नहीं रहे प्रसिद्ध कथाकार शेखर जोशी, 90 वर्ष की उम्र में हुआ निधन, पिछले कई दिनों से थे बीमार, किया देहदान
29 सितंबर को शेखर जोशी को कथा के क्षेत्र में विद्यासागर नौटियाल की स्मृति में दूसरा विद्यासागर सम्मान 2022 प्रदान किया गया था। देहरादून के राजपुर रोड स्थित एनआईवीएच के सभागार में आयोजित समारोह में प्रदान किया गया। बीमार होने की वजह से शेखर जोशी इस समारोह में नहीं आए थे। ऐसे में इस पुरस्कार को शेखर जोशी के बेटे सबसे बड़े सुपुत्र प्रतुल जोशी ने कथाकार पंकज बिष्ट के हाथों से ग्रहण किया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शेखर जोशी के बारे में
शेखर जोशी कथा लेखन को दायित्वपूर्ण कर्म मानने वाले सुपरिचित कथाकार हैं। शेखर जोशी की कहानियों का अंगरेजी, चेक, पोलिश, रुसी और जापानी भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उनकी कहानी दाज्यू पर बाल-फिल्म सोसायटी द्वारा फिल्म का निर्माण किया गया है। शेखर जोशी का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलिया गांव में सन् 1932 के सितंबर माह में हुआ था। शेखर जोशी का प्रारंभिक शिक्षा अजमेर और देहरादून में हुई। इन्टरमीडियेट की पढ़ाई के दौरान ही सुरक्षा विभाग में जोशी जी का ई.एम.ई. अप्रेन्टिसशिप के लिए चयन हो गया, जहां वो सन् 1986 तक सेवा में रहे तत्पश्चात स्वैच्छिक रूप से पदत्याग कर स्वतंत्र लेखन में संलग्न रहे हैं। हाल में ही उनकी आत्मकथा मेरा ओलिया गांव प्रकाशित हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दाज्यू, कोशी का घटवार, बदबू, मेंटल जैसी कहानियों ने न सिर्फ शेखर जोशी के प्रशंसकों की लंबी जमात खड़ी की बल्कि नई कहानी की पहचान को भी अपने तरीके से प्रभावित किया है। पहाड़ी इलाकों की गरीबी, कठिन जीवन संघर्ष, उत्पीड़न, यातना, प्रतिरोध, उम्मीद और नाउम्मीदी से भरे औद्योगिक मजदूरों के हालात, शहरी-कस्बाई और निम्नवर्ग के सामाजिक-नैतिक संकट, धर्म और जाति में जुड़ी रुढ़ियां – ये सभी उनकी कहानियों के विषय रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शेखर जोशी की प्रमुख प्रकाशित रचनाएं
कोशी का घटवार 1958
साथ के लोग 1978
हलवाहा 1981
नौरंगी बीमार है 1990
मेरा पहाड़ 1989
डागरी वाला 1994
बच्चे का सपना 2004
आदमी का डर 2011
एक पेड़ की याद
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।