सशस्त्र पुलिस बलों में अग्निवीरों की भर्ती भी होगी चुनौती, पहले की ट्रेनिंग का कैसे मिलेगा लाभ
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों सीएपीएफ (CAPFs) में 'अग्निवीरों' को वरीयता देने की घोषणा कर चुके हैं। हालांकि, अभी तक अर्धसैनिक बल के विभिन्न विंगों को 'अग्निपथ योजना' के तहत भर्ती के साथ आगे बढ़ने के लिए कोई स्पष्ट निर्देश नहीं मिला है।
देशभर में अग्निपथ योजना के विरोध के बीच अग्निवीरों की भर्ती को लेकर भी एक बड़ी जानकारी सामने आ रही है। दरअसल, पुलिस सेवा से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि इतने बड़े स्तर पर अग्रिवीरों की भर्ती एक चुनौती की तरह होगी। अधिकारियों के मुताबिक, अभी तक उनके पास अग्निवीरों की भर्ती को लेकर कोई साफ दिशा-निर्देश नहीं हैं। हमे तो ये भी नहीं पता है कि इन अग्निवीरों को हमे एक्स सर्विसमैन कैटेगरी के तहत भर्ती करना है या किसी और कैटेगरी में।
फिलहाल पैरामिलिट्री की पांचों विंगों बीएसएफ, सीआरपीएफ,आईटीबीपी, एसएसबी, और सीआईएसएफ में कुल 73000 पद खाली हैं। गृहमंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार असम राइफ्लस में भी कुल 73,219 पद खाली हैं। इनके अलावा केंद्रशासित प्रदेशों की पुलिस में भी 18,124 पद खाली हैं। अगर सीएपीएफ के नियम की बात करें तो अभी तक सिर्फ 10 फीसदी पूर्व सैनिकों को ही दोबारा से भर्ती करने का प्रावधान है। अधिकारी ने कहा कि अगर अग्निवीर इस कैटेगरी के तहत भर्ती किए जाते हैं तो उन्हें एक बार फिर से ट्रेनिंग करनी होगी।
वहीं, एक अन्य अधिकारी ने कहा कि अग्निवीरों को ट्रेनिंग तो दी जाएगी ,लेकिन सीएपीएफ की जरूरत अलग होती है। उन्होंने कहा कि बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, और सीआईएसएफ का काम बॉर्डर पर पेट्रोलिंग करना, ड्रग्स पकड़ना, चुनाव और दंगों के दौरान कानून व्यवस्था को बनाए रखना, वीवीआईपी की सिक्यूरिटी, मेट्रो और एयरपोर्ट में यात्रियों पर नजर रखने का होता है।सशस्त्र बल का एक भी काम ऐसा नहीं होता जो इस प्रोफाइल से मेल खा सके।
इतना ही नहीं इन अग्निवीरों को प्रोत्साहित रख पाना भी एक बड़ी चुनौती साबित होगी। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उन्हें सिर्फ रोजगार के लिए जबरदस्ती छोटे पैरामिलिट्री फोर्स में शामिल होना होगा। अधिकारी ने कहा कि सीएपीएफ को जवानों के मानसिक स्थिति से भी दो-चार होना पड़ेगा। सीएपीएफ में अग्निवीरों के शामिल करने का फैसला उन्हें भी पूरी तरह से आश्चर्य में डाल गया है। सरकार इस तरह के बदलाव से पहले इसे एक पायलट प्रोजेक्ट की तरह लागू करती है। पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के आधार पर ही आगे कोई फैसला लिया जाता है। इस बार भी सरकार को पहले एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसे लागू करना चाहिए था।
इन सब के बीच, गृहमंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि अग्निपथ स्कीम के आने से सीएपीएफ में भर्ती होने वाले युवाओं की उम्र सीमा को भी कम किया जा सकता है। फिलहाल सीएपीएफ में भर्ती की उम्र सीमा 28 से 35 साल के बीच है। हालांकि सीपीएफए अधिकारी इस बात से सहमत नहीं दिख रहे हैं।
ये है योजना
अग्निपथ योजना के तहत 17.5 से 21 वर्ष के युवाओं को सेना के तीनों अंगों यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना में चार साल के लिए भर्ती किया जाएगा, जो अग्निवीर कहलाएंगे। चार साल बाद इनमें से 25 प्रतिशत को आगे की सेवा के लिए रखा जाएगा, बाकी को एकमुश्त करीब 12 लाख रुपये देकर बाहर कर दिया जाएगा। सेवानिवृत्त होने वाले युवाओं को ना ही पेंशन का लाभ मिलेगा और ना ही ग्रेच्यूटी आदि का। ऐसे में युवा खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। साथ ही पुराने पेटर्न पर ही सेना में भर्ती की मांग कर रहे हैं।
युवाओं को नामंजूर है योजना
आंदोलनरत युवाओं के मुताबिक, उन्हें नई योजना नामंजूर है। ऐसे में पुरानी योजना ही लागू कर दी जाए। एक छात्र ने सवाल पूछते हुए कहा कि इससे क्या फायदा होगा? चार साल के बाद वो हमें सेना से निकाल देंगे? उसके बाद हम क्या करेंगे? छात्रों का कहना है कि सेना में गरीब घर के बच्चे जाते हैं। ना कि किसी नेता या अमीर गरीब के बच्चे। ऐसे में चार बाद जब हमें निकाल दिया जाएगा तो हम क्या करेंगे? हमारे परिवार का क्या होगा? ऐसे में हमारी सरकार में मांग है कि सेना में भर्ती के लिए पुराने पैटर्न को ही लागू किया जाए।
एक साल के लिए नियम में बदलाव, उम्र में छूट
केंद्र सरकार ने गुरुवार की रात एलान किया कि साल 2022 में भर्ती प्रक्रिया में उम्र सीमा में दो साल की छूट दी जाएगी। यानि इस बार 23 साल तक के छात्र भर्ती प्रकिया के लिए योग्य होंगे। सरकार ने एक विज्ञप्ति में कहा कि यह निर्णय इसलिए लिया गया है, क्योंकि पिछले दो वर्षों में कोई भर्ती नहीं हुई है। यह आयुसीमा केवल एक बार के लिए ही बढ़ाई गई है। इसके बाद आयुसीमा 21 साल की ही रहेगी। हालांकि, इस छूट के बावजूद छात्र असंतुष्ट हैं। उनकी मांग है कि भर्ती प्रक्रिया में किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया जाए। उनका मानना है कि इससे युवाओं को कोई फायदा नहीं होने वाला है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।