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February 6, 2025

आप नेता कर्नल कोठियाल बोले-कैग रिपोर्ट ने खोली सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल

उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सीएम प्रत्याशी कर्नल (से.नि.) अजय कोठियाल ने उत्तराखंड में स्वास्थ्य स्वाओं को लचर बताते हुए प्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोला।

उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सीएम प्रत्याशी कर्नल (से.नि.) अजय कोठियाल ने उत्तराखंड में स्वास्थ्य स्वाओं को लचर बताते हुए प्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोला। कहा कि उत्तराखंड सरकार कितने ही झूठ बोलकर अपनी झूठी साख बचाने की कोशिश कर ले, लेकिन समय समय पर इनके स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी लापरवाही सामने आती रही है। इस बार कैग रिपोर्ट 2019-20 में उत्तराखंड हिमालय राज्यों में स्वास्थ्य के नाम पर सबसे कम बजट खर्च करने वाला राज्य निकला। इससे ये साबित होता कि उत्तराखंड की सरकार जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। वो भी तब जब यहां राज्य में स्वास्थ्य सेवाए खुद वेंटिलेटर पर हैं।
उन्होंने कैग द्वारा जारी रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए कहा कि ये हमारे प्रदेश के लिए बडे ही शर्म की बात है कि एक ओर हमारा राज्य देवभूमि के नाम से पूरे विश्व में जाना जाता है, तो दूसरी ओर बीजेपी सरकार की नाकामियों से हमारे प्रदेश को कई बार शर्मिंदगी उठाने को मजबूर होना पडा है। उन्होंने कहा कि कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उत्तराखंड का हेल्थ सेक्टर हिमालयी राज्यों में सबसे पीछे है। जो इस प्रदेश के लिए बहुत ही दुर्भाग्य की बात है। डबल इंजन का दम भरने वाली सरकार ने स्वास्थय सेवाओं पर कोई काम नहीं किया, इसके चलते उत्तराखंड को एक बार फिर जारी आंकडों से शर्मिंदा होना पडा है।
उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों के सापेक्ष उत्तराखंड राज्य में स्वास्थय सेवाओं पर सबसे कम बजट खर्च किया जाता है। विधानसभा के पटल पर रखी गई कैग रिपोर्ट 2019 – 2020 में राज्य में चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य में पूंजीगत व्यय पहले की तुलना में घटा है। इसका असर सीधे सीधे आम जनता की सेहत पर पडा है। 2018 -2019 में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 188 करोड का बजट दिया गया, जबकि अगले वर्ष 2019 – 2020 में यह बजट घटाकर 97 करोड कर दिया गया। कैग ने खुद सरकार को इस सेक्टर में बजट बढ़ाने का सुझाव सरकार को दिया है।
उन्होंने कहा कि एक संस्था एसडीसी के मुताबिक उत्तराखंड में जो बजट हैल्थ सैक्टर पर खर्च किया जाता है वो हिमालय राज्यों में सबसे कम 6.8 प्रतिशत है, जबकि जम्मू कश्मीर में ये खर्च 7.7 प्रतिशत, हिमाचल में 7. 6 प्रतिशत तो दिल्ली में ये बजट 16.7 प्रतिशत है। यानि की उत्तराखंड में स्वास्थ्य का बजट सबसे कम है। उन्होंने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के बुरे हाल हैं। आज भी कई अस्पताल ऐसे हैं जहां डाक्टरों के अभाव में मरीजों को कई मील दूर जाना पडता है। आज भी प्रदेश में इलाज ना मिल पाने और अस्पताल में सुविधाएं ना मिल पाने के एवज में कई प्रसूताएं रास्ते में ही बच्चों को जन्म दे देती हैं, या फिर दम तोड देती हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में एयर एंबुलेंस की सुविधाएं नहीं होने से आज भी कई लोग दम तोड देते हैं। लेकिन अगर कोई बडा नेता या वीआईपी हो तो उसको ये सुविधा आसानी से उपलब्ध हो जाती है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में पलायन की एक मुख्य वजह भी खराब स्वास्थ्य व्यवस्था है। इसके चलते यहां के लोगों को पलायन करना मजबूरी बन गई है। प्रदेश के कई अस्पताल ऐसे हैं जहां ऑपरेटर हैं, तो मशीनें नहीं हैं और अगर मशीनें हैं तो बिना आपरेटर के जंग और धूल खा रही हैं। यहां हर महीने सरकार कर्मचारी की तनख्वाह और पेंशनरर्स की पेंशन से एक निधार्रित रकम गोल्डन कार्ड के लिए काटी जाती है, लेकिन जब उस कार्ड को अस्पतालों में लेकर जाओ तो कई अस्पताल उस कार्ड पर इलाज नहीं करते। पूरा पैसा नकद वसूलते हैं और कोराना काल में ऐसे कई मामले मीडिया ने उजागर भी किए।
उन्होंने एसडीसी फाउंडेशन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में प्रति व्यक्ति, प्रतिदिन 5 रु 38 पैसे खर्च किया जाता है जो हिमालयी राज्यों में सबसे कम है। जो स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति सरकार की उदासीनता को दर्शाता है। अब जनता ऐसी सरकार से ऊब चुकी है। आने वाले समय में चुनावों के बाद जब आप पार्टी की सरकार सत्ता में आएगी तो हर गरीब को मुफ्त और बेहतर इलाज की सुविधाएं उपलब्ध कराएगी। राज्य के सभी अस्पतालों में बेहतर इलाज के साथ प्रॉपर डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ की व्यवस्था की जाएगी। ताकि स्वास्थ्य को लेकर उत्तराखंड की जनता को अब और दिक्कत न सहनी पड़े।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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