जजों की नियुक्ति विवाद को लेकर कानून मंत्री का संसद में जवाब, इस साल की गई रिकॉर्ड नियुक्तियां

कानून मंत्री ने कहा कि 331 रिक्तियों के लिए उच्च न्यायालयों से 147 प्रस्ताव सरकार को मिले हैं। यह प्रस्ताव सरकार और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के बीच प्रसंस्करण के विभिन्न चरणों में हैं। रिजिजू ने कहा कि सरकार ने हाल ही में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीशों के कॉलेजियम द्वारा उच्च न्यायालयों के लिए अनुशंसित 20 नामों को वापस भेज दिया है। उन्होंने कहा कि 184 रिक्तियों के लिए उच्च न्यायालय के कॉलेजियम से सिफारिशें अभी प्राप्त होनी बाकी हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मंत्री ने यह भी कहा कि 2014 के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को 2015 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक और शून्य घोषित किया गया था। उन्होंने लिखा, उच्च न्यायपालिका में सभी मौजूदा नियुक्तियां कॉलेजियम प्रणाली के अनुसार की जा रही हैं। वहीं, कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कोलेजियम सिस्टम को लेकर बड़ा बयान दिया है। केंद्रीय मंत्री ने राज्यसभा में कहा कि जब तक जजों की नियुक्ति का नया सिस्टम नहीं बनेगा, ये मसला हल नहीं हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस सांसद की तरफ से पूछा गया सवाल
दरअसल राज्यसभा में कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला की तरफ से सरकार से सवाल किया गया कि कोलेजियम सिस्टम को लेकर जो झगड़ा चल रहा है वो आखिर क्यों है? शुक्ला ने कहा, इस समय करीब 5 करोड़ केस कोर्ट में लंबित हैं। इसके लिए आखिर कौन जिम्मेदार है? कोर्ट कहती है कि सरकार नियुक्ति नहीं कर रही है, तमाम पद खाली पड़े हैं। सरकार कहती है कि जो कोलेजियम सिस्टम है वो एनजेएसी के पुराने प्रपोजल की तरह होना चाहिए। इसमें सब लोगों के साथ मिल जुलकर जजों की नियुक्ति हों। लंबित पड़े मामलों को खत्म करने के लिए सरकार क्या करना चाहती है? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कानून मंत्री रिजिजू ने दिया ये जवाब
इस पर जवाब देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि इस पर सदन और पूरे देश को चिंता करने की जरूरत है। मुझे भी ये बताते हुए चिंता होती है कि हमारे देश में इस वक्त लंबित पड़े केस 5 करोड़ का आंकड़ा छूने वाले हैं। आप समझ सकते हैं कि इसका आम लोगों पर कितना असर होता होगा। इसका मूल कारण जजों की नियुक्ति और खाली वेकेंसी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कोलेजियम सिस्टम में बदलाव की कही बात
कोलेजियम सिस्टम में बदलाव को लेकर कानून मंत्री ने कहा, साल 2015 में लोकसभा और राज्यसभा ने मिलकर सर्वसम्मति से नेशनल जुडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन को पारित किया था। साथ ही तो तिहाई राज्यों ने भी इस पर सहमति जताई। हमारा देश संविधान से चलता है और लोगों की भावनाओं से चलता है। सरकार की तरफ से लंबित मामलों को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। मैं ये कहना चाहता हूं कि इस वक्त सरकार के पास सीमित अधिकार हैं, जो कोलेजियम नाम तय करके भेजते हैं उसी पर फैसला लेना होता है। हमारे पास ये अधिकार नहीं है कि जजों की नियुक्ति के लिए हम नए नाम दें। हम बार-बार हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को कहते हैं कि जजों की वेकेंसी को भरने के लिए तुरंत नाम भेजा जाए। जो नाम भेजे जाएं उनमें विविधता हो।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।