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December 23, 2024

दक्षिणी फ्रांस में मिली नई मुसीबत, सामने आया कोविड का एक और वैरिएंट, वैज्ञानिक कर रहे रिसर्च

मौजूदा समय में पुरी दुनिया कोरोनावायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से जूझ रही है। इस बीच एक नई और मुसीबत सामने आ गई। ये मुसीबत कोरोना के नए बैरिएंट आइएचयू (IHU) के रूप में सामने आई।

मौजूदा समय में पुरी दुनिया कोरोनावायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से जूझ रही है। इस बीच एक नई और मुसीबत सामने आ गई। ये मुसीबत कोरोना के नए बैरिएंट आइएचयू (IHU) के रूप में सामने आई। IHU (B.1.640.2) वैरिएंट सबसे पहले पिछले महीने दक्षिणी फ्रांस में मिला था। अब जाकर एक्सपर्ट्स का ध्यान इसकी ओर गया है। दक्षिण फ्रांस के मासै (Marseille) में स्थित Mediterranee Infection University Hospital Institute के शोधकर्ताओं ने इसका पता लगाया है। इस वैरिएंट के 46 म्यूटेंट हैं। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि दुनिया में मौजूद वैक्सीनों का इस वैरिएंट पर कोई असर नहीं हो। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इस वैरिएंट को लेकर कुछ भी निश्चित रूप से कहना अभी जल्दबाजी होगी। यह वेरिएंट अभी दूसरे देशों में नहीं मिला है। इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अभी तक इस वेरिएंट को कोई लेबल नहीं दिया है और न ही इसे अभी जांच के तहत रखा है।
मासै में कम से कम 12 लोग IHU से संक्रमित पाए गए हैं। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि उनमें से कुछ अस्पताल में भर्ती हुए हैं। इसके मामलों को अफ्रीकी देश कैमरून की यात्रा से जोड़ा गया है। रिसर्च में बताया गया है कि दक्षिणपूर्वी फ्रांस के एक छोटे से शहर के एक वयस्क में पहला मामला पाया गया था। पहले वह आरटी-पीसीआर टेस्ट में SARS-CoV-2 से संक्रमित मिला था। रिपोर्ट आने से एक दिन पहले व्यक्ति में हल्के श्वसन लक्षण दिखाई दिए। इसके बाद उसी इलाके के अन्य सात कोविड-19 पॉजिटिव लोगों के श्वसन सैंपल लिए गए, उनमें भी उसी तरह के म्यूटेशन का मिश्रण मिला।
IHU के शोधकर्ताओं ने पहली बार 10 दिसंबर को वैरिएंट का पता लगाया और तब से इस पर अध्ययन किया जा रहा है। इसके व्यवहार को समझने की कोशिश की जा रही है। इसमें अब तक 46 म्यूटेशन मिल चुके हैं। उनके टेस्ट में पता चला है कि कोविड के इस नए वेरिएंट में N501Y म्यूटेशन है, जो कि पहली बार अल्फा वेरिएंट पर देखा गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे यह ज्यादा फैलने वाला वेरिएंट बन सकता है। इसमें E484K म्यूटेशन भी है, जिसका मतलब है कि हो सकता है कि मौजूदा टीकों का इस वेरिएंट पर कोई असर ना पड़े।
शोधकर्ताओं ने 29 दिसंबर को ऑनलाइन एक पेपर प्रकाशित किया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक इसकी अधिक जानकारी नहीं मिल जाती, तब तक ओमिक्रॉन जैसे दूसरे वैरिएंट को लेकर सावधानी बरतनी होगी। Epidemiologist एरिक फीगल-डिंग का कहना है कि नए वैरिएंट हमेशा सामने आते रहते हैं, लेकिन इसका मतलब यह जरूरी नहीं होता कि ये ज्यादा खतरनाक होंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि अभी तक IHU के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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