22 मई को खुलेंगे हेमकुंड साहिब के कपाट, श्रद्धालुओं की संख्या निर्धारित, बगैर रजिस्ट्रेशन के नहीं कर सकेंगे चारधाम यात्रा, देखें नियम
उत्तराखंड में यदि आप चारधाम यात्रा के लिए आ रहे हैं, तो सबसे पहले अपना रजिस्ट्रेशन करा लें। बगैर रजिस्ट्रेशन के आपको चेक पोस्ट से आगे एक इंच भी बढ़ने नहीं दिया जाएगा।

गुरूद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के उपाध्यक्ष नरेंद्रजीत बिंद्रा ने कहा कि चारधाम यात्रा की तरह इस साल हेमकुंड साहिब में भारी मात्रा में सिक्ख श्रद्धालुओं की आने की संभावना है। यहां आए सिक्ख श्रद्धालुओं को यात्रा में आने पर कोई अव्यवस्था ना हो, इसको लेकर सरकार के साथ विचार विमर्श किया। जिसके बाद प्रतिदिन पांच हजार सिक्ख श्रद्धालुओं को ही प्रवेश की अनुमति का फैसला लिया गया।
इसको लेकर श्रद्धालुओं को उत्तराखंड पर्यटन विभाग की बेबसाइट पर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। जिससे कि हेमकुंड साहिब की यात्रा सुगम, सुरक्षित व व्यवस्थित ढंग से चले। इसके अलावा श्रद्धालु मोबाइल एप Tourist Care Uttarakhand पर भी पंजीकरण करा सकते हैं। इसके अलावा जो श्रद्धालु किसी कारणवश आनलाइन पंजीकरण करने में असमर्थ हैं, वे लक्ष्मण झूला मार्ग ऋषिकेश स्थित गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब में स्थापित केंद्र पहुंचकर पंजीकरण करा सकते हैं।
रजिस्ट्रेशन उपलब्धता की जांच करने के बाद ही चारधाम यात्रा शुरू करें तीर्थयात्री
उत्तराखंड के सरकार ने देश भर से चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों को यात्रा आरंभ करने से पूर्व अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन करने की सलाह दी है। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने बताया कि चार धाम आने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा सुखद एवं सुरक्षित हो सके इसके लिए विभिन्न धामों की वहन क्षमता के अनुरूप रजिस्ट्रेशन की सीमा तय की गई है। पता तीर्थयात्री रजिस्ट्रेशन की उपलब्धता की जांच करने के बाद ही यात्रा आरंभ करें। इसके साथ ही सभी यात्रियों को चार धाम यात्रा हेतु प्रस्थान के पूर्व हेल्थ एडवाइजरी का अध्ययन एवं अनुपालन करने की हिदायत दी गई है।
पर्यटन विभाग ने प्रदेश में तीर्थयात्रियों के रजिस्ट्रेशन की एक निश्चित सीमा निर्धारित की है। बिना रजिस्ट्रेशन कराये उत्तराखंड पहुंचने वाले यात्रियों को रजिस्ट्रेशन उपलब्ध ना होने की दशा में ऋषिकेश से आगे जाने की इजाजत नहीं होगी। विभाग ने यह भी कहा है कि तीर्थयात्री रजिस्ट्रेशन कराने के बाद नियत तारीख पर ही यात्रा आरंभ करने के लिए उत्तराखंड पहुंचे। साथ ही रहने के लिए होटल आदि की बुकिंग भी रजिस्ट्रेशन कराने के बाद ही करें।
सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने कहा है कि जिन तिथियों में निर्धारित सीमा तक रजिस्ट्रेशन हो चुका है उनके लिए कोशिश कर रहे तीर्थयात्रियों को अगली उपलब्ध तिथियों पर रजिस्ट्रेशन कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजीकरण करते समय श्रद्धालु उपलब्धता की जांच करने के बाद ही अपना टूर प्लान करें। ज्ञात हो कि स्थानीय पुलिस एवं प्रशासन द्वारा बिना रजिस्ट्रेशन के पर्यटकों को चार धाम यात्रा पर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
अब तक बदरी केदार में 318092 श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
उत्तराखंड में तीन मई को गंगोत्री यमुनोत्री धाम के कपाट खुल गए थे। छह मई को केदारनाथ और आठ मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुले। श्री बदरीनाथ धाम कपाट खुलने की तिथि 8 मई से 15 मई शाम तक 136972 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। श्री बदरीनाथ धाम में 15 मई शाम 4 बजे तक 14479 दर्शन कर चुके थे। श्री केदारनाथ धाम कपाट खुलने की तिथि 6 मई से 15 मई तक कुल 181120 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। श्री केदारनाथ धाम 15 मई शाम 4 बजे तक 11976 ने दर्शन किए। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ कुल 318092 तीर्थयात्री अब तक पहुंचे हैं।
एक दिन में इतने श्रद्धालु कर सकते हैं दर्शन
शासनादेश के अनुसार चार धाम यात्रा के लिये यात्रा सीजन के प्रथम 45 दिनों के लिये तीर्थयात्री प्रतिदिन दर्शन के लिए अधितम संख्या निर्धारित की गई है। इसके तहत श्री गंगोत्री में 8 हजार, श्री यमुनोत्री में 5 हजार, श्री केदारनाथ में 13 हजार एवं श्री बद्रीनाथ में 16 हजार है।
यहां कराएं पंजीकरण
यात्रियों के लिए चारधाम और हेमकुंड साहिब की यात्रा के लिए पर्यटन विभाग की वेबसाइट https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/ में पंजीकरण अनिवार्य किया गया। वर्तमान में चारधाम यात्रा मार्ग के 18 स्थानों पर आफलाइन व आनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की गई है।
केदारनाथ में दर्शन करने के समय में की बढ़ोतरी
केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं के दर्शन करने के समय में पांच घंटे की बढ़ोतरी की जा चुकी है। अब सुबह चार से दोपहर तीन बजे और फिर शाम चार बजे से रात 10:30 बजे तक श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर सकेंगे।
जारी की गई एडवाइजरी
चारधाम में काफी संख्या में यात्रियों की मौत के बाद स्वास्थ्य महकमा भी सतर्क है। इसके लिए एडवाइडरी जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि उत्तराखंड में समस्त तीर्थस्थल उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित हैं। इनकी ऊंचाई समुद्र तल से 2700 मीटर से भी अधिक है। इन स्थानों पर श्रद्धालु अत्यधिक सर्दी, कम आद्रता, अत्यधिक अल्ट्रा वॉयलेट रेडिएशन, कम हवा का दबाव, कम ऑक्सीजन से प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा के लिए ये दिशा निर्देश जारी किए जा रहे हैं।
ये जारी किए गए हैं निर्देश
-स्वात्थ्य परीक्षण के उपरांत ही यात्रा के लिए प्रस्थान करें।
-पूर्व से बीमार व्यक्ति अपने चिकित्सक का परामर्श पर्चा एवं चिकित्सक का संपर्क नम्बर, एवं चिकित्सक द्वारा लिखी गई दवाईयां अपने साथ रखें।
-आति वृद्ध एव बीमार व्यक्तियों एवं पूर्व में कोविड से ग्रसित व्यक्तियों के लिए यात्रा पर ना जाना या कुछ समय के लिए स्थगित करना उचित होगा।
-तीर्थेस्थल पर पहुँचने से पूर्व मार्ग में एक दिन का विश्राम करना उचित होगा।
-गर्म एवं ऊनी वस्त्र साथ में अवश्य रखें।
-हदय रोग, श्वास रोग, मधुमेह, उच्य रक्तचाप से ग्रस्त रोगी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाते समय विशेष सावधानी बरतें।
-लक्षण जैसे- सिर दर्द होना, चक्कर आना, घबराहट का होना, दिल की धड़कन तेज होना, उल्टी आना, हाथ- पांव व होठों का नीला पड़ना, थकान होना, सांस फूलना, खॉसी होना अथवा अन्य लक्षण होने पर तत्काल निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे एवं 104 हैल्पलाईन नम्बर पर संपर्क करें।
-धूम्रपान व अन्य मादक पदार्थों के सेवन से परहेज करें।
-सन स्क्रीन एसपीएफ 50 का उपयोग अपनी त्वचा को तेज धूप से बचाने के लिए करें।
-युवी किरणों से अपनी आंखों के बचाव के लिए सन ग्लासेस का उपयोग करें।
-यात्रा के दौरान पानी पीते रहें और भूखे पेट ना रहें।
-लम्बी पैदल यात्रा के दौरान बीच-बीच में विश्राम करें।
-ऊचाई वाले क्षेत्रों में व्यायाम से बचें ।
-किसी भी स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी के लिए 104 एवं एम्बुलेंस के लिए 108 हैल्पलाईन नम्बर सम्पर्क करें।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।