युवा कवि ब्राह्मण आशीष उपाध्याय की कविता-कॉलेज का आखिरी दिन

ख़त्म हुआ कॉलेज, अब न होगा फिर कॉलेज जाना।।
याद आएगा सब को ये भी कॉलेज का दौर।
जब गूंजता था सबके कानों में हमारे नाम का सोर।।
हज़ारों भीड़ से ख़ूबसूरत चेहरों को छाँट लेना।
कौन सी किसकी है आपस में बाँट लेना।।
ये कॉलेज की लड़ाई ये झगड़े ये तकरार भी।
ये ग़ुस्सा ये नाराज़गी और ये प्यार भी।।
किसी समस्या पर ये फ़ालतू वाली राय।
वो बीबीडी कॉम्प्लेक्स वो तलप वाली चाय।।
यारों को देख चेहरे की वो खिलती मुस्कान।
मिलने के अड्डे कभी क्राउन तो कभी चाची की दुकान।।
जब बुढ़ापे में थक हार परेशान हो जाओगे परेशानी में।
याद आएँगे वो सारे करमकाण्ड
जो हमने साथ मिल कर किए हैं जवानी में।।
कॉलेज के बाद भी हम में से कुछ जिगरी यार रहेंगे।
जो हर हाल में साथ जीने मरने को तैयार रहेंगे।।
यारों जब कोई यार बुलाए तो मिलने चले आना।
अपने बच्चों को हमारी शरारतों किस्से सुनाना।
ज़िक्र आएगा आशीष का भी कॉलेज के क़िस्से में।
दो-चार आँसू आयेंगे शायद हमारे भी हिस्से में।।
दूर जाना यारों लेकिन हमको न भूलना।
बहुत याद आएगा यारों ये कॉलेज का ज़माना।
बहुत याद आएगा यारों ये कॉलेज का जमाना।।
कवि का परिचय
नाम-ब्राह्मण आशीष उपाध्याय (विद्रोही)
पता-प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
पेशे से छात्र और व्यवसायी युवा हिन्दी लेखक ब्राह्मण आशीष उपाध्याय #vद्रोही उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के एक छोटे से गाँव टांडा से ताल्लुक़ रखते हैं। उन्होंने पॉलिटेक्निक (नैनी प्रयागराज) और बीटेक ( बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय से मेकैनिकल ) तक की शिक्षा प्राप्त की है। इसके बाद उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि की पढ़ाई की। आशीष को कॉलेज के दिनों से ही लिखने में रुचि है। मोबाइल नंबर-75258 88880