एम्स में फेफड़ों के कैंसर की दी गई जानकारी, बताए लक्षण, उपचार के तरीके
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में दो दिवसीय 40वां आईसीआरओ स्नातकोत्तर शिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। फेफड़े के कैंसर विषय पर आयोजित कार्यक्रम में विकिरण ऑन्कोलॉजी द्वितीय और तृतीय वर्ष के स्नातकोत्तर छात्रों ने प्रतिभाग किया।

कार्यक्रम का उद्घाटन एम्स निदेशक प्रोफेसर अरविंद राजवंशी, संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता, एआरओआई के अध्यक्ष डॉ. राजेश वशिष्ठ, एआरओआई महासचिव डॉ. जीवी गिरी, आईसीआरओ के अध्यक्ष डॉ. सत्यजीत प्रधान व आईसीआरओ सचिव डॉ. वी. श्रीनिवासन के ने किया। संस्थान के डीन एकेडमिक व विकिरण चिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने बताया कि भारत में फेफड़े के कैंसर का संबंध तंबाकू व धूम्रपान से है। देश में फेफड़ों के कैंसर के अधिकांश रोगी स्थानीयरूप से उन्नत और मेटास्टेटिक रोग के साथ आते हैं। उन्होंने बताया कि सटीक ऑन्कोलॉजी के वर्तमान युग में, पारंपरिक जनसांख्यिकीय डेटा के अलावा, आणविक निदान तेजी से महत्वपूर्ण होता जा रहा है। कार्यक्रम में प्रख्यात संकाय सदस्यों में पीजीआई चंडीगढ़ से प्रो. अमित बहल व डॉ. दिव्या खोसला, देहरादून से प्रो. मीनू गुप्ता, दिल्ली से डॉ. विनीता गोयल, टीएमएच मुंबई से डॉ. नवीन मुमुडी, एसजीपीजीआई लखनऊ से डॉ. शगुन मिश्रा, वाराणसी से डॉ. संबित नंदा व एनसीआई झज्जर से डॉ. अमन शर्मा शामिल रहे।
इस अवसर पर एम्स ऋषिकेश के प्रो. नीलोत्पल चौधरी, डॉ. केएस राजकुमार, डॉ. पूनम शेरवानी, डॉ. दीपा जोसेफ, डॉ. स्वीटी गुप्ता व डॉ. दीपक सुंदरियाल ने फेफड़ों के कैंसर के विभिन्न पहलुओं पर छात्रों को अवगत कराया। उन्होंने विद्यार्थियों को फेफड़ों के कैंसर के निदान और उपचार की मूल जानकारियां व नवीनतम तकनीकों से अवगत कराया। इस अवसर पर कार्यक्रम के समापन पर प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया,जिसमें छात्र-छात्राओं ने विषय विशेषज्ञों ने कई तरह के प्रश्न पूछे गए। जिसमें एम्स दिल्ली और एम्स ऋषिकेश के स्नातकोत्तर छात्र विजेता रहे।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।