ग्राफिक एरा के वैज्ञानिक की बड़ी खोज, अब शरीर से चार्ज होंगे मोबाइल, केंद्र ने किया पेटेंट रजिस्टर्ड
केंद्र सरकार ने इस बड़ी खोज का पेटेंट ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के नाम से रजिस्टर्ड कर लिया है। ग्राफिक एरा के इलेक्ट्रानिक्स एडं कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और वैज्ञानिक डॉ. वारिज पंवार ने यह बड़ी खोज की है। या कहें तो उन्होंने एक कमाल कर दिया। जो आने वाले दिनों में मोबाइल यूजर्स के लिए बड़ी देन साबित हो सकता है। डॉ. वारिज पंवार ने बताया कि मैटल कोटेड आयनिक पॉलिमर नैनो कम्पोजिट के रुप में तैयार यह मैम्बरेन इंसानी गतिविधियों के दौरान बनने वाली मैकेनिकल ऊर्जा को बिजली में बदल सकती है।
उन्होंने बताया कि शरीर के हर मूवमेंट से मैकेनिकल ऊर्जा उत्पन्न होती है और हमें पता भी नहीं चलता कि वह कब विलीन हो जाती है। इस नई खोज के जरिये अंगों के संचालन से मानव शरीर में पैदा होने वाली मैकेनिकल ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकता है। शरीर पर कहीं नैनो कम्पोजिट मैम्बरेन को लगा देने पर इस ऊर्जा के जरिये मोबाइल से लेकर सभी तरह छोटे इलेक्ट्रानिक उपकरण चार्ज किए जा सकते हैं। इसके जरिये इन उपकरणों की चार्जिंग के लिए बिजली पर निर्भरता खत्म हो सकती है। दुर्गम बर्फीले स्थानों, जंगलों आदि में तैनात सैनिकों के लिए यह खोज बहुत उपयोगी साबित हो सकती है।
उन्होंने बताया कि नैनो कम्पोजिट मैम्बरेन उपयोग में लाने पर उन्हें मोबाइल फोन, ट्रांसमीटर, रिसीवर और अन्य उपकरणों की चार्जिंग के लिए बिजली की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस नैनो कम्पोजिट मैम्बरेन के जरिये ब्लड प्रेशर, पल्स रेट, शरीर का तापमान आदि जांचा जा सकता है और आपात स्थिति में एलईडी लाइट भी चलाई जा सकती है। इसे इलेक्ट्रिक कार की बैटरी और मोबाइल फोन की बैटरी में भी उपयोग में लाया जा सकता है। नैनो कम्पोजिट मैम्बरेन की लाईफ करीब 12 वर्ष है।
ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ कमल घनशाला ने डॉ. वारिज पंवार को एक के बाद एक इस दूसरी खोज के लिए बधाई देते हुए कहा कि ग्राफिक एरा दुनिया को नई खोजों के रूप में शानदार उपहार देकर मानवता की महत्वपूर्ण सेवा कर रहा है और नई पीढ़ी को कामयाबी के नये आयाम स्थापित करने के लिए प्रेरित कर रहा है।
डॉ. घनशाला ने कहा कि ये खोज इसलिए और ज्यादा महत्वपूर्ण है कि इसमें लीथियम सॉल्ट से प्लेटिनियम इलेक्ट्रोड बनाया गया है। इससे बनने वाले सैल बहुत लम्बी अवधि तक काम कर सकते हैं। गौरतलब है कि इससे कुछ ही माह पहले डॉ वारिज पंवार ने गन्ने के रस से सेंसरों में इस्तेमाल होने की वाली मेम्बरेन तैयार करके दुनिया को एक बड़ा तोहफा दिया था।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।