दून में बारिश ने किया दशहरे का मजा किरकिरा, कहीं धूं धूं जला रावण, कहीं रावण ने ना जलने की ठानी
देश भर में बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा मनाया गया। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के परेड मैदान में भी दशहरा मेला देखने को भीड़ उमड़ी। निर्धारित समय शाम छह बजकर पांच मिनट पर देहरादून के परेड ग्राउंड में रावण और लंका दहन किया गया। इस दौरान जमकर आतिशबाजी हुई। बन्नू बिरादरी की ओर से आयोजित शहर के सबसे बड़े कार्यक्रम के तहत परेड ग्राउंड में रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले दहन किए गए। आधे घंटे तक आतिशबाजी विशेष रही। ढोल पर लोगों ने जमकर नृत्य किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस दौरान पंजाब का पाइप बैंड और नासिक में ढोल पर जमकर नृत्य कर लोग ने राम के जयकारे लगाए। इसके अलावा हिंदू नेशनल इंटर कॉलेज और प्रेम नगर में भी दशहरा मेला और रावण पुतला दहन किया गया। शाम को वर्षा के चलते शहर के विभिन्न जगहों में पुतला दहन को लेकर लोग में खासा उत्साह दिखा। परेड ग्राउंड में खड़े पुतले के बाहरी सतह पर कपड़े की वजह से पानी नहीं पहुंचा और भीगने से बच गए। ऐसे में यहां रावण आसानी से जल गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
परेड मैदान में रावण की लंका जलने से पहले ही बारिश से भारी हो गई। मोटे कागज से बनाई लंका गीली हो गई और इससे बनाई दीवार नीचे गिर गई। इसके बाद आयोजक समिति ने दोबारा से लंका की दीवार को खड़ा किया। वर्षा के बाद भी रावण दहन को लेकर लोग में खासा उत्साह नजर आया। बच्चे, बड़े, महिलाएं काफी संख्या में पुतला दहन और मेला देखने पहुंचे। दशहरा कमेटी बन्नू बिरादरी की ओर से शहर के सबसे ऊंचे 65, 60 व 55 फीट के पुतले परेड ग्राउंड में दहन किया गया। वहीं परेड ग्राउंड में लगे दशहरे मेले में लोग ने जमकर खरीदारी की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जब रावण ने ठानी, नहीं जलूंगा
वरिष्ठ पत्रकार एवं उत्तरांचल प्रेस क्लब के अध्यक्ष जितेंद्र अंथवाल ने सोशल मीडिया में रावण दहन की पोस्ट शेयर की है। इसमें उन्होंने बताया कि देहरादून में सजग सांस्कृतिक समिति (इंदिरा नगर) हर साल सीमाद्वार के नज़दीक दशहरा पार्क में रावण दहन करती है। साल-2019 के बाद दो वर्ष कोविड की वजह से आयोजन नहीं हुआ। इस वर्ष हुआ, लेकिन ऐनवक्त पर रावण महाशय धोखा दे गए। दरअसल, इस क्षेत्र में दोपहर बाद बारिश हुई तो रावण भीग गया। शाम 7 बजे रावण दहन तय था, लेकिन पुनः बारिश शुरू हुई तो अफरातफरी में करीब 15 मिनट पहले पौने 7 बजे ही लंका और रावण को आग लगा दी गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आग लगते ही बुझ गई। आधा घन्टे बाद तक कई प्रयास हुए, मगर मजाल क्या जो रावण या लंका जलने को तैयार हों। आखिर सवा 7 बजे रावण पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगाई गई। किसी तरह आग पकड़ी और रावण का बाहरी आवरण जल गया, लेकिन मुंह समेत बाकी ‘शरीर’ फिर भी न जला। लंका भी आधी-अधूरी ही जल पाई। आधा-पौन घन्टे बाद भी रावण और लंका दहन आधा-अधूरा रहने से बोर हो चुकी अधिकांश लोगों की भीड़ मैदान से रुखसत हो चुकी थी। वहीं, आयोजक रावण और लंका को फूंकने का प्रयास करते हुए इसके बाद भी पसीना बहाते रहे।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।