Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

April 23, 2025

संवैधानिक संकट तो था बहाना, असली मकसद तो था तीरथ से पीछा छुड़ानाः सूर्यकांत धस्माना

अब पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के लिए चुनाव हो रहे हैं, तो एक बार फिर से सवाल उठता है कि उत्तराखंड में पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत के लिए चुनाव क्यों नहीं किए गए। असलीयत धीरे धीरे साफ हो रही है।

अब पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के लिए चुनाव हो रहे हैं, तो एक बार फिर से सवाल उठता है कि उत्तराखंड में पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत के लिए चुनाव क्यों नहीं किए गए। असलीयत धीरे धीरे साफ हो रही है। ये असलीयत है-संवैधानिक संकट तो था बहाना, असली मकसद तो था तीरथ से पीछा छुड़ाना। उत्तराखंड प्रदेश में त्रिवेंद्र सिंह रावत की विदाई के बाद जिस प्रकार से तीरथ सिंह रावत को प्रदेश की बागडोर सौंपी गई। भाजपा राष्ट्रीय नेतृत्व को ये लग रहा था कि तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड की राजनीति में आजाद शत्रु माने जाते थे। वे सभी गुटों में संतुलन को साध कर मोदी के नाम के सहारे राज्य में भारतीय जनता पार्टी की आगामी विधानसभा चुनाव में नैया पार कराएंगे। लेकिन सीएम बनने के दो दिन बाद ही फटी जींस पर बयान देकर न केवल उत्तराखंड और देश, बल्कि पूरी दुनियां में महिलाओं के क्रोध के कोपभाजन बने। साथ ही भाजपा की जगहंसाई कराई। फटी जींस का मामला ठंडा ही नहीं पड़ा था। मोदी की तुलना भगवान से कर दी। इस पर तीखी आलोचना हुई और भाजपा को जवाब देना भारी पड़ गया।
गजब तो तब हुआ, जब तीरथ सिंह ने अपनी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी जारी रखते हुए भारत को सो सौ साल अमेरिका का गुलाम होना बता दिया। तीरथ सिंह की इस बल्लेबाजी से राष्ट्रीय नेतृत्व के चयन पर सवाल उठने लगे। आम चर्चा हुई कि 57 विधायकों के होते हुए एक सांसद को लाने की क्या जरूरत पड़ी। जबकि भाजपा के पास अनेक विकल्प मौजूद थे। भाजपा ने अमेरिका का गुलाम रहने वाले बयान के बाद मन बना लिया कि अब तीरथ से पीछा छु़ड़वाना और विधानसभा का चुनाव एक साल से कम अवधि रहने के कारण संवैधानिक संकट का बहाना बनाकर तीरथ सिंह की विदाई कर दी।
कोविड ही बहाना था तो पश्चिम बंगाल में चुनाव कैसे हो रहा है। एक साल से कम समय का बहना है तो वो कोई संवैधानिक संकट नहीं था। इसे गिरधर गुमांगो के उदाहरण को देखा जा सकता है।
हालांकि उत्तराखंड में भाजपा ने साढ़े चार साल में तीन सीएम बदल दिए, लेकिन अभी तक तीनों ने ऐसा कोई काम नहीं किया, जिसे सीएम की उपलब्धि के तौर पर देखा जाए। प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। प्रदेश में बेरोजगारी दर भारत में सबसे ज्यादा है। महंगाई चरम पर है। कोरोनाकाल में अस्पतालों की अव्यवस्था, बेड के लिए तरसते मरीज, रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी, आइसीयू की कमी, ऑक्सीजन की कमी, दम तोड़ते मरीज, बदहाल व्यवस्था सभी देख चुके हैं। लोग नहीं भूले कि उत्तराखंड में सात मई को सर्वाधिक 9642 नए कोरोना संक्रमित मिले थे। 15 मई को सर्वाधिक 197 मौत दर्ज की गई थी।
सवाल अचानक क्यों हटाया त्रिवेंद्र को
मार्च माह में तब विधानसभा के गैरसैंण में आयोजित सत्र को अचानक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था। छह मार्च को तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित समस्त विधायकों को देहरादून तलब किया गया था। भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक वरिष्ठ भाजपा नेता व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह देहरादून आए थे। उन्होंने भाजपा कोर कमेटी की बैठक के बाद फीडबैक लिया था। इसके बाद उत्तराखंड में आगामी चुनावों के मद्देनजर मुख्यमंत्री बदलने का फैसला केंद्रीय नेताओं ने लिया था। नौ मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं, दस मार्च को भाजपा की विधानमंडल दल की बैठक में तीरथ सिंह रावत को नया नेता चुना गया। दस मार्च की शाम चार बजे उन्होंने एक सादे समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी। सवाल ये उठा कि त्रिवेंद्र को अचानक क्यों हटाया गया। यानी कि चार साल के कार्यकाल में उनकी कोई उपलब्धि नहीं थी। इसका जवाब भाजपा आज तक नहीं दे पाई है कि तीरथ का कार्यकाल बेहतर था या उन्होंने कुछ नहीं किया।
धामी ने ली थी 11वें सीएम के रूप में शपथ
रामनगर में आयोजित भाजपा के तीन दिनी चिंतन शिविर में भाग लेकर मंगलवार 29 जून शाम को पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत देहरादून पहुंचे थे। बुधवार 30 जून की सुबह वह दिल्ली के लिए रवाना हो गए। देर रात ही उनकी राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात करने की सूचना मिली। इसके साथ ही कई तरह की चर्चाओं ने तेजी से जोर पकड़ा। ये बुलावा भी अचानक आया। बताया गया कि पार्टी हाईकमान ने उन्हें दिल्ली तलब किया। इस बीच तीरथ सिंह रावत ने उसी रात राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। वह गृह मंत्री अमित शाह से भी मिले। इसके बाद शुक्रवार दो जुलाई को उत्तराखंड में उपचुनाव कराने को लेकर चुनाव आयोग को पत्र दिया। हालांकि चुनाव आयोग पहले ही कोविड काल में उपचुनाव कराने से मना कर चुका था। चुनाव आयोग को पत्र देने के बाद सूचना आई कि संवैधनिक संकट का हवाला देकर तीरथ ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर इस्तीफे की पेशकश की।
इसके बाद तीरथ सिंह रावत देहरादून पहुंचे और रात करीब नौ बजकर 50 मिनट पर उन्होंने सचिवालय में प्रेस कांफ्रेंस की और अपनी उपलब्धियां गिनाई। साथ ही सरकार के आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी। इसके बाद वह देर रात करीब 11 बजकर सात मिनट पर राजभवन पहुंचे और अपना इस्तीफा दिया। इसके बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के कारण संवैधानिक संकट खड़ा हुआ। इसलिए मैने इस्तीफा देना उचित समझा। जुलाई को भाजपा विधानमंडल की बैठक में पुष्कर सिंह धामी का नाम दल अध्यक्ष के रूप में तय किया गया। पर्यवेक्षक एवं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर एवं प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम बैठक के बाद उनके नाम की घोषणा की। चार जुलाई को पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के 11वें सीएम के रूप में शपथ ली।
लेखक का परिचय
सूर्यकांत धस्माना उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। वह कांग्रेस की मैनिफेस्टो कमेटी के संयोजक हैं। वह देवभूमि मानव सांसाधन विकास ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। इसके माध्यम से वह जनसेवा के कार्यों में जुटे हैं। वह देहरादून में डीएवी पीजी कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

Website |  + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page