युवा कवयित्री प्रीति चौहान की दो कविताएं- आज भी ये हालात क्यों है, हां मै एक लड़की हूं और मैं बहुत रोती हूं
आज भी ये हालात क्यों है
औरत कमजोर मर्द हैवान क्यों है
मर्द की मार सेहना औरत का काम क्यों है
जब वो मां होती है सिर्फ तब ही भगवान क्यों है
पत्नी बनते ही हवस मिटाने का सामान क्यों है
आज भी ये हालात क्यों है
औरत कमजोर मर्द हैवान क्यों है
औरत के पैर घर के अंदर जाम क्यों है
स्वाबलंबी स्त्री इतनी बदनाम क्यों है
हर औरत के साथ एक मर्द का नाम क्यों है
आज भी ये हालात क्यों है
औरत कमजोर मर्द हैवान क्यों है
आज हर लड़की छेड़छाड़ से परेशान क्यों है
दहेज देने पर ही कन्यादान क्यों है
कोख में लड़की तो उसकी खतरे में जान क्यों है
आज भी ये हालात क्यों है
औरत कमजोर मर्द हैवान क्यों है
समाज इतना बेमान क्यो है
हर सख्स इतना परेशान क्यो है
हर बार वही सवाल
औरत कमजोर मर्द हैवान क्यो है
हां मै एक लड़की हूं और मैं बहुत रोती हूं
जब एक छोटी बच्ची थी तब माँ की डाँट पर
बिना झिझके सबके सामने निडर होकर रोती थी
हां मै एक बच्ची हूं और मैं बहुत रोती हूं…..
फिर थोड़ी सी बड़ी हुई दुनिया वालों की नज़र पड़ी
छिछोरे लड़कों की छींटाकशी और लोगों के ताने सुन
माँ को सारी बात बताकर फूट-फूट कर रोती थी
हां मै एक किशोरी हूं और मैं बहुत रोती हूं……
फिर जब मेरी शादी हुई तब दहेज व पोता ना दे पाई
ससुराल वालों से प्रताड़ित होकर छुप छुप कर ही रोती थी
हां मै एक औरत हूं और मैं बहुत रोती हूं….
कवयित्री का परिचय
नाम-प्रीति चौहान
निवास-जाखन कैनाल रोड देहरादून, उत्तराखंड
छात्रा- बीए (द्वितीय वर्ष) एमकेपी पीजी कॉलेज देहरादून उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।