अपने दागदार दामन को किस तरह उजला कर दिखा सकते हैं प्रेमचंद अग्रवालः राजीव महर्षि
एक बयान में उन्होंने कहा कि जर्मनी में कूड़े से बिजली बनाने की तकनीक को देखने समझने उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल अपनी पत्नी, अपर मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन, निदेशक शहरी विकास नवनीत पांडे, अपर निदेशक अशोक कुमार पांडे, मुख्य नगर आयुक्त नगर निगम हरिद्वार दयानंद सरस्वती, मुख्य नगर आयुक्त नगर निगम ऋषिकेश राहुल गोयल भी दौरे पर जर्मनी गए थे। यह दौरा जर्मनी की कंपनी जीआईजेड ने स्पॉन्सर किया था। सरकारी स्तर पर इसका किसी भी तरह खंडन नहीं किया गया। जाहिर है यह सरकार की स्वीकारोक्ति है, लेकिन पारदर्शिता और शुचिता का दावा करने वाली भाजपा की सरकार इस प्रकरण से गंभीर सवालों के घेरे में आ गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि जर्मनी की जिस कंपनी ने यह दौरा प्रायोजित किया। उसे शहरी विकास मंत्री ने किस स्तर पर उपकृत्य किया, यह सवाल प्रेमचंद अग्रवाल ही नहीं, धाकड़ धामी कहे जा रहे मुख्यमंत्री की सत्य निष्ठा, संविधान के प्रति प्रतिबद्धता और पद ग्रहण करते समय ली गई शपथ पर भी सवाल खड़े करती है। महर्षि ने कहा कि प्रेमचंद अग्रवाल खुद तो आरोपों से घिरे ही हैं, उनके साथ गए अधिकारी भी बुरी तरह अपने दामन पर दाग लगवाने से नहीं चूके। उन्हें इस सवाल का जवाब देना होगा कि सेवा आचरण नियमावली का उल्लंघन किस वजह से किया? क्या धामी सरकार इस बात की इजाजत देती है कि वह अधिकारियों को किसी विदेशी कंपनी की मेहमाननवाजी की छूट देने को तत्पर है? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजीव महर्षि ने कहा कि यहां एक उदाहरण से इस सारे मामले को समझा जा सकता है। रुड़की में करीब सात साल से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का एक प्रोजक्ट अटका हुआ है। यह प्रोजेक्ट जर्मनी की तकनीक से बनना था। कदाचित यह जर्मनी की वही कंपनी है जिसने मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और सैरसपाटे के उत्सुक अधिकारियों का दौरा स्पॉन्सर किया। मीडिया रिपोर्टों पर भरोसा करें तो इस कम्पनी की नजर उत्तराखंड में इसी तरह के कई अन्य सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने पर केंद्रित है और उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही कंपनी ने मंत्री अग्रवाल और उनके लाव लश्कर का भारी भरकम खर्च उठाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महर्षि ने सवाल उठाया कि यदि यह सच है तो इसे रिश्वतखोरी तथा भ्रष्टाचार का नवीनतम उदाहरण ही कहा जायेगा। यह अलग बात है कि विधानसभा अध्यक्ष रहते बैकडोर भर्ती, चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद विवेकाधीन फंड से मतदाताओं को लुभाने के लिए चेक देने के कदाचरण के साथ ही विदेश दौरे पर जाने से पूर्व शहरी विकास विभाग में 74 तबादलों में घपले के आरोप उनके स्वागत में खड़े हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यह सवाल भी प्रेमचंद अग्रवाल का स्वागत कर रहा है कि शहरी विकास विभाग के 74 कार्मिकों के तबादले यदि साफ सुथरे थे तो सीएम ने उन्हें निरस्त क्यों किया? यानी सीएम ने माना है कि तबादलों में घपला किया गया था। इसीलिए तो उन्हें निरस्त किया गया, वरना कोई सीएम अपने “विश्वस्त” मंत्री के आचरण पर संदेह नहीं करता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस नेता ने कहा कि जर्मनी के सैरसपाटे पर साथ गए अधिकारियों से अलग से पूछा जायेगा, किंतु तात्कालिक रूप से सबसे पहले शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को यह जवाब देना होगा कि जर्मनी की कंपनी जीआईजेड के साथ क्या सौदा हुआ था जो उसने उनकी धर्मपत्नी सहित आधा दर्जन अफसरों की आवभगत का भारी भरकम खर्च उठाया? यह भी सवाल है कि जर्मन कंपनी जीआईजेड से दौरे पर जाने से पहले क्या करार हुआ और अब क्या समझौता हुआ है? और उससे भी अधिक बड़ा सवाल यह है कि इस दौरे से प्रदेश को क्या लाभ मिला? जहां तक सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का सवाल है तो देश में अनेक स्थानों पर उसके लिए सफल प्रयोग चल रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि जर्मन जाकर प्रेमचंद अग्रवाल कौन सा तीर चला आए हैं? इसका जवाब भी प्रदेश के लोग स्वाभाविक रूप से चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह भी संज्ञान में आया है कि रुड़की के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के सिलसिले में फाइल शासन को भेजी गई थी। यहीं से मंत्री और उनके अफसरों के सैरसपाटे की बुनियाद पड़ी। यानी एक अदद फाइल ने विदेश यात्रा का मार्ग प्रशस्त कर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजीव महर्षि ने कहा कि केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से सन 2016 में रुड़की में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने की मंजूरी मिली थी। इस योजना के तहत दस माह के भीतर वहां एक प्लांट लगाया जाना तय हुआ था। तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और इसके लिए नगर निगम की ओर से सालियर में 4.04 हेक्टेअर जमीन उपलब्ध करवाई कर गई थी। इस प्रोजेक्ट से कथित रूप से दो मेगावाट बिजली का उत्पादन हर रोज होना था। इससे रुड़की शहर और आसपास के इलाके को बिजली देने का सपना दिखाया गया था। तब यह भी कहा गया था कि इस प्लांट से शहर में काफी हद तक बिजली कटौती की दिक्कतें हल हो जाएगी। लेकिन हुआ क्या? 2017 में सरकार बदल जाने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब उसका परिणाम प्रेमचंद अग्रवाल और उनकी मंडली का जर्मन सैरसपाटे के रूप में आया है। यही इस फाइल का यथार्थ और सत्य है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजीव महर्षि ने कहा कि अब जबकि मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल सपत्नी और अफसरों के स्वदेश की धरती पर आ रहे हैं तो सबसे पहले उन्हें यही जवाब देना है कि जर्मन कंपनी जीआईजेड के आतिथ्य की उत्तराखंड को क्या कीमत चुकानी है? वे इस बात से बच नहीं सकते और न ही यह दलील स्वीकार की जा सकती है कि इस दौरे से राज्य पर कोई खर्च का बोझ नहीं पड़ा है। जर्मन कंपनी इतनी धर्मात्मा नहीं है कि ‘ बैठे ठाले’ शहरी विकास मंत्री, उनकी पत्नी तथा अफसरों को बिना किसी स्वार्थ के सैरसपाटा कराए। लिहाजा बिना देर किए उन्हें इस टूर घोटाले का खुद ही खुलासा करना चाहिए। वरना आज के दौर में देर सवेर बातें सामने आनी ही हैं। महर्षि ने कहा कि सीएम पुष्कर सिंह धामी को खुद पहल कर काजल की कोठरी में रह रहे अपने चहेते मंत्री का इस्तीफा ले लेना चाहिए। वरना यही माना जायेगा कि उनके तमाम घपले घोटालों में उनकी भी मूक सहमति है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।