शिक्षिका उषा सागर की गढ़वाली कविता-होळी क तिवार
होळी क तिवारफागुण मैना लग्यु चा
होळी क त्यरी हूणी चा
चौ तरफि ब्वगट्या खुजैएणु चा
अपरा तफरी मच्यीं चा
दगड्युं कि टोली बणणी चा
दारू बोतल ढुंडएणी चा
होळी क त्येरि हूंणी चा
दगड्या इकट्ठा हूंण बैठि ग्यैना
दारू ठुंगार खुज्याण बैठि ग्यैना
ब्वगट्या भी लयूं चा
ब्वगठ्या मरण वाळू सियूं चा
होळी क त्येरि हूंणी चा
लूण मर्च पिस्यूं चा
थकुल भी धर्यूं चा
ब्वगट्या ज्यैन मरण
उ अभि नि अयूं चा
होळी क त्यरि हूंणी चा
दगड्युं कि टोली ऐग्यैना
रंगुल मोळ माटु सी लिपै ग्यैना
होळी क गीत गयैण बैठि ग्यैना
सुणदरा भी ऐग्यैन
ब्वगट्या मरण कि त्यैरी ह्वै ग्याय
मरण वाळू भी ऐग्याय
अछणां मा धर्यीं मौण चा
होळी क त्यरि हूंणी चा
अब ब्वगठ्या मरै ग्याय
बांठि वळु क भीड़ लग ग्याय
भड़ाई ब्वगठ्या बांठि लग ग्यैना
सब्या दगड्या भी ऐग्यैना
लूंण मर्च जु पिस्यूं छ्याई
उ भी लयै ग्याय
अब कछबोळि बणणीं चा
दारू बोतल ख्वलैणी चा
होळी क त्येरि हूंणी चा
अब पियेंण बैठि ग्याय
कछबोळि खयैंण बैठि ग्याय
तैकु स्वाद भी आणं बैठि ग्याय
क्वी इनै क्वी उनै फरकैण बैठि ग्याय
क्या खूब रसांण आणीं च
होळी क त्यरि हूंणी चा
अब तिवार बीत ग्याय
सब्यूं थै होश ऐग्याय
पर सोच मा बैठ्यां छिना
सकल मां बारा किलै बजैना
इतना त हमळ प्यायी नी
फिर रिंग कबलाट किलै हूंणी चा
होळी क त्यरि हूंणी चा
कवयित्री का परिचय
उषा सागर
सहायक अध्यापक
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गुनियाल
विकासखंड जयहरीखाल, जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड।




