हिमालयन हॉस्पिटल में फर्स्ट गोल्डन मिनट पर कार्यशालाः नवजात को श्वासरोध हो तो पहला मिनट अति महत्वपूर्ण
उन्होंने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुये कहा कि शिशु का पहला मिनट अगर हमने कुशलता से निकाल लिया और शिशु को सांस न ले पाने की अवस्था में कृत्रिम सांस दे दिया तो शिशु की मृत्यु दर को कम करने में काफी सहायता मिलेगी। बाल रोग चिकित्सक डॉ. बीपी कालरा ने जन्म के समय नवजात में एस्फिकसीआ (सांस संबंधी) समस्या आने पर प्रशिक्षणर्थियों को उपचार की हैंड्स ऑन ट्रेनिंग दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक दिवसीय कार्यशाला में 37 प्रतिभागी हुये। जिसमें बेलेशवर, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज और देहरादून के स्वास्थ्यकर्मी, नर्सिंग स्टाफ, गाइनेकोलॉजिस्ट बाल रोग चिकत्सक ने प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षर्थियों को जन्म के दौरान बच्चे को जब सांस लेने में दिक्कत आती है तो कैसे उसे कृत्रिम सांस दी जानी चाहिए, साथ ही कैसे सामान्य होने तक उपचार की श्रेणी में रखा जाना चाहिए इसकी बारीकी से जानकारी दी गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम के मुख्य प्रशिक्षक डॉ सुरेंद्र सिंह बिष्ट, डॉ. अल्पा गुप्ता, डॉ. अनिल रावत, डॉ. राकेश कुमार, डॉ. विशाल कौशिक, डॉ. चिन्मय चेतन ने प्रतिभागियों को बताया कि प्रसवोत्तर अगर शिशु तुरंत श्वास नहीं लेता है तो शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है जिसका सबसे ज्यादा असर दिमाग पर पड़ता है। इसका असर पूरी जीवन पर पड़ सकता है। अगर समय रहते उसे बाहर से श्वास मिल जाए तो वह बच सकता है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।