उत्तराखंड में इगास पर्व (बूढ़ी दीपावली) आज, जानिए इस त्योहार से जुड़ी मान्यताएं
कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी दो दिन रहेगी। गृहस्थ लोग 14 नवंबर रविवार को एकादशी का उपवास रखेंगे। इस दिन को उत्तराखंड में गढ़ावल और कुमाऊं में दीपावली के रूप में मनाया जाता है। गढ़वाल में इसे इगास पर्व कहते हैं तो वहीं, कुमाऊं में इसे बूढ़ी दीवाली के रूप में भी जाना जाता है। साधु-संत 15 नवंबर को देव प्रबोधनी एकादशी मनाएंगे। तुलसी विवाह भी सोमवार को ही होगा। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी, ग्यारस व देवोत्थान एकादशी नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार श्री हरि विष्णु चार माह के शयन के बाद कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को योग निद्रा से जागृत होते हैं।मान्यता है कि भगवान श्रीराम जब रावण का वध करने के बाद अयोध्या पहुंचे तो इसकी सूचना उत्तराखंड को 11 दिन बाद मिली। तब यहां दीपावली मनाई गई थी। इसी दीवाली को इगास पर्व या बूढ़ी दीपावली कहते हैं। एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार करीब 400 साल पहले वीर भड़ माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में टिहरी, उत्तरकाशी, जौनसार, श्रीनगर समेत अन्य क्षेत्रों से योद्धा बुलाकर सेना तैयार की गई। इस सेना ने तिब्बत पर हमला बोलते हुए वहां सीमा पर मुनारें गाड़ दी थीं। तब बर्फबारी होने के कारण रास्ते बंद हो गए। कहते हैं कि उस साल गढ़वाल क्षेत्र में दीपावली नहीं मनी, लेकिन दीपावली के 11 दिन बाद माधो सिंह भंडारी युद्ध जीतकर गढ़वाल लौटे तो पूरे क्षेत्र में भव्य दीपावली मनाई गई। तब से कार्तिक माह की एकादशी पर यह पर्व मनाया जाता है।
खेले जाते हैं भैलू
इगास पर्व के उपलक्ष्य में धनतेरस से ही पहाड़ों में भैलू बनाए जाते हैं। भेलू के लिए चीड़ की लकड़ी का छोटा गट्ठर बनाया जाता है। इसे पेड़ की बेल या छाल से बांधा जाता है। इसका एक सिरा लंबा छोड़ दिया है। इगास पर्व के दिन इस पर आग लगाकर इसे घुमाया जाता है। मौके पर पूरे गांव के लोग एकत्र होते हैं। ढोल दमाऊ बजते हैं और लोग उत्सव मनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो अपने ऊपर भेलू घुमाता है, उसके ऊपर से दीपावली के दिन सारे संकट दूर हो जाते हैं।
विभिन्न संगठन आयोजित कर रहे हैं कार्यक्रम
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के साथ ही अब इगास पर्व को राज्य के अन्य हिस्सों में भी मनाया जाने लगा है। इस त्योहार के लिए विभिन्न संगठनों ने रात को सामूहिक कार्यक्रम आयोजित किए हैं। देहरादून में तो कई पार्कों व मैदान में भैलो खेलने के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
लोकपर्व इगास पर 15 नवंबर को सार्वजनिक अवकाश
दीपावली के 11 दिन बाद उत्तराखंड में मनाए जाने वाले लोकपर्व इगास (बूढ़ी दीवाली) के उपलक्ष्य में 15 नवंबर को सार्वजनिक अवकाश रहेगा। इगास पर्व 14 नवंबर को है। 15 नवंबर को अवकाश रहने पर बड़ी संख्या में लोग अपने पैतृक गांव जाकर बूढ़ी दीवाली उल्लास के साथ मना सकेंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में लोकपर्व इगास पर अवकाश की घोषणा की थी। इगास पर्व पर 14 नवंबर को रविवार होने के कारण अवकाश को लेकर संशय बना हुआ था। बाद में उच्च स्तर पर निर्णय लिया गया कि इगास के उपलक्ष्य में 15 नवंबर को बैंक, कोषागार व उपकोषागारों को छोड़कर राज्य में सार्वजनिक अवकाश रहेगा। तर्क दिया गया कि इससे बड़ी संख्या में लोग अपने पैतृक गांव जाकर इस पर्व को धूमधाम से मना सकेंगे। इसके बाद शुक्रवार को शासन ने इगास पर 15 नवंबर को सार्वजनिक अवकाश की अधिसूचना जारी कर दी थी।





