शिक्षिका उषा सागर की कविता-कोरोना वायरस का कहर
कोरोना वायरस का कहर
वायरस आया चीन से
नाम पड़ा कोरोना
महामारी के इस दौर में
दुनिया को पड़ा है रोना
देश विदेशों में हाहाकार मचा है
अपनों से हर कोई दूर खड़ा है
सूने पड़ने लगे घर द्वार
कोरोना का कोहराम मचा
देखो इस बेरहम कोरोना से
घर इकलौता चिराग बुझा
देख के दुनिया की ए हालत
मुझे बहुत है आया रोना
वायरस आया चीन से
नाम पड़ा कोरोना
मां रोई , बच्चे रोए
सुहागनें बिलखती हैं
अब जीवन रक्षा की आस
सरकार,अस्पताल से लगाती हैं
पर हाल बताते हैं तुम को
हम अस्पतालों का
ना बिस्तर, वार्ड,ना कमरे
बचे हैं अब खाली
बस अब जीवन की
भगवान करेगा रखवाली
हम सबने मिलकर खूब
बजाई ताली और थाली
बिन त्योहार भी हमने
मनाई खूब दीवाली
फिर भी गया न देश से
मेरे, बेरहम कोरोना
वायरस आया चीन से
नाम पड़ा कोरोना
पहली लहर का दर्द
अभी भूले नहीं थे हम
दूसरी ने आकर घेरा
निकाल दिया है दम
फिर वही हाहाकार
बड़ी मुसीबतें आई हैं
कोरोना के मुंह में लाखों
जिन्दगियां समाई हैं
प्राण अगर बचाने हैं तो
मिलकर उपाय करोना
वायरस आया चीन से
नाम पड़ा कोरोना
मास्क लगाना, दूरी बनाना
अर हाथ धोना भी है जरूरी
जीवन अगर बचाना है तो
घर पर ही रहना है जरूरी
बाहर न जाओ मेरे दोस्तों
दुश्मन खड़ा है द्वार पर
रहो तुम सावधान सभी,
आंच न आए तुम्हारे परिवार पर
माता- पिता और बच्चों के
सदा रक्षक बने रहना
ए वक्त भी यूंही गुजर जाएगा
न बिल्कुल भी तुम घबराना
वायरस आया चीन से
नाम पड़ा कोरोना
महामारी के इस दौर में
दुनिया को पड़ा है रोना
कवयित्री का परिचय
उषा सागर
सहायक अध्यापक
राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय गुनियाल
विकासखंड जयहरीखाल, जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड।
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