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September 18, 2025

उत्तराखंड में ईगास बग्वाल के दिन चार नवंबर को राजकीय अवकाश के आदेश जारी, जानिए इस त्योहार की मान्यता

उत्तराखंड के लोकपर्व ईगास-बग्वाल को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजकीय अवकाश की घोषणा की थी। अब अवकाश को लेकर सचिव प्रभारी विनोद कुमार सुमन की ओर से आदेश जारी कर दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि राज्य के अधीन प्रदेश के समस्त शासकीय, अशासकीय, शैक्षणिक संस्थान और कार्यालयों में चार नवंबर को इगास बग्वाल का सार्वजनिक अवकाश रहेगा। यह दूसरा मौका होगा, जब उत्तराखंड में लोकपर्व ईगास को लेकर अवकाश घोषित किया गया हो। इससे पूर्व पिछले वर्ष भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा ईगास बग्वाल पर राजकीय अवकाश की घोषणा की गई। उस दिन रविवार पड़ गया था। ऐसे में राजकीय अवकाश एक दिन बाद सोमवार को घोषित किया गया था। इगास बग्वाल दीपावली के 11 दिन बाद एकादशी को मनाई जाती है। इस बार यह चार नवंबर को पड़ रही है। इस दिन शुक्रवार है। इगास बग्वाल को “इगास दिवाली” कहा जाता है। इसे “बूढ़ी दिवाली” भी कहते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये है मान्यता
मान्यता है कि भगवान श्रीराम जब रावण का वध करने के बाद अयोध्या पहुंचे तो इसकी सूचना उत्तराखंड को 11 दिन बाद मिली। तब यहां दीपावली मनाई गई थी। इसी दीवाली को इगास पर्व या बूढ़ी दीपावली कहते हैं। एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार करीब 400 साल पहले वीर भड़ माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में टिहरी, उत्तरकाशी, जौनसार, श्रीनगर समेत अन्य क्षेत्रों से योद्धा बुलाकर सेना तैयार की गई। इस सेना ने तिब्बत पर हमला बोलते हुए वहां सीमा पर मुनारें गाड़ दी थीं। तब बर्फबारी होने के कारण रास्ते बंद हो गए। कहते हैं कि उस साल गढ़वाल क्षेत्र में दीपावली नहीं मनी, लेकिन दीपावली के 11 दिन बाद माधो सिंह भंडारी युद्ध जीतकर गढ़वाल लौटे तो पूरे क्षेत्र में भव्य दीपावली मनाई गई। तब से कार्तिक माह की एकादशी पर यह पर्व मनाया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

खेले जाते हैं भैलू
इगास पर्व के उपलक्ष्य में धनतेरस से ही पहाड़ों में भैलू बनाए जाते हैं। भेलू के लिए चीड़ की लकड़ी का छोटा गट्ठर बनाया जाता है। इसे पेड़ की बेल या छाल से बांधा जाता है। इसका एक सिरा लंबा छोड़ दिया है। इगास पर्व के दिन इस पर आग लगाकर इसे घुमाया जाता है। मौके पर पूरे गांव के लोग एकत्र होते हैं। ढोल दमाऊ बजते हैं और लोग उत्सव मनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो अपने ऊपर भेलू घुमाता है, उसके ऊपर से दीपावली के दिन सारे संकट दूर हो जाते हैं।

Bhanu Prakash

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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