बीबीसी डॉक्यूमेंट्री बैन के केंद्र के फैसले का परीक्षण करेगा सुप्रीम कोर्ट, तीन सप्ताह में केंद्र से मांगा जवाब, अगली सुनवाई अप्रैल में
बीबीसी डॉक्यूमेंट्री बैन के केंद्र के फैसले का सुप्रीम कोर्ट परीक्षण करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई से पहले केंद्र से बैन संबंधी पूरा ऑरिजिनल रिकॉर्ड मांगा है। केंद्र सरकार से 3 हफ्ते में जवाब मांगा गया है। इस मामले की अगली सुनवाई अप्रैल में होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले सुनवाई से इनकार किया। फिलहाल डॉक्यूमेंट्री पर केंद्र सरकार की ओर से लगाया गया बैन जारी रहेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और यूट्यूब को ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नामक वृत्तचित्र के लिंक ब्लॉक करने का निर्देश दिया था। विदेश मंत्रालय ने वृत्तचित्र को ‘दुष्प्रचार का हिस्सा’ बताते हुए खारिज किया है और कहा है कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है। यह एक औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है। हालांकि, विपक्षी दलों ने वृत्तचित्र तक पहुंच को अवरुद्ध करने के सरकार के कदम की आलोचना की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुनवाई के दौरान एन राम के वकील ने कहा कि डॉक्यूमेंट्री को लेकर यूनिवर्सिटी में छात्रों को प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्हें यूनिवर्सिटी से निकालने तक की धमकी दी जा रही है। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम इस विषय पर सुनवाई नही करेंगे, केवल प्रतिबंध की कानूनी वैधता पर सुनवाई करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आपको बता दें कि गुजरात दंगों पर बनी BBC डॉक्यूमेंट्री पर बैन के ख़िलाफ़ याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में पत्रकार एन राम, प्रशांत भूषण, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के अलावा वकील एमएल शर्मा ने याचिका दाखिल कर बैन को मनमाना, दुर्भावनापूर्ण और असंवैधानिक बताया है। वकील शर्मा ने डॉक्यूमेंट्री में दिए गए सबूतों के आधार पर एक SIT के जरिये जांच करा कर गुजरात दंगों के दोषियों को सजा दिलाने की भी मांग की है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।