शिक्षक एवं कवि रामचंद्र नौटियाल की कविता-पहाड़ की बेटी अंकिता
पहाड़ की बेटी अंकिता…अंकिता तुम तो
चली गयी इस दुनिया से;
पहाड़ की तरह अडिग रहकर,
एक क्रान्तिकारी की तरह
बेटियो पर होने वाले
अत्याचारों,
जिस्म के भेडियों को,
की पोल खोलकर
ना जाने पर्दे के पीछे
क्या क्या काले कारनामे
होते थे इनके विजनेस
रेजोर्ट के नाम पर
देवभूमि को शर्मसार
कर दिया इन तथाकथित
सफेदपोश काले कारनामे
करने वालों ने
अपनी जान की परवाह किये बगैर
सारी बेटियों को जागरुक
करने की अलख जगा दी तुमने
एक होनहार स्वाभिमानी
देवभूमि हिमालय
पहाड़ की बेटी हो तुम
तुम्हारा ए कदम
क्रान्तिकारी साबित होगा
इन धृतराष्ट्र शकुनि
और दुर्योधन राजनीति
के दांव पेंच चलने वालों
की चालें कभी सफल न होगी
आज न्याय चाहिए
पहाड की बेटी को
ताकि दूसरी बेटी के साथ
ऐसी घिनौनी हरकत न हो
न्याय चाहिए?
इन्साफ चाहिए?
कवि का परिचय
रामचन्द्र नौटियाल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गड़थ विकासखंड चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी में भाषा के अध्यापक हैं। वह गांव जिब्या पट्टी दशगी जिला उत्तरकाशी उत्तराखंड के निवासी हैं। रामचन्द्र नौटियाल जब हाईस्कूल में ही पढ़ते थे, तब से ही लेखन व सृजन कार्य शुरू कर दिया था। जनपद उत्तरकाशी मे कई साहित्यिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




