरी नहीं देने के सरकार के कारणों का खुलासा करने पर नाराजगी व्यक्त की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीजेआई ने कहा, “धारणा में अंतर होने में क्या गलत है? लेकिन, मुझे इस तरह के मतभेदों से मजबूत संवैधानिक राजनीति की भावना के साथ निपटना होगा। मैं कानून मंत्री के साथ मुद्दों को जोड़ना नहीं चाहता, हम धारणाओं के मतभेदों के लिए बाध्य हैं। गौरतलब है कि रिजिजू कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं और एक बार तो उन्होंने इसे “हमारे संविधान से अलग” भी कहा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
किरेन रिजिजू ने लक्ष्मण रेखा का किया जिक्र
किरेन रिजिजू ने ये भी कहा था कि ये लोग खुले तौर पर कैसे कह सकते हैं कि भारतीय न्यायपालिका को सरकार का सामना करना चाहिए। अगर जज ही प्रशासनिक नियुक्तियों का हिस्सा बन जाते हैं तो न्यायिक कार्य कौन करेगा। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि संविधान में लक्ष्मण रेखा बहुत स्पष्ट है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सरकार की ओर से कोई दबाव नहीं
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने इंडिया टुडे कॉनक्लेव में कहा कि मामलों में कैसे निर्णय लेना है, इसको लेकर सरकार की ओर से बिल्कुल कोई दबाव नहीं है। अगर न्यायपालिका को स्वतंत्र रहना है, तो इसे हमें बाहरी प्रभावों से बचाना होगा। सीजेआई ने न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर कहा कि हर प्रणाली दोषहीन नहीं होती, लेकिन यह एक बेहतरीन प्रणाली है, जिसे हमने विकसित किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
छुट्टियों के दौरान भी करते हैं काम
सीजेआई ने जजों की कार्यप्रणाली और छुट्टियों को लेकर कहा कि भारत में सुप्रीम कोर्ट के जज साल में 200 दिन बैठते हैं। उनकी छुट्टियां मामलों के बारे में सोचने, कानूनों के बारे में पढ़ने में बीत जाती हैं। लोग हमें सुबह 10:30 बजे से शाम 4 बजे तक अदालत में बैठे हुए देखते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीजेआई ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट में हर दिन 40 से 60 के बीच मामले निपटाते हैं। अगले दिन आने वाले मामलों के लिए तैयार रहने के लिए, हम शाम को उतना ही समय पढ़ने में लगाते हैं। शनिवार को आम तौर पर सुप्रीम कोर्ट के प्रत्येक जज निर्णय सुनाते हैं। रविवार के दिन हम सब बैठकर सोमवार के लिए पढ़ाई करते हैं। बिना किसी अपवाद के। सुप्रीम कोर्ट का हर जज सप्ताह में सात दिन काम करता है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।