उत्तराखंड में पदमश्री डॉ. योगी ऐरन की प्रैक्टिस पर उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल ने लगाई तीन माह की रोक
डा. ऐरन पर देहरादून में गढ़ी कैंट निवासी नीतू थापा ने उनके आपरेशन में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था। शिकायत मिलने के बाद मेडिकल काउंसिल ने एम्स ऋषिकेश की डा. मधुबनी, पीएमएचएस से डा. प्रवीण पंवार व काउंसिल से डा. अंजली नौटियाल की जांच कमेटी गठित की। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में प्लास्टिक सर्जरी के सही मापदंडों का इलाज में पालन नहीं होना पाया। इसी रिपोर्ट के आधार पर मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डा. अजय खन्ना ने प्लास्टिक सर्जन डा. योगी ऐरन की प्रैक्टिस पर तीन माह की रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस संबंध में डॉ. योगी ऐरन का कहना है कि मैं पूरी काबिलियत से मरीज का इलाज करता आ रहा हूं। जिस तकनीक से मरीज का ऊपर का पूरा होंठ, जो कैंसर की वजह से पूरा काटकर निकाल दिया गया था, फिर बनाया गया। वह अमेरिका, अफ्रीका व बांग्लादेश में मान्य है। सफल सर्जरी के बाद भी सवाल उठाया जाना सोचनीय है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पांच बार कर दी सर्जरी, फिर भी नहीं हुई ठीक
पीड़िता नीता थापा ने अपनी शिकायत में बताया है कि 2016 में उनके ऊपरी ओंठ पर एक उभार हुआ। 2017 में इससे थोड़ा खून आया। उन्होंने 2018 में पीजीआई चंडीगढ़ में जांच कराई। इस पर चिकित्सकों ने कहा कि छोटा ऑपरेशन होगा। इसके बाद नवंबर 2018 में उन्होंने कैलाश अस्पताल में चिकित्सकों को दिखाया तो उन्होंने सिटी स्कैन के बाद बताया कि छोटा ऑपरेशन होकर ठीक हो जाएंगी। इसके बाद वह जंगल मंगल अस्पताल में डॉ. योगी ऐरन से मिली। महिला का आरोप है कि डॉ. योगी ऐरन ने 2018 में ही उनकी पहली सर्जरी की। इसके लिए दो लाख रुपये शुल्क लिया। सर्जरी के बाद उन्होंने देखा कि ओंठ से नाक तक का हिस्सा गायब था। वह दोबारा डॉ. योगी से मिली तो उन्होंने एक और सर्जरी की सलाह देते हुए 2019 में हेल्पिंग हैंड अस्पताल में 1.5 लाख रुपये शुल्क लेकर दूसरी सर्जरी कर दी। सर्जरी होने के बाद उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पट्टी हटी तो पता चला कि उनकी नाक का कुछ हिस्सा चिपक गया था। डॉ. योगी ने उन्हें ईएनटी अश्वनी गर्ग को दिखाने को कहा। उन्होंने दिखाया तो ईएनटी के चिकित्सक ने कहा कि सर्जरी से ही यह ठीक होगा। लिहाजा वापस डॉ. योगी ऐरन के पास गई। आरोप है कि डॉ. योगी ऐरन ने तीसरी सर्जरी की सलाह देते हुए फिर 90 हजार शुल्क लेकर हेल्पिंग हैंड अस्पताल में उनकी सर्जरी की, लेकिन उनकी सांस की तकलीफ दूर न हुई। महिला ने आरोप लगाया है कि इसके बाद डॉ. योगी ने 11 अक्तूबर 2019 को उनकी चौथी सर्जरी 90 हजार शुल्क लेकर सीएमआई अस्पताल में की। फिर पांचवीं सर्जरी दो फरवरी 2020 को की गई। इसके बाद उनके नाक और कान से खून आने लगा। उन्होंने ईएनटी के डॉ. डीएम काला को दिखाया तो उन्होंने बताया कि नाक के भीतर के टिश्यू कनेक्ट ही नहीं हो पाए हैं। फिर उन्होंने सफदरजंग अस्पताल में इलाज कराया, जहां बताया गया कि उनका मामला बेहद मुश्किल है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गरीबों के मुफ्त इलाज का दावा
डॉ. ऐरन ने देहरादून में हेल्पिंग हैंड संस्था की स्थापना की और कई साल सो गरीब मरीजों की मुफ्त प्लास्टिक सर्जरी करने का दावा किया है। वर्ष 2006 में अमेरिका की संस्था को उत्तराखंड के गरीब मरीजों की मदद के लिए राजी किया। तब से अमेरिका के प्लास्टिक सर्जनों की टीम हर साल दो बार अत्याधुनिक उपकरणों के साथ सर्जरी के लिए देहरादून आती है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
पद्मश्री Dr योगी का लाइसेंस 3माह के लिए निरस्त होना दुर्भाग्य पूर्ण है, उन्होंने कितने ही गरीब लोगों को जीवनदान दिया है, मेरा भतीजा जो 70 परसेंट जल गया था उसकी 22 ऑपरेशन किए अपनी फीस नहीं ली।