वेतन विसंगति समिति अध्यक्ष से मिला राज्य कर्मियों का प्रतिनिधिमंडल, सिलसिलेवार रखी समस्या, मिला ये आश्वासन

सचिवालय में आयोजित बैठक में समिति के अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री के सचिव शत्रुघ्न सिंह के समक्ष कार्मिकों ने मांगों पर अपना प्रतिवेदन साक्ष्य सहित प्रस्तुत किया। परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें अवगत कराया गया कि पूर्व से ही राज्य के कार्मिकों की लम्बित मांगों को लेकर शासन व सरकार के स्तर पर बैठक व पत्र के माध्यम से सम्पर्क किया जाता रहा है। जिसके उपरान्त बैठकों में सहमति बनने पर कार्यवृत्त भी जारी किया गया है, किन्तु आज तक उस पर कार्रवाई लंबित है।
इन बिंदुओं पर की गई चर्चा
1-एसीपी की पूर्व व्यवस्था 10, 16 एवं 26 वर्ष को पदोन्नत पद के वेतनमान के साथ बहाली। इस संबंध में राज्य कर्मचारियों ने बताया कि पूर्व में तत्कालीन वित्त मंत्री स्व प्रकाश पन्त की अध्यक्षता में व तत्कालीन मुख्य सचिव सहित शासन के अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में की गई बैठक में सहमति बनी थी कि उन संवर्गों का जिन्हें पूरे सेवाकाल में 03 पदोन्नति का लाभ नहीं मिल पा रहा है, उनका अध्ययन कर आख्या प्रस्तुत की जाय। इससे कि तद्नुसार अग्रेतर कार्यवाही सम्पन्न की जा सके। ये मामला अभी भी लंबित है।
इस मांग पर समिति के अध्यक्ष शुत्रघ्न सिंह ने वित्त विभाग को उन संवर्गों की सूचना तत्काल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए, जिनको पूरे सेवाकाल में 03 पदोन्नति का लाभ पदोन्नति के रिक्त पदों के अभाव में नहीं मिल पा रहा है। साथ ही उन्होंने ऐसे कार्मिकों का विवरण भी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया, जिन्हें पूरे सेवाकाल में 30 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण न होने पर तीसरी एसीपी का लाभ नहीं प्राप्त हो रहा है।
2-कार्मिकों को एसीपी अनुमन्य किये जाने के लिए शासन की ओर से उत्कृष्ट के अंकन की शर्त रखी गयी है, जिसमें कर्मचारियो ने सुधार की आवश्यक बताई। कहा कि एसीपी अनुमन्य किये जाने के लिए पूर्व की व्यवस्था के अनुसार
सन्तोषजनक सेवा का ही आधार रखते हुए तद्नुसार संशोधन किया जाय। इस पर भी समिति के अध्यक्ष ने विचार करने का आश्वासन दिया।
3. प्रदेश के समस्त अधिकारियों और कर्मचारियों को पूरे सेवाकाल में पूर्व की भांति पदोन्नति में शिथिलीकरण का
लाभ देने की मांग की गई। बताया कि पूर्व में निर्णय लिया गया था कि मंत्रिमण्डल की आगामी बैठक में उक्त निर्णय पारित कर कार्मिकों को इसका लाभ दिया जायेगा, किन्तु लगभग 02 वर्ष के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। इसके क्रम में परिषद के संज्ञान में आया है कि उच्चस्तरीय पदों पर शिथिलीकरण के कारण होने वाली विसंगतियां इसको लागू करने में बाधक बनी हुई हैं। परिषद ने मांग की कि समूह-ग स्तर तक के कर्मचारियों को शिथिलीकरण का लाभ देने का निर्णय किया जाय। इस पर भी समिति के अध्यक्ष ने सकारात्मक रूप से संशोधन के लिए विचार का आश्वासन दिया गया।
4- राज्य कर्मियों को कैशलैस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराया जाना। कर्मचारियों ने बताया कि परिषद के साथ-साथ अन्य कार्मिक संगठनों के साथ राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अधिकारियों की बैठक वर्तमान में संचालित किये जा रहे गोल्डन कार्ड में आ रही विसंगतियों को लेकर की गई थी। बैठक में विभिन्न प्रकरणों पर कार्यवाही के लिए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा आश्वस्त किया गया था। अभी तक सुधारात्मक कार्यवाही किया जाना तो दूर, शासन से उक्त सुविधा को बन्द करने का निर्णय लिये जाने की सूचना समाचार माध्यमों से प्राप्त हो रही हैं। जबकि मुख्य सचिव के रूप में परिषद के साथ की गई बैठक में भी इस प्रकार की सुविधा राज्य के समस्त कार्मिकों एवं पेंशनरों को अनिवार्य रूप से दिये जाने का निर्णय किया गया था, किन्तु प्रदेश के कतिपय नकारात्मक विचारधारा वाले अधिकारियों के कारण गोल्डन कार्ड की योजना बन्द होने की कगार पर है। अनुरोध किया गया कि योजना में वांछित सुधार करते हुए प्रदेश के कार्मिकों को इसका पूरा लाभ दिया जाय। इस पर भी समिति ने परिषद से सहमत होते हुए योजना में सुधार कर कार्मिकों की मांगों के अनुसार योजना का लाभ दिये जाने का आश्वासन दिया।
5. चुतर्थ श्रेणी कार्मिकों को एसीपी के अन्तर्गत ग्रेड पे-4200 देने और मृत घोषित किये गये सभी पदों को पुर्न जीवित करने की मांग पर प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि राज्य में समूह-घ के कार्मिकों के ग्रेड वेतन क्रमश-1800, 1900, 2000
रखे गये हैं, जोकि भारत सरकार में लागू नहीं हैं। उक्त प्रकरण पर विगत बैठक में सचिव, वित्त को परीक्षण
करते हुए प्रस्ताव प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये थे। कार्यवाही आतिथि तक लम्बित है। इस पर भी साकारात्मक विचार का आश्वासन दिया गया।
6- जिन विभागों के कार्मिकों को शासनादेश संख्या 745 दिनांक 10 अक्टूबर 2013, के अनुसार वाहन भत्ता
नहीं दिया जा रहा है, उन्हें पूर्व की भांति वाहन भत्ता दिये जाने के लिए सम्बन्धित विभागाध्यक्षों को कड़े निर्देश
देने की मांग की गई। बताया कि वर्ष 2013 में किये गये शासनादेश के अनुरूप समस्त फील्ड कर्मचारियों को वाहन भत्ता अनुमन्य किये जाने के लिए वित्तिय हस्तपुस्तिका में संशोधन किया जाना है। अतः उसके मुताबिक संशोधन करते हुए पूर्व में किये गये आदेश की भांति वाहन भत्ता अनुमन्य किया जाय। इस मांग पर समिति ने परिषद से सहमत होते हुए मांगानुसार वित्तीय हस्तपुस्तिका में संशोधन कर विभागाध्यक्षों को अधिकृत किये जाने का आश्वासन दिया।
7- पुरानी पेंशन व्यवस्था को पुनः बहाल किया जाना। इस मांग पर समिति ने परिषद से नई पेंशन प्रणाली से होने वाली हानि का विवरण मांगा है। इसे परिषद ने जल्द उपलब्ध कराने की बात कही।
8- विभिन्न निगमों में कार्मिकों से की जा रही एसीपी की कटौती पर रोक लगाने की मांग पर भी चर्चा की गई। बताया कि
विभिन्न निगमों में शासन के आदेश के क्रम में विभागीय समिति से स्वीकृत की गयी एसीपी की कटौती की जा रही है। इसके प्रभाव से प्रत्येक कार्मिक से 5 लाख से लेकर 35 लाख रुपये तक की कटौती प्रस्तावित है, जबकि एसीपी स्वीकृत करने में सम्बन्धित कार्मिक की कोई भूमिका नही होती है। इस पर समिति के अध्यक्ष ने वित्त विभाग को प्रभावित कार्मिकों के प्रकरण पर पूर्व विवरण उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। साथ ही इस मामले में निदान का आश्वासन दिया।
9. निगम कर्मियों को भी राज्य कर्मियों के साथ ही वेतन भत्तों में की गयी बढ़ोतरी का लाभ अनुमन्य करने की मांग पर समिति की ओर से सकारात्मक रूप से विचार करने का आश्वासन दिया गया।
इसके अलावा अतिरिक्त वाणिज्य कर, जिला पंचायत, सहकारिता विभाग, लेखा संवर्ग, राजस्व विभाग, आबकारी, श्रम उद्योग रेशम, एम.डी.डी.ए व अन्य प्राधिकरण, विश्वविद्यालय एंव महाविद्यालय के शिक्षणेत्तर कर्मचारी व अन्य विभागों के विभिन्न संवर्गों की वेतन विसंगति के प्रकरणों पर भी चर्चा की गई। वेतन समिति के अध्यक्ष ने आश्वस्त किया गया कि समस्त प्रभावित कार्मिकों के प्रकरणों पर उनको आमंत्रित कर अवश्य सुनवाई की जायेगी। बैठक में परिषद की और से नन्द किशोर त्रिपाठी, अरूण पाण्डे, शक्ति प्रसाद भट्ट एवं चौधरी ओमवीर सिंह आदि कर्मचारी नेता शामिल थे।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।