Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

September 28, 2024

केंद्र और दिल्ली सरकार के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई, केंद्र ने दी दलील-दिल्ली देश की राजधानी, नियंत्रण की जरूरत

1 min read
दिल्ली में केंद्र और राज्यों के क्षेत्राधिकार को लेकर चल रही अदालती लड़ाई में सुप्रीम कोर्ट में पहुंची हुई है। इसे लेकर केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील दी गई है कि दिल्ली देश की राजधानी है।

दिल्ली में केंद्र और राज्यों के क्षेत्राधिकार को लेकर चल रही अदालती लड़ाई में सुप्रीम कोर्ट में पहुंची हुई है। इसे लेकर केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील दी गई है कि दिल्ली देश की राजधानी है। इस पर नियंत्रण की जरूरत है। दिल्ली में सिविल सेवा पर केंद्र सरकार के नियंत्रण को लेकर दायर मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि दिल्ली देश की राजधानी हैं और दुनिया उसे भारत के रूप में देखती है। लिहाजा उस पर नियंत्रण की जरूरत है।
दिल्ली सरकार बनाम केंद्र मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र ने अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग पर अपने अधिकार की वकालत की है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 239 AA की व्याख्या करते हुए कहा दिल्ली क्लास सी राज्य है। दुनिया के लिए दिल्ली को देखना यानी भारत को देखना है। बालकृष्ण रिपोर्ट की भी इस सिलसिले में बड़ी अहमियत है। रिफरेंस ऑर्डर के मुताबिक तीन मामलों की छोड़कर बाकी काम दिल्ली सरकार राज्यपाल को सूचित करते हुए करेगी।
एस बालाकृष्णन की अगुआई वाली कमेटी ने दिल्ली के प्रशासन को लेकर दुनिया भर के देशों के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की प्रशासन प्रणाली की गहन तुलना का अध्ययन करके रिपोर्ट बनाई है। रिपोर्ट में प्रशासनिक सुधार और जन शिकायत निवारण के व्यावहारिक और सटीक उपाय सुझाए हैं। बहु प्राधिकरण, एक दूसरे के अधिकार क्षेत्र में दखल या अतिक्रमण को दूर किया गया है।
मामले की सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश ने पूछा अब सरकार विधानसभा के अधिकारों को लेकर क्या पीछे हट रही है। इसपर एसजी तुषार मेहता ने दुनिया के कई विकसित देशों की राजधानियों का जिक्र करते हुए संविधान के मुताबिक दिल्ली की विधानसभा को दिए अधिकारों का हवाला दिया।
मेहता ने कहा कि विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होते हुए भी दिल्ली की स्थिति पुदुच्चेरी से अलग है। तीन विषयों के विधानसभा और दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर करने के पीछे भी बड़ी प्रशासनिक और संवैधानिक वजह है। यहां केंद्र राज्य यानी संघीय स्वरूप पर पड़ने वाले प्रतिकूल असर को रोकने के लिए ये व्यवस्था की गई है। राष्ट्रीय राजधानी होने से यहां केंद्र के पास अहम मुद्दे होने जरूरी हैं। इससे राज्य और केंद्र के बीच सीधे तौर पर संघर्ष नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में पब्लिक सर्विसेज का अधिकार केंद्र के पास होना जरूरी है। पब्लिक सर्वेंट की नियुक्ति और तबादले का अधिकार केंद्र के पास होना जरूरी है। क्योंकि ये राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र है. इस मामले में भी पुदुच्चेरी से यहां का प्रशासनिक ढांचा अलग है। राजधानी का विशिष्ट दर्जा होने से यहां के प्रशासन पर केंद्र का विशेषाधिकार होना आवश्यक है। मेहता ने अपनी दलील के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का भी हवाला दिया। जस्टिस एके सीकरी के लिखे फैसले का एक हिस्सा पढ़ते हुए अपनी दलील दी।
वहीं केंद्र की दलीलों पर दिल्ली सरकार ने आपत्ति जताई। दिल्ली सरकार ने मामले को 5 जजों की संवैधानिक पीठ को भेजने के केंद्र के सुझाव का विरोध किया। दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केंद्र के सुझाव के अनुसार मामले को बड़ी पीठ को भेजने की जरूरत नहीं है। पिछली दो-तीन सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार इस मामले को संविधान पीठ को भेजने की दलील दे रही है। बालकृष्णन समिति की रिपोर्ट पर चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसे खारिज कर दिया गया था। दिल्ली सरकार ने ये उस वक्त कहा जब सीजेआई ने पूछा कि विधानसभा की शक्तियों पर पहले की पीठ ने क्या कहा था और केंद्र के सुझाव पर दिल्ली सरकार के विचार मांगे थे। वहीं इस मामले पर अब गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।
इससे पहले 12 अप्रैल को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सरकार विधान सभा के प्रति जवाबदेह है ना कि उप राज्यपाल के। क्योंकि दिल्ली के उपराज्यपाल को भी उतने ही अधिकार हैं जितने उत्तरप्रदेश या किसी भी राज्य के राज्यपाल को है। दिल्ली में उपराज्यपाल को भी चुनी हुई सरकार की मदद और सलाह से ही काम करना होगा। केंद्र सरकार कानून बनाकर दिल्ली सरकार के संविधान प्रदत्त अधिकारों में कटौती नहीं कर सकती। दिल्ली सरकार के उठाए इन सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल तक केंद्र से जवाब मांगा था। पीठ ने SG तुषार मेहता को कहा था कि वो 27 अप्रैल को इस मुद्दे पर केंद्र की ओर से बहस करें।

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *