एम्स में मनाया विश्व संज्ञाहरण दिवस, स्तन कैंसर के प्रति किया जागरूक

इस अवसर पर छाती का दबाव करने की तकनीक के प्रदर्शन के दौरान पीड़ित की मदद करने संबंधी जानकारी दी गई। इस दौरान मौके पर उपस्थित लोगों ने सक्रियरूप से भाग लिया और पुतलों पर छाती के दबाव करने (सीपीआर) का अभ्यास किया। विभाग की ओर से एनेस्थीसिया प्रश्नोत्तरी और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया,जिसमें रेजिडेंट डॉक्टर और बीएससी छात्रों ने बढ़चढ़कर भागीदारी निभाई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉक्टर मीनू सिंह ने प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया। डीन शैक्षणिक प्रो. जया चतुर्वेदी ने बताया कि विश्व संज्ञाहरण दिवस वर्ष 1846 में डब्ल्यूटीजी मॉर्टन द्वारा ईथर एनेस्थीसिया के पहले सफल प्रदर्शन की याद में हरवर्ष मनाया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आयोजन में संकाय सदस्यों और रेजिडेंट्स डॉक्टरों ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर एनेस्थिसियोलॉजी विभाग के संकायों में विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजय अग्रवाल, प्रो. वाईएस पयाल, प्रो. डीके त्रिपाठी, डॉ. अंकित अग्रवाल, डॉ. अजीत कुमार, डॉ. गौरव जैन, डॉ. अजय कुमार, डॉ. प्रियंका गुप्ता, डॉ. दीपक सिंगला, डॉ. प्रवीण तलवार, डॉ. भावना गुप्ता और डॉ. मृदुल धर आदि उपस्थित थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्तन कैंसर के प्रति जनजागरुकता कार्यक्रम
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), ऋषिकेश और नेटवर्क ऑफ क्लीनिकल ट्रायल्स इन इंडिया(एनओसीआई) के संयुक्त तत्वावधान में स्तन कैंसर जागरुकता माह के अंतर्गत जनजागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर कैंसर ओपीडी में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कैंसर चिकित्सा विभाग के सह आचार्य डॉ. अमित सहरावत ने कहा कि दुनियाभर में स्तन कैंसर के मामले अन्य कैंसर के मुकाबले सबसे ज्यादा दर्ज किए जाते हैं। भारत में भी साल 2020 में रिपोर्ट किए गए कुल कैंसर मामलों में करीब 14 फीसदी स्तन कैंसर के थे। इसका कारण यह है कि महिलाओं में इस बीमारी के लक्षणों को लेकर जानकारी की कमी है, कुछ आसान तरीकों से इस कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. अमित ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार कैंसर दुनियाभर में मौत का एक प्रमुख कारण है, जो 2020 में लगभग 10 लाख मौतों या 6 मौतों में से लगभग एक के लिए जिम्मेदार है। अकेले स्तन कैंसर के 2.26 लाख मामले स्तन कैंसर के थे। जिसमें 2020 में कैंसर से होने वाली मौतों के सबसे आम कारणों से अकेले स्तन कैंसर से 6,85,000 मौतें हुई थी। उन्होंने बताया कि स्तन कैंसर के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से प्रति वर्ष अक्टूबर माह को स्तन कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डा. अमित के अनुसार स्तन कैंसर पुरुषों और महिलाओं दोनों को हो सकता है, मगर यह महिलाओं में अधिक होता है। कई कारणों से स्तनों में बढ़ने वाली आसामान्य कोशिकाएं कभी कभी गांठ का रूप ले लेती हैं। जो आगे चल कर कैंसर में परिवर्तित हो सकती है। उन्होंने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर स्तन या स्तन के आसपास गांठ का उभरना, स्तन का रंग लाल होना, स्तन से खून जैसा द्रव बहना, स्तन पर डिंपल बनना, स्तन का सिकुड़ जाना या पीठ या रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत रहना स्तन कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। यदि बीमारी के लक्षण के बारे में समय रहते पता चल जाए तो इसका उपचार हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि कैंसर ऐसी बीमारी है जो एक जगह से शुरू होकर बढ़ते-बढ़ते दूसरी जगह तक फ़ैल जाती है। व्यक्ति के शरीर में कैंसर बहुत पहले शुरू होता है, लेकिन इसकी पहचान वर्षो बाद हो पाती है। क्योंकि सामान्य तौर पर किसी व्यक्ति को देख कर यह नहीं बताया जा सकता कि उसे कैंसर है। स्तन कैंसर भी इसी प्रकार का एक प्रमुख कैंसर है। वर्षों पहले यह कोशिकाओं में बनना शुरू होता है, जिसके बाद हज़ारो, लाखों कि संख्या में कोशिकाएं बढ़ती जाती है। बाद में यह ट्यूमर का रूप ले लेती है। उभार या गांठ बनने पर ही व्यक्ति को पता चलता है कि इसे ब्रेस्ट कैंसर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
खास बात यह है कि वर्तमान में इसके कई बेहतर उपचार है। लोगों का सर्वाइवल दर काफी अधिक है , इसका बेहतर उपचार सर्जरी है। यह प्रारंभिक अवस्था में सबसे ज्यादा कारगर है। इसके साथ साथ कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी के द्वारा भी इस बीमारी का उपचार किया जाता है। इसमें सबसे अहम है कि समय रहते बीमारी की पहचान। अमेरिका में हर 8 में से एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर की आशंका है। साथ ही भारत में 28 में से एक महिला को स्तन कैंसर की आशंका रहती है। इसके लिए 40 की उम्र के बाद महिलाओं को सालाना मेमोग्राम टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। 85 फीसदी मामलों में पीड़ित के परिवार में इससे पहले ब्रेस्ट कैंसर की कोई हिस्ट्री नहीं होती। यानी यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। इसलिए इसके लिए सतर्कता जरुरी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्तन कैंसर की 5 अहम स्टेज
स्टेज 0 -यह कैंसर से पहले की स्थिति है। कैंसर कोशिकाएं स्तन के डक्टस में रहती है। आसपास के उत्तकों में नहीं पहुंचती है। यानी कैंसर का खतरा बना रहता है।
स्टेज 1 – ट्यूमर का आकार 2 सेमी से बड़ा नहीं होता। लिम्फ नोड्स प्रभावित नहीं होते।
स्टेज 2 – ट्यूमर का आकार 2 से 5 सेमी होता है, लेकिन कैंसर लिम्फ नोड्स तक भी फैल जाता है।
स्टेज 3- इस स्थिति में ट्यूमर का आकार 5 सेमी. से बड़ा होता है, लेकिन यह आसपास के लिम्फ नोड तक फैल चुका हो। कैंसर छाती या त्वचा तक भी फैल सकता है।
स्टेज 4 – ट्यूमर का आकार कितना भी हो सकता है। यह शरीर के किसी दूसरे हिस्से / अंग तक फैल चुका होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सेल्फ एग्जामिनेशन बहुत कारगर
आमतौर पर शुरुआती स्टेज में स्तन कैंसर के कोई लक्षण नहीं पाए जाते। ट्यूमर इतना छोटा भी हो सकता है कि वह महसूस न हो। ट्यूमर होने का पहला संकेत अक्सर स्तन पर होने वाली गांठ ही होता है। इसे सेल्फ एग्जामिनेशन भी किया जा सकता है। ब्रेस्ट या इसके कुछ हिस्से या कोई स्राव, सूजन या गांठ इसके लक्षण हो सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे कम किया जा सकता है खतरा
पोषण युक्त संतुलित भोजन , नियमित एक्सरसाइज , शरीर का सही वजन ये कुछ तरीके है , जिनसे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम हो सकता है। इसी तरह बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग कराना भी महिलाओं को इस खतरे को काम करता है। इस दौरान कैंसर चिकित्सा विभाग के सहायक आचार्य डॉ. दीपक सुंदरियाल, एनओसीआई से रजत गुप्ता, द्वारिका रयाल, कुमुद बडोनी, अंकित तिवारी, आरती राणा, नरेंद्र रतूड़ी,अनुराग पाल, नीरज भट्ट,रिद्धम जोशी, सतीश पाल आदि मौजूद रहे।

Bhanu Prakash
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।