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December 22, 2025

एक को मिलती जिम्मेदारी, तभी दूसरा करता किनारा, उत्तराखंड में आप को झटका, प्रदेश अध्यक्ष दीपक बाली ने दिया इस्तीफा

उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी की नियति कुछ ऐसी हो गई है कि जब एक व्यक्ति को अहम जिम्मेदारी सौंपी जाती है, तो दूसरा पार्टी छोड़ देता है। ऐसा करीब एक साल से देखा जा रहा है। यहां पार्टी में जब भी कोई नया नेता आगे बढ़ता है तो पहले से स्थापित नेता पार्टी से किनारा कर देते हैं।

उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी की नियति कुछ ऐसी हो गई है कि जब एक व्यक्ति को अहम जिम्मेदारी सौंपी जाती है, तो दूसरा पार्टी छोड़ देता है। ऐसा करीब एक साल से देखा जा रहा है। यहां पार्टी में जब भी कोई नया नेता आगे बढ़ता है तो पहले से स्थापित नेता पार्टी से किनारा कर देते हैं। अबकी बार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बाली ने भी प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
दीपक बाली ने पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भेजे त्यागपत्र में कहा कि पार्टी की कार्यप्रणाली के साथ चलने में वह खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। इसी कारण आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी की सदस्यता से वह त्यागपत्र दे रहे हैं। बता दें कि दीपक बाली छात्र राजनीति करते हुए अलग उत्तराखंड राज्य बनाने के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं। वह आप पार्टी से काशीपुर से विधायक प्रत्याशी के रूप में मैदान में चुनाव लड़े थे। यही नहीं, कोरोना की दूसरी लहर में उन्होंने अपने खुद के खर्चे से काशीपुर के एक अस्पताल में वंटीलेटर, अन्य उपकरणों के साथ ही चिकित्सकों की व्यवस्था करने का दावा किया था। समाज सेवा के क्षेत्र में भी वह जाना माना नाम हैं। हालांकि वह अब किस पार्टी से जुड़कर राजनीति करेंगे, इसके उन्होंने पत्ते नहीं खोले हैं। लोकसाक्ष्य की ओर से उन्हें फोन कर इस संबंध में जानने का प्रयास किया, लेकिन उधर से कॉल रिसिव नहीं की गई। हालांकि कुछ मीडिया वालों से उन्होंने ये जरूर कहा कि वह राजनीति में आए हैं तो पीछे नहीं हटेंगे और जल्द ही अपने आगे की रणनीति मीडिया के सामने बताएंगे। फिलहाल उन्होंने अभी तक बीजेपी के खिलाफ किए गए अपने ट्विट डिलिट नहीं किए हैं।

एक आता है तो दूसरा चला जाता है
करीब दो साल से आम आदमी पार्टी पूरे जोर शोर से उत्तराखंड में बहुत ज्यादा सक्रिय है। पहले तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष एसएस कलेर ने पार्टी संगठन को खड़ा करने में मेहनत की। फिर उन्होंने भी पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं, छात्र नेता एवं आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान को पार्टी में शामिल कराया गया। इससे पहले वह बीजेपी में थे। इसके बाद कर्नल (सेनि) अजय कोठियाल भी पिछले साल पार्टी में शामिल हुए और उन्हें अरविंद केजरीवाल ने सीएम का चेहरा घोषित कर दिया। कर्नल कोठियाल भी पूरी ताकत से प्रचार में जुट गए, लेकिन वह वन मैन शो पर ज्यादा विश्वास करते रहे। पार्टी के पोस्टरों में उनके और अरविंद केजरीवाल के अलावा किसी के भी चेहरे चस्पा नहीं किए गए। इससे कई कार्यकर्ता बिदक गए। पहले से सीएम के सपने देख रहे कई लोग या तो चुप बैठ गए या फिर पार्टी छोड़ने लगे। रविंद्र जुगरान भी इसका उदाहरण हैं। वह दोबारा बीजेपी में चले गए।
कहानी यहीं खत्म नहीं होती। पार्टी से जुड़ने वाले कई सैन्य अधिकारी भी एक एक कर किनारा करने लगे। एक साल तक पार्टी से जुड़ने के बाद कर्नल कोठियाल ने भी चुनाव के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वह बीजेपी मे चले गए। हालांकि उन्होंने पहले उपेक्षा का आरोप लगाया, जो किसी से हजम नहीं हुआ। क्योंकि वह तो पार्टी में सर्वेसर्वा घोषित थे। फिर उन्होंने कहा कि आप में जानकर उन्होंने सही फैसला नहीं किया था।  यहां ये बात भी गौर करने वाली है कि आप और बीजेपी की विचारधार में जमीन आसमान का फर्क है। ऐसे में कर्नल कोठियाल ने दल बदलने के साथ ही अपनी निष्ठाएं और विचारधारा भी बदल दी। ऐसे में उन्हें बीजेपी में शामिल होने से पहले के वे सारे ट्विट डिलिट करने पड़े, जो बीजेपी के खिलाफ थे। एक ट्विट में उन्होंने बीजेपी को गुंडो की पार्टी तक कह दिया था। इस ट्विट के एक माह बाद उन्होने 18 मई को आप पार्टी ही छोड़ दी थी। खैर कर्नल बीजेपी में आए और जनरलों की भीड़ में कहीं खो गए। जहां आप में हर दिन उनके नाम से कई प्रेस नोट आते थे, वहीं बीजेपी के किसी कार्यक्रम में उनका नाम तक नहीं रहता। देखें ट्विट-


चुनाव में करारी हार के बाद भी पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए दीपक बाली को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। दीपक बाली ने बदलाव करना शुरू किया और वह सक्रिय नजर आने लगे। तभी कांग्रेसी नेता जोत सिंह बिष्ट आम आदमी पार्टी में शामिल हुए और उन्हें प्रदेश संगठन समन्वयक की जिम्मेदारी दी गई। अब पार्टी में बाली से ज्यादा बिष्ट सक्रिय नजर आने लगे और दीपक बाली ने पार्टी छोड़ दी। ऐसे में साफ है कि पार्टी में जब भी कोई नया नेता आता है, या फिर नए को कोई जिम्मेदारी दी जाती है तो पुराने नेता को साइडलाइन कर दिया जाता है।
ऐसे में पार्टी को छोड़ने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। माना जा रहा है कि पार्टी के भीतर ही दीपक बाली को अध्यक्ष पद दिए जाने को लेकर एक खेमा नाराज चल रहा था। उत्तराखंड में अगले साल निकाय चुनाव के लिहाज से पार्टी को बड़ा झटका लगा है। आम आदमी पार्टी ने काशीपुर निवासी दीपक बाली को विधानसभा चुनावों में बेहतर परिणाम न आने के बाद पार्टी की कमान सौंपी गई थी ताकि निकाय चुनाव में वह बेहतर प्रदर्शन कर सके।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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