जेपी पांडे का उत्तराखंड आंदोलन में ऐतिहासिक योगदानः धीरेंद्र प्रताप
धीरेंद्र प्रताप हरिद्वार में स्वर्गीय जेपी पांडे की याद में आयोजित भागवत कथा के समापन पर वहां एकत्रित लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जेपी पांडे ने हरिद्वार जोड़ो आंदोलन की अगुवाई 1994 में उस वक्त की, जब हरिद्वार के तमाम राजनीतिक दल व यहां तक कि भारतीय किसान यूनियन भी हरिद्वार का उत्तराखंड में विलय का कड़ा विरोध कर रही थी।
प्रताप ने कहा जेपी पांडे सिद्धांतों के पक्के थे और वह कभी भी वसूलो की लड़ाई लड़ने से पीछे नहीं हटते थे। उन्होंने कहा कि हरिद्वार को उत्तराखंड जोड़ने के लिए उन्होंने सैकड़ों दिनों तक आंदोलन चलाए रखा और कई बार गिरफ्तार होने के अलावा जेल गए। यद्यपि जेपी पांडेय बीएचईएल में भी मजदूर नेता थे, लेकिन उन्होंने उत्तराखंड राज्य निर्माण में अपने नौकरी को कभी भी आड़े नहीं आने दिया। राज्य भर में उत्तराखंड निर्माण के लिए दौरे किए और लोगों को राज्य निर्माण का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने बताया कि सन 2000 में 9 नवंबर को उत्तराखंड राज्य का जब निर्माण हो गया, इसके बाद भी उनका संघर्ष जारी रहा। वह छूट गए आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण, हरिद्वार के विकास, उत्तराखंड में आदर्श राज्य की स्थापना, गैरसैण को राजधानी बनाने, जाना आंदोलनकारियों के सम्मान को लेकर संघर्ष में डटे रहे।
इस मौके पर उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति के केंद्रीय अध्यक्ष सतीश जोशी, चयनित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति की केंद्रीय संरक्षक कमला पांडे, गुजरात में राज्य आंदोलन के नेता रहे देवी प्रसाद भट्ट, स्वर्गीय पांडे के सुपुत्र दुर्गेश पांडे, समिति के केंद्रीय प्रवक्ता विजय भंडारी, जेपी मालकोटी समेत कई लोगों ने दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि दी और भागवत कथा का आनंद लिया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।