तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने संबंधी बिल को कैबिनेट की मंजूरी, अन्य मांगों को लेकर आंदोलन जारी रखेंगे किसान
तीनों कृषि कानूनों की वापसी को लेकर पीएम मोदी की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी गई है। इस संबंध में अपराह्न करीब तीन बजे खुद पीएम नरेंद्र मोदी इस संबंध में जानकारी दे सकते हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले के बाद अब इसे निरस्त करने की कसरत शुरू हो गई है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए एक ही विधेयक संसद में पेश कर सकती है। 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में ये बिल पेश हो सकता है। सरकार एमएसपी पर कानूनी गारंटी मुद्दे पर भी विकल्प तलाश रही है। संभावना देखी जा रही है कि इस मुद्दे को किस तरह की गाइडलाइन या वैधानिक तरीके से सुलझाकर किसानों को भरोसा दिलाया जा सकता है। वहीं कृषि मंत्रालय न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुद्दे पर भी विचार कर रहा है, क्योंकि किसान एमएसपी पर कानूनी गारंटी भी मांग रहे हैं। मंत्रालय यह देख रहा है कि क्या दिशानिर्देशों या सांविधिक तौर पर यह गारंटी एमएसपी पर दी जा सकती है।
जारी रहेगा किसानों का आंदोलन
कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद भी किसान संगठन आंदोलन से पीछे हटने के मूड में नहीं हैं। किसान संगठनों ने साफ किया है कि जबतक उनकी अन्य मांगे मान नहीं ली जातीं, तब तक आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही किसान संगठन दिल्ली पहुंच कर अपना विरोध जताएंगे। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने मंगलवार को कहा कि 60 ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली में मार्च निकालकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की वैधानिक गारंटी के लिए दबाव डालेंगे। उन्होंने कहा कि 29 नवंबर को ट्रैक्टर मार्च निकाल संसद जाएंगे। संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू होगा और 23 दिसंबर तक चलने की उम्मीद है। यही नहीं, विदेशों में भी किसान आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन किए जाएंगे।
राकेश टिकैट ने कहा कि हम पर सड़कों को ब्लॉक करने का आरोप लगा था, लेकिन ये हमने नहीं किया था। सड़कों को ब्लॉक करना हमारा आंदोलन नहीं है। किसान नेता टिकैत का बयान तब आया है, जब केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से बुधवार को तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मंजूरी मिलने की संभावना है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते ही कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान कर दिया था। उन्होंने कहा कि इस बार एक हजार लोग संसद जाएंगे।
राकेश टिकैत ने कहा कि हम एमएसपी पर सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में 750 किसानों की मौत हुई है, सरकार को उसकी भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक बयान में कहा है कि ट्रैक्टर रैलियों के आयोजन को लेकर तैयारियां चल रही हैं। दिल्ली के आसपास के हजारों किसानों के आने की उम्मीद है। 26 नवंबर को आंदोलन की आंशिक जीत का जश्न मनाया जाएगा।
किसान मोर्चा ने अपने बयान में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय किसान संगठनों द्वारा भी दुनिया भर में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। 26 नवंबर को दोपहर 12 से 2 बजे लंदन में, 30 नवंबर को फ्रांस के पेरिस में विरोध प्रदर्शन और 4 दिसंबर को कैलिफोर्निया में एक कार रैली का आयोजन किया जा रहा है। इसके अलावा भी कई देशों में मांगों के समर्थन में कार्यक्रम आयोजित होंगे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।