उत्तराखंड में पारा मार रहा उछाल, जंगलों में बढ़ी आग की घटनाएं, वन विभाग ने जारी की चेतावनी, दी ये सलाह
उत्तराखंड में इन दिनों मौसम शुष्क चल रहा है। साथ ही आगामी कुछ दिनों तक मौसम के तेवर और अधिक गरम रहने का अनुमान है। ऐसे में जंगलों में आग लगने की घटनाएं भी बढ़ने लगी हैं।

बढ़ रहा है तापमान
उत्तराखंड में मार्च का महीना सूखा ही निकल गया। यहां करीब छह जिलों में एक बूंद भी बारिश नहीं हुई है। अन्य जिलों में भी सिर्फ बारिश के नाम पर हल्का छिड़काव हुआ। इस बीच तापमान में भी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। करीब तीन सप्ताह से ज्यादातर क्षेत्रों में पारा सामान्य से चार से छह डिग्री सेल्सियस अधिक बना हुआ है। मौसम विभाग के मुताबिक, एक अप्रैल तक मौसम शुष्क रहेगा। वहीं, तीन चार दिनों के भीतर अधिकतम तापमान में वृद्धि की संभावना है। गढ़वाल क्षेत्र में अधिकतम तापमान सात से नौ डिग्री सेल्सियस और कुमाऊं क्षेत्र में अधिकतम तापमान सामान्य से छह से आठ डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने की संभावना है।
धधकने लगे हैं जंगल
फरवरी मध्य में फायर सीजन शुरू होने के बाद से ही उत्तराखंड में जंगलों के धधकने का क्रम बना हुआ है। हालांकि बीते दो सप्ताह में गर्मी बढ़ने के साथ ही वनों में आग की घटनाएं भी तेजी से बढ़ने लगी हैं। 15 मार्च के बाद से अब तक प्रदेश में 45 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं। यदि फरवरी माह से देखें तो इस सीजन में अब तक कुल 73 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें वन संपदा को भारी नुकसान पहुंचा है। इनमें 27 गढ़वाल परिक्षेत्र में और 38 घटनाएं कुमाऊं में हुई हैं। इसके अलावा वन्यजीव आरक्षित क्षेत्र में भी आठ घटनाएं दर्ज की गई हैं। अब तक प्रदेश में कुल 87.36 हेक्टेयर वन क्षेत्र आग की भेंट चढ़ चुका है।
मौसम विभाग ने दी चेतावनी
राज्य मौसम विज्ञान केंद्र ने 28 मार्च से लेकर 31 मार्च तक यलो अलर्ट जारी किया है। इसके तहत पर्वतीय क्षेत्रों में वनाग्नि की घटनाओं की संभावनाएं जताई गई हैं। साथ ही उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, बागेश्वर जिलों में 3500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फ पिघलने से हिमस्खलन की संभवना जताई गई है। साथ ही फसलों और सब्जियों को भी गर्मी से नुकसान का अनुमान है।
दी गई है ये सलाह
मौसम विभाग ने सलाह दी है कि संवेदनशील स्थलों में वनाग्नि रोकने के लिए अग्नि रक्षा पट्टी की स्थापना की जाए। हिमस्खलन की आशंका वाले स्थानों में लोगों को सलाह दी गई है कि वे हिमस्खलन बीकन, फावड़ा, प्रोब, प्राथमिक चिकित्सा संबंधी किट साथ रखें। किसानों को सलाह दी गई है कि फसल की नियमित रूप से सिंचाई करें।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।