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November 8, 2024

विधायक गए और उद्धव को पता नहीं चला, अब सीएम बिस्वा को नहीं पता कि महाराष्ट्र के विधायक असम में, पढ़िए अपडेट

ये राजनीति भी ऐसी है कि एक एक घटनाक्रम पूरे देश को चलने लगता है और प्रमुख दलों से बड़े नेता अनजान बने रहते हैं।

ये राजनीति भी ऐसी है कि एक एक घटनाक्रम पूरे देश को चलने लगता है और प्रमुख दलों से बड़े नेता अनजान बने रहते हैं। या फिर जानबूझकर इसका नाटक करते हैं। महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के खिलाफ विधायक ने बगावत की खिचड़ी पकाते रहे, लेकिन उन्हें इसका जरा भी आभास नहीं हो पाया। एक एक कर विधायक पहले गुजरात के सूरत चले गए। फिर वहां से शिफ्ट होकर असम के गुहावाटी चल गए। तब जाकर उद्धव को इसका पता चला। वहीं, इन विधायकों को पहले गुजरात पुलिस ने सुरक्षा प्रदान की। इसके बाद असम पुलिस इनकी सुरक्षा का जिम्मा संभाले हुए है, लेकिन असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा को पता तक नहीं कि उनके यहां महाराष्ट्र के विधायक ठहरे हुए हैं।
महाराष्‍ट्र के सियासी संकट के बीच शिवसेना के बागी गुट के 40 से अधिक विधायक इस समय असम के गुवाहाटी शहर के पांच सितारा होटल में डेरा डाले हैं। एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले इन विधायकों के बगावती तेवर महाराष्‍ट्र की सत्‍तारूढ़ महाविकास आगाडी सरकार के लिए चुनौती बने हुए हैं। जैसे जैसे बागी गुट की ताकत बढ़ रही है, उद्धव ठाकरें की परेशानियों में इजाफा होता जा रहा है। इस बीच असम के सीएम हिमंता बिस्‍वा सरमा ने इस बात से इनकार किया है कि सप्‍ताह के इस बड़े राजनीतिक घटनाक्रम से राज्‍य का कोई लेना-देना है।
न्‍यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए सीएम बिस्‍वा सरमा ने कहा कि असम में कई अच्‍छे होटल हैं और कोई भी यहां आ सकता है और रुक सकता है। इसमें कोई समस्‍या नहीं है। मुझे नहीं पता कि महाराष्‍ट्र के विधायक असम में रुके हुए हैं। अन्‍य राज्‍यों के विधायक भी आ सकते हैं और असम में रह सकते हैं। एकनाथ शिंदे के बागी गुट का विधायक संख्‍याबल पहले ही 37 पहुंच चुका है। यह संख्‍या दलबदल विरोधी कानून की जद में आए बिना पार्टी को विभाजितक करने के लिए जरूरी है। इस बीच शिवसेना के कुछ और विधायक गुवाहाटी पहुंचे हैं, जिससे यह संख्‍या और बढ़ जाएगी। शिवसेना के विधायकों के अलावा कुछ निर्दलीय विधायक भी एकनाथ शिंदे के साथ हैं।
उद्धव ठाकरे से साथ खड़े हैं कांग्रेस और एनसीपी
गौरतलब है क‍ि बागी गुट की सीएम उद्धव ठाकरे की चुनौती के बीच एमवीए सरकार में शिवसेना के दोनों सहयोगी दल, एनसीपी और कांग्रेस अभी भी ठाकरे के समर्थन में खड़े हुए हैं। एनसीपी नेता और डिप्‍टी सीएम अजित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र मे जो कुछ राजनीतिक परिस्थिति निर्माण हुई है उसमें हम उद्धव ठाकरे के साथ पूरी तरह से खड़े हैं। उधर, महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने पार्टी की अहम बैठक के बाद कहा कि शिवसेना चाहे तो हम बाहर से समर्थन देने को भी तैयार है। अगर शिवसेना चाहेगी तो कांग्रेस बाहर से भी उसको समर्थन दे सकती है।
सियासी दांवपेच शुरू
महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट में बागी नेता एकनाथ शिंदे लगातार मजबूत और सीएम उद्धव ठाकरे कमजोर पड़ते दिख रहे हैं। गुरुवार को पूरे दिन चले सियासी उठापटक के बीच देर शाम असम के गुवाहाटी में डेरा डाले शिवसेना के 37 बागी विधायकों ने महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल को पत्र भेजा, जिसमें कहा गया कि एकनाथ शिंदे सदन में उनके नेता रहेंगे। हालांकि, इससे पहले दिन में नरहरि जिरवाल ने कहा था कि उन्होंने बागी विधायक एकनाथ शिंदे की जगह अजय चौधरी को सदन में शिवसेना का विधायक दल का नेता नियुक्त किए जाने को मंजूरी दे दी है।
विधानसभा में होगा एमवीए के भाग्य का फैसला
इधर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार ने गुरुवार को कहा कि महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी सरकार (एमवीए) के भाग्य का फैसला विधानसभा में होगा और शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन विश्वास मत में बहुमत साबित करेगा। सियासी संकट के बीच पवार ने यह भी कहा कि बीजेपी ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के समक्ष उत्पन्न संकट में भूमिका निभाई है।
पवार ने कहा कि एमवीए सरकार के भाग्य का फैसला विधानसभा में होगा, न कि गुवाहाटी में (जहां विद्रोही डेरा डाले हुए हैं)। एमवीए सदन पटल पर अपना बहुमत साबित करेगा। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कि उन्हें शिवसेना के भीतर विद्रोह में बीजेपी की भूमिका नजर नहीं आती। पवार ने कहा कि वह अपने भतीजे से सहमत नहीं हैं। शरद पवार ने कहा कि अजीत पवार ने ऐसा इसलिए कहा होगा, क्योंकि वह महाराष्ट्र के बाहर के बीजेपी नेताओं को नहीं जानते हैं। मैं उन्हें जानता हूं। यहां तक ​​कि एकनाथ शिंदे ने भी कहा है कि एक राष्ट्रीय पार्टी ने उन्हें हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया है।
बागी विधायकों को वापस आना होगा मुंबई
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बागी विधायकों को मुंबई वापस आना होगा और विधानसभा का सामना करना होगा। उन्होंने कहा कि गुजरात और असम के भाजपा नेता उनका मार्गदर्शन करने के लिए यहां नहीं आएंगे। पवार ने शिवसेना के बागी विधायकों के आरोपों का भी खंडन किया कि उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्रों के लिए धन प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना इसलिए करना पड़ा। क्योंकि वित्त मंत्रालय राकांपा के अजीत पवार द्वारा नियंत्रित है और उन्होंने उनके साथ भेदभाव किया है।
ताकत बढ़ाने का खेल शुरू, उद्धव गुट ने की 12 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग
महाराष्ट्र में शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच ताकत बढ़ाने और शह-मात का खेल तेज हो गया है। बागी कैंप की ताकत 40 तक पहुंच गई है। इस स्थिति में सीएम उद्धव ठाकरे के पास बेहद सीमित विकल्प बचे हैं। ऐसे में 12 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की अर्जी दी गई है। शिवसेना में उद्धव ठाकरे गुट ने पार्टी के 12 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग करते हुए ये याचिका दी है। इसमें बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे और भरत गोगावाले का भी नाम है। अरविंद सावंत ने कहा कि गुरुवार दोपहर को हमने 12 विधायको की सदस्यता रद्द करने की मांग की है। एनसीपी की बैठक थी इसलिए नरहरि झिरवाल (डिप्टी स्पीकर) आए नहीं थे। उन्होंने कहा कि यह 44 पन्नों की अर्जी है। इसलिए समय लगा। कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। पार्टी की ओर से व्हिप जारी करने के बावजूद वो मीटिंग में नहीं आए। इसलिए इनकी सदस्यता रद्द की जाए। हमारी याचिका को स्वीकार कर लिया गया है।
ये हैं 12 बागी विधायक
महेश शिंदे
अब्दुल सत्तार
संदीपन भुमरे
भरतसेठ गोगावले
संजय शिरसाट
यामिनी जाधव
प्रभाकर सुर्वे
तानाजी सावंत
एकनाथ शिंदे
बालाजी किनिकार
अनिल बाबर
लता सोनवाने
इसलिए दिए गए 12 के नाम
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सभी बागी विधायकों के नाम देने की बजाय 12 विधायकों के खिलाफ अयोग्‍यता की अर्जी दाखिल की गई है। बताया जा रहा है कि अगर ठाकरे गुट अयोग्यता की याचिका इन विधायकों के खिलाफ आवेदन डिप्टी स्पीकर को देता है तो उस पर पहले फैसला होगा। ऐसे में अगर एकनाथ शिंदे का गुट डिप्टी स्पीकर के समक्ष कोई भी अन्य आवेदन दाखिल करता है, तो इस पर बाद में विचार होगा। सभी बागी विधायकों के विरोध में अयोग्यता का आवेदन इसलिए नहीं दिया जा रहा है कि अगर 30 या उससे ज्यादा विधायक डिसक्वालीफाई हो जाते हैं तो इससे विधानसभा में गठबंधन की ताकत कम होगी। ऐसे में बीजेपी अपनी ताकत से ही सरकार बनाने की स्थिति में भी पहुंच सकती है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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