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February 7, 2025

चुनाव से पूर्व एकजुट होने लगी उत्तराखंड में राज्य की क्षेत्रीय ताकतें, बैठक में मंथन, 25 दिसंबर को जुटेंगे भिक्यासैण में

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर क्षेत्रीय पार्टियां व सामाजिक राजनीतिक संगठनों ने एकजुट होने व सशक्त राजनीतिक हस्तक्षेप करने की जरूरत महसूस की। इस संबंध में आज नैनीताल जिले के रामनगर स्थित अग्रवाल सभा भवन में बैठक आयोजित की गई।

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर क्षेत्रीय पार्टियां व सामाजिक राजनीतिक संगठनों ने एकजुट होने व सशक्त राजनीतिक हस्तक्षेप करने की जरूरत महसूस की। इस संबंध में आज नैनीताल जिले के रामनगर स्थित अग्रवाल सभा भवन में बैठक आयोजित की गई। इसमें विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने शिरकत की। राज्य की राजनीति में प्रभावी हस्तक्षेप के लिए उत्तराखंड की आंदोलनकारी ताकतों व क्षेत्रीय राजनैतिक पार्टियों को एक मंच पर लाने के लिए आयोजित मंथन कार्यक्रम में सभी ने एकजुटता की जरूरत बताई। साथ ही तय किया गया कि इन बैठकों का दौर जारी रखा जाएगा। इसकी अगली कड़ी में 25 दिसंबर को भिक्यासैण में बैठक की जाएगी।
मंगलवार को उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के प्रभात ध्यानी के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने राज्य की समस्याओं के समाधान तलाशने की कोशिश की। दिल्ली से आये वरिष्ठ पत्रकार चारु तिवारी ने बदहाल उत्तराखंड का खाका खींचते हुए कहा कि जो सुविधाएं पहले से ही मिली थी, उन्हें भी खत्म करके भाजपा-कांग्रेस ने राज्यवासियों का पहाड़ में जीना दूभर कर दिया है। शिक्षा के कई संस्थान इस बात का उदाहरण हैं। तिवारी ने सभी को अहम छोड़कर एक मंच पर आने की जरूरत भी बताई।

उत्तराखंड लोकवाहिनी के राजीवलोचन शाह ने राज्य की आंदोलनकारी शक्तियों के उभार के समय वोट की राजनीति में हिस्सा न लेकर प्रभावशाली हस्तक्षेप को बड़ी गलती बताते हुए कहा कि अब इस खाली पड़े स्पेस को तकनीक का लाभ उठाकर दिल्ली की एक नई पार्टी पार्टी भरने की कोशिश कर रही है। उन्होंने सहभागितापूर्ण राजनीति की वकालत करते हुए वाम दलों के साथ मिलकर कुछ चुनिंदा सीटों पर चुनावी हस्तक्षेप कर भविष्य की बड़ी लड़ाई की तैयारी पर जोर दिया।
उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि हमने अपने अहम के कारण किसी दूसरे को कोई स्पेस देने की पहल नहीं की। उन्होंने आत्मचिंतन करते हुए कहा कि हमारे पास अपने सड़क के संघर्ष को राजनैतिक आंदोलन बनाकर राज्य को दिशा देने का अवसर था, लेकिन हमें ईमानदारी से स्वीकारना होगा कि हम इसमें चूक गए हैं। उन्होंने व्यक्तिगत अहंकार छोड़कर नई शुरुआत का भी सुझाव दिया।
उत्तराखण्ड क्रांति दल के केंद्रीय अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी ने चुनाव की पूर्व संध्या पर हो रहे इस आयोजन को देर से होना बताते हुए कहा इगोईस्ट और नॉन-कोआपरेटिव होना हमारी मुख्य कमी रही। हमने जनता को कहा सब कुछ, लेकिन जनता की नहीं सुनी। हमारे लोग आपस के आदमी की बात सहन नहीं करते। जबकि राष्ट्रीय दलों के लोग राज्य के बाहर अपने आलाकमान की बात भी आंख मूंदकर सुनते हैं। हमारे पास त्याग व जनान्दोलन की लंबी विरासत है। सबको अपनी गलतियों का आत्मचिंतन करते हुए भविष्य की राजनैतिक यात्रा पर चिंतन किया जाए।

भुवन जोशी ने वाम दलों को बाहर रखते हुए मूल उत्तराखण्डी विचार रखने वाले संगठनों व दलों के साथ मोर्चा बनाये जाने की वकालत की। कार्यक्रम में इस संवाद को विस्तार देते हुए 25 दिसम्बर को भिकियासैंण में संगठनों व दलों के प्रतिनिधियों की एक बैठक करने का निर्णय लिया गया। जिसमें चुनाव पूर्व फौरी तौर पर कोई रणनीति बनाकर चुनाव में जाने व चुनाव के तत्काल बाद भविष्य की बड़ी और निर्णायक लड़ाई की तैयारी पर सहमति बनी।
कार्यक्रम को विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों सुशील भट्ट, रोहित रुहेला, धनेश्वरी घिल्डियाल, केएल आर्य, डीके जोशी, तुला सिंह तड़ियाल, पान सिंह सिजवाली, कमल पंत ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर इंद्र सिंह मनराल, मनमोहन अग्रवाल, सुमित्रा बिष्ट, प्रकाश जोशी, प्रकाश उनियाल, अमीनुर रहमान, लालमणि, गोपाल राम, विनोद पांडे, महेश जोशी, जगदीश, कुलदीप मधलाल, मनोज मधुबन आदि मौजूद रहे।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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