शिक्षिका हेमलता बहुगुणा की कविता-सुनामी लहर

सुनामी लहर
तेरे किनारे बसे थे कुछ आस लेकर
मना रहे थें तुमको सबकुछ देकर
हंसी खुशी ज़िन्दगी गुज़ार रहे थे हम
ना जाने क्यों खफा हो गई हो तुम
आयी तू बड़ी तुफानी लहर बनकर
ले गयी सबकुछ छिन कहर बनकर
तूने सबको तवाह कर दिया
बर्बाद कर बेघर कर दिया
अनाथ बच्चों की रोती भीगी आंखें
फले पेड़ों से टूटी हुई ये शाखें
कोसती होंगी दुःखी आत्मा तुझेहर बार
तूने दीं भी तों जिन्दगी की मार
तू भी यह कर के पछताई होंगी
तेरी भी आंखें भर आई होगी
लाखों लोगों पर बन कर कहर
तू बन गई बेदर्दी सुनामी लहर।
कवयित्री का परिचय
नाम-हेमलता बहुगुणा
पूर्व प्रधानाध्यापिका राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सुरसिहधार टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।