उत्तराखंड भाजपा के राज्य प्रभारी बने गौतम, रेखा बनी सह प्रभारी, इनमें एक का रहा विवादों से नाता
आगामी 2022 के चुनाव के मद्देनजर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चक्रव्यूह की रचना शुरू कर दी है। इसके तहत राज्यों में मजबूत टीम बनने के लिए राज्य प्रभारी बदले गए हैं। राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने विभिन्न राज्यों के प्रभारी और सह प्रभारियों की सूची जारी की है। इस कड़ी में उत्तराखंड में अब तक राज्य प्रभारी का दायित्व निर्वहन कर रहे श्याम जाजू के बदले दुष्यतं कुमार गौतम को उत्तराखंड राज्य का नया प्रभारी बनाया गया है। साथ ही रेखा वर्मा को सह प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है। इन दोनों नेताओं के राजनीतिक सफर और उनके बारे में हम यहां बता रहे हैं। इममें रेखा वर्मा समय समय पर विवादों से भी जुड़ी रहीं।
दुष्यंत कुमार गौतम
दुष्यंत कुमार गौतम भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री भाजपा व राज्यसभा सांसद दिल्ली सियासत करते हैं। वह भाजपा संगठन के अलग-अलग पदों पर रह चुके हैं। दिल्ली में विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। पूर्वी दिल्ली के कोंडली विधानसभा सीट से भाजपा के प्रत्यासी दुष्यंत कुमार गौतम का जन्म 29 सिंतबर 1957 को दिल्ली के पदम सिंह गौतम के घर हुआ। इन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी कर दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसी दौरान वे छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए और एवीबीपी के सदस्य बन गए।
जिस समय दुष्यंत ने राजनीति में कदम रखा, उस समय देश में आपातकाल लगी हुई थी। अपनी पढ़ाई खत्म कर वे एवीबीपी के मंडल अध्यक्ष बने। इस दौरान उन्होंने दलित मुद्दों को उठाकर लोगों के सामने रखा। इसके बाद उन्हें अनुसूचित मोर्चे का उपाध्यक्ष बना दिया गया। वे तीन बार भाजपा अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष बने। 1997 में दुष्यंत पहली बार जिला पार्षद का चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। दुष्यंत ने हमेशा ही अपने राजनीतिक जीवन में अटल बिहारी वाजपेयी के आदर्श को अपनाकर कार्य किया। साथ ही उन्होंने चुनावी राजनीति की जगह संगठन में काम करने पर जोर दिया।
रेखा वर्मा
रेखा वर्मा भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के धरोहरा संसदीय क्षेत्र से सांसद भी है। रेखा वर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की ओर से घोषित उन 12 राष्ट्रीय उपाध्यक्षों की टीम में हैं। इसमें रमन सिंह, वसुंधरा राजे सिंधिया, राधा मोहन सिंह और रघुवरदास जैसे दिग्गज शामिल हैं। सांसद रेखा वर्मा की सियासत की कथा लम्बी नहीं है। 2014 के चुनाव से उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा। पहली बार पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को हराकर वह लोकसभा पहुंचीं। 2019 के चुनाव में भी रेखा वर्मा ने वहीं इतिहास दोहराया। इस बार उनकी जीत का अंतर और बढ़ गया। इस जीत ने रेखा वर्मा का पार्टी में कद ऊंचा कर दिया।
मोहम्मदी इलाके के मकसूदपुर गांव की रहने वाली रेखा वर्मा ने दिल्ली की सियासत से जुड़ने के बाद भी गांव की जमीन से नाता कभी नहीं छोड़ा। वह पहले भी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत परामर्श समिति की सदस्या रह चुकी हैं।
कई बार विवादों से जुड़ा नाम
रेखा वर्मा का नाम कई बार विवादों से भी जुड़ा। महोली विधानसभा क्षेत्र में उनका महोली के भाजपा विधायक शशांक त्रिवेदी से टकराव हो गया था। सरकारी कार्यक्रम में दोनों गुटों के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए थे। महोली रेखा वर्मा के ही संसदीय क्षेत्र में आता है। वहीं, पिछले साल जून माह में उत्तर प्रदेश के धौरहरा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद रेखा वर्मा पर पुलिस के एक सिपाही ने थप्पड़ मारने और हत्या कराने की धमकी देने का आरोप लगाया था। लखीमपुर की मोहम्मदी कोतवाली में तैनात सिपाही श्याम सिंह ने मुकदमा दर्ज करवाने के लिए कोतवाली में तहरीर दी थी।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।