उत्तराखंड में संकट में जूझ रहे इंदिरा अम्मा भोजनालय, पूर्व विधायक राजकुमार ने की दशा सुधारने की पैरवी
उत्तराखंड में कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक राजकुमार ने आमजन को सस्ता और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए शुरू किए गए इंदिरा अम्मा भोजनालयों को बजट उपलब्ध कराकर इन्हें दोबारा से शुरू करने की मांग की।
पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने आमजन के लिए सस्ता, स्वच्छ व पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश भर में जगह-जगह इंदिरा अम्मा भोजनालय बनाए गए थे। प्रदेश में भाजपा सरकार के आते ही सिर्फ ओछी राजनीति के चलते इंदिरा अम्मा भोजनालय की उपेक्षा शुरू कर दी गई। इसके चलते कई इंदिरा अम्मा भोजनालय बंद हो चुके हैं। बाकी बंदी की कगार पर हैं। इन इंदिरा अम्मा भोजनालय में 20 रुपये में इंदिरा अम्मा थाली उपलब्ध होती थी। 20 रुपए की थाली में चार रोटी, चावल, दाल, सब्जी, चटनी या अचार मिलता था। इसमें दो रोटी मंडुवे की भी मिलती थी। खीर या अतिरिक्त रोटी-चावल लेने पर अतिरिक्त रुपए देने होते हैं।
उन्होंने कहा कि हफ्ते में एक दिन पूरी पहाड़ी थाली, जिसमें चटनी, मंडुवे की रोटी, झंगोरे की खीर आदि शामिल रहते हैं। इस तरह से इंदिरा अम्मा भोजनालय के जरिये स्थानीय उत्पादों को पहले अच्छा प्रचार और बाजार मिल रहा था। इन कैंटीन के संचालन का जिम्मा महिला स्वयं सहायता समूहों को दिया गया था। इससे प्रदेश की महिलाओं को स्वरोजगार भी मिल रहा था।
पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि भाजपा सरकार ने बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को तो कम नहीं किया, उल्टा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा गरीबों, पिछड़ों, महिलाओं आदि के लिए बनाई गई जनहित की योजनाओं को भी बंद करने का काम किया है। इससे साबित होता है कि महिलाओं, गरीबों, पिछड़ों जैसे आमजन की हितैषी होने का दावा करने वाली भाजपा सरकार सीधे सीधे गरीबों का भोजन भी छीन रही है। महिलाओं का स्वरोजगार छीना जा रहा है। स्थानीय उत्पादों की उपेक्षा की जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के विकास, लोकप्रियता और रोजगार के दावे सिर्फ जनता के टैक्स से खर्च कर तैयार किए गए बड़े-बड़े होर्डिंग और विज्ञापनों में ही नजर आ रहे हैं। देहरादून नगर निगम क्षेत्र की बात करें तो इस योजना के तहत बने पांच इंदिरा अम्मा भोजनालय में से दून अस्पताल में बनी एक कैंटीन तो पूरी तरह बंद हो चुकी है। सब्सिडी वाली चार अन्य कैंटीन चलाना भी संचालकों को मुश्किल हो रहा है। घंटाघर स्थित एमडीडीए कॉम्पलेक्स, सचिवालय, आईएसबीटी ट्रांसपोर्टनगर, विकास भवन सर्वे चौक और दून अस्पताल में इंदिरा अम्मा कैंटीन शुरू की गई थी। सचिवालय स्थित कैंटीन का संचालन बिना सब्सिडी के दिया गया था। बाकी कैंटीन में प्रति थाली के हिसाब से 20 रुपए ग्राहक को देना होता था और हर थाली पर सब्सिडी के रूप में 10 रुपए कैंटीन संचालक को राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध कराए जाते हैं।
पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि राज्य में भाजपा सरकार बनने के कुछ महीने बाद विभिन्न कैंटीन को टेंडर के जरिये दूसरे स्वयं सहायता समूहों को सौंप दिया गया। कैंटीन संचालकों से बात करने पर पता चला है कि समय पर सब्सिडी वाला बजट न मिलने से कैंटीन संचालकों को कैंटीन चलाना मुश्किल हो रहा है। संचालकों का कहना है कि कोरोना काल के बाद और महंगाई बढ़ने से अब 20 रुपए में थाली उपलब्ध कराना मुश्किल हो रहा है। व्यवसायिक सिलिंडर, खानपान व दूसरी चीजों के दाम बढ़ने से अब 20 रुपए प्रति थाली के हिसाब से कैंटीन चलाना मुश्किल हो रहा है।
वहीं, सचिवालय स्थित नॉन सब्सिडी वाली कैंटीन में जहां पहले 30 रुपए प्रति थाली थी अब महंगाई बढ़ने पर इसे 40 रुपए प्रति थाली कर दिया गया है। पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि आमजन के हित में इंदिरा अम्मा भोजनालय को सब्सिडी वाला बजट तत्काल जारी किया जाए। साथ ही जो इंदिरा अम्मा भोजनालय बंद हो चुके हैं, उन्हें शुरू कराने की प्रक्रिया अमल में लाएं। ताकि तेजी से बढ़ती महंगाई के इस जमाने में आमजन को सस्ता, स्वच्छ और पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो सके। अगर ऐसा नहीं किया गया तो हमे धरना प्रदर्शन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।