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February 3, 2025

हरियाणावासियों को निजी क्षेत्र में 75 फीसद नौकरी देने पर हाईकोर्ट की रोक संबंधी फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द

हरियाणा के लोगों को प्राइवेट सेक्टर में 75 फीसद आरक्षण देने के सरकार के फैसले पर हरियाणा उच्च न्यायालय की ओर से लगाई गई अंतरिम रोक को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है।

हरियाणा के लोगों को प्राइवेट सेक्टर में 75 फीसद आरक्षण देने के सरकार के फैसले पर हरियाणा उच्च न्यायालय की ओर से लगाई गई अंतरिम रोक को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को चार हफ्ते में मामले में फैसला करने को कहा है। कोर्ट ने कानून के तहत कोटा ना देने पर कंपनियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई पर भी रोक लगा है। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक के फैसले में कारण नहीं बताया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि आंध्र प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र और हरियाणा चार राज्यों में ये मामले हैं। आंध्र में कोई स्टे नहीं है। झारखंड और महाराष्ट्र में चुनौती नहीं दी गई। ये आरक्षण तीसरी और चौथी श्रेणी के पदों के लिए है। अदालत ने पहले भी दाखिलों आदि में डोमिसाइल की इजाजत है। इन राज्यों के मामलों को भी सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किया जा सकता है या फिर हाईकोर्ट की रोक के अंतरिम आदेश पर रोक लगाकर मामले को सुनवाई के लिए फिर से हाईकोर्ट भेजा जा सकता है।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश और झारखंड में लागू कानूनों के बारे में जानकारी मांगी थी। अदालत ने कहा था कि इनका ब्योरा अदालत को दिया जाए, फिर तय करेंगे कि क्या सारे मामले एक साथ सुने जाएं। सुनवाई के दौरान जस्टिस एल नागेश्वर राव ने कहा था कि हमने अखबार में पढ़ा है कि ऐसे ही कानून आंध्र प्रदेश और झारखंड में भी बनाए गए हैं। इनको भी संबंधित हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। अब ऐसे कानूनों की वैधता पर तीन हाईकोर्ट सुनवाई कर रहे हैं। हम पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से कह सकते हैं कि वो सभी पक्षों को सुन लें, हम इस अंतरिम आदेश पर क्या कह सकते।
हरियाणा की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि हम अन्य राज्यों के मामलों को पता लगाएंगे। इसके बाद ब्यौरा सुप्रीम कोर्ट को देंगे। हरियाणा के निवासियों को प्राइवेट सेक्टर के जॉब में 75 प्रतिशत कोटे के मामले में राज्‍य की खट्टर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है। हरियाणा सरकार ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को SC में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगा दी है। हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट ने सिर्फ एक मिनट 30 सेकेंड की सुनवाई में ये फैसला जारी कर दिया। इस दौरान राज्य के वकील को नहीं सुना गया। ये फैसला प्राकृतिक न्याय के भी खिलाफ है. हाईकोर्ट का फैसला टिकने वाला नहीं है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।
मामले में हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने CJI एन वी रमना को बताया, हाईकोर्ट ने सिर्फ 90 सेकंड मुझे सुनने के बाद फैसला दिया और कानून पर रोक लगा दी। आदेश अभी आया नहीं है। हम फैसले की कॉपी लगाएंगे। मामले में सोमवार को सुनवाई की जाए। इस पर CJI ने कहा था कि अगर फैसले की कॉपी आती है तो सोमवार को सुनवाई करेंगे।
गौरतलब है कि प्राइवेट नौकरियों में कंपनियों से स्थानीय लोगों के लिए 75 फीसद कोटा रखवाने के हरियाणा सरकार के फैसले पर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की ओर से अंतरिम रोक लगा दी गई थी। उच्च न्यायालय का यह फैसला प्राईवेट कंपनियों की ओर से किए गए वकील की याचिका पर आया था। प्राईवेट कंपनियों को हरियाणा सरकार के उस कानून पर आपत्ति है, जिसमें कंपनियों को कहा जा रहा है कि वे अपने यहां 75 फीसद पद राज्य के लोगों के लिए ही रखें।
राज्य सरकार का फैसला स्पष्ट रूप से हरियाणावासियों के लिए था, जिसे स्थानीय लोग तारीफ योग्य बता रहे थे। वहीं, कंपनियां इससे खौफजदा थीं। ​चूंकि हरियाणा सरकार के नियम पालन करने से उन्हें बाहर के योग्य कर्मचारियों को काम पर रखने में दिक्कत थी। जब प्रति 100 में से 75 कर्मचारी स्थानीय रखने होंगे तो यह हरियाणा से बाहर के लोगों को मौका देने से रोकने जैसा कदम होगा। इसीलिए यह मामला हाईकोर्ट चला गया था। हाईकोर्ट ने राज्यसरकार को झटका देते हुए 75 फीसद कोटा दिलाने वाले फैसले को स्थगित करा दिया, तो हरियाणा सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई थी।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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