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June 27, 2025

अफगानिस्तान में दून के 300 से अधिक लोग फंसे, वीडियो भेजकर लगाई मदद की गुहार, सीएम धामी ने दिया भरोसा

अफगानिस्तान में तेजी से बदले घटनाक्रम के बाद तालिबान का कब्जा हो गया है। ऐसे में अफगान के आम नागरिकों के साथ ही दूसरे देशों के लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

अफगानिस्तान में तेजी से बदले घटनाक्रम के बाद तालिबान का कब्जा हो गया है। ऐसे में अफगान के आम नागरिकों के साथ ही दूसरे देशों के लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। तालिबानी शासन की शुरुआत होने के बाद से ही भारत का फोकस वहां पर फंसे अपने लोगों को निकालने पर रहा है। अभी तक भारतीय दूतावास के अधिकारियों, स्टाफ, सुरक्षाकर्मियों को वापस लाया गया है।अब अन्य भारतीयों को वापस लाने पर फोकस है, जानकारी के मुताबिक करीब 1650 भारतीयों ने काबुल स्थित भारतीय दूतावास में मदद की गुहार लगाई है। बताया जा रहा है कि इनमें उत्तराखंड के लोग भी शामिल हैं। इनमें देहरादून जिले से ही करीब 300 लोग हैं। एक उत्तराखंड के व्यक्ति ने वीडियो भेजकर मदद की गुहार भी लगाई। बताया कि 140 लोग दून के वहां फंसे हुए हैं। निकलने का कोई रास्ता तक नहीं मिल रहा है।
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, विदेश मंत्रालय द्वारा अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों के लिए हेल्पलाइन नंबर, ई-मेल आईडी जारी किए गए थे। इसी बीच करीब 1650 भारतीयों ने वतन वापसी के लिए अप्लाई किया है। माना जा रहा है कि अब जब तालिबानी राज़ का आगाज हो गया है, तो ये संख्या बढ़ भी सकती है। भारत ने बीते दिन तक करीब 150 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया है। इनमें अधिकतर भारतीय दूतावास में काम करने वाले लोग ही हैं। अन्य हिस्सों में फंसे भारतीय कर्मचारी और अन्य लोगों को निकालने पर भी ज़ोर दिया जा रहा है।
दून के भी तीन सौ से अधिक लोग अफगानिस्तान में फंसे हैं। जो चार दिन से एक जगह पर हैं, लेकिन उन्हें एयरपोर्ट जाने का रास्ता नहीं मिल पा रहा है। इनमें से कुछ लोग वीडियो जारी कर भारत सरकार ने लगातार मदद की गुहार लगा रहे हैं। इधर उनके परिजनों की सांसें अटकी हुई हैं। वे उनकी सलामती और  सुरक्षित वापसी के लिए लगातार प्रार्थना कर रहे हैं।
अफगानिस्तान में फंसे दून के लोगों में ज्यादातर पूर्व सैनिक हैं जो वहां के यूरोपियन, ब्रिटिश एंबेसी सहित अन्य जगहों पर सुरक्षा में तैनात थे। दून गल्वाडी, अनारवाला, गजियावाला, डोईवाला, नेहरूग्राम सहित विभिन्न स्थानों में रह रहे उनके परिजन सोशल मीडिया पर उनके वीडियो देख हलाकान हो गए हैं। उनकी आंखों में आंसू हैं। हर वक्त उनके कान और आंखें टीवी और फोन पर टिकी हुई है। जिन लोगों के पति, भाई और अन्य रिस्तेदार अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं, उनका कहना है कि मजबूरी में सभी लोग  नौकरी के लिए अफगानिस्तान गए। अगर लोगों को भारत में ही अच्छी सैलरी और नौकरी मिलती तो उन्हें वहां जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। कहा कि भारत सरकार को अब इस बारे में सोचना चाहिए।
काबुल में फंसे नेहरू ग्राम निवासी नरेंद्र के साथ ही इंद्रानगर गल्जवाड़ी निवासी श्याम ठकुरी ने वीडियो के जरिए परिजनों को बताया कि वह चार दिन से एक ही कैंप में फंसे हुए हैं। यहां 140 भारतीय एक ही कमरे में हैं। न तो उन्हें खाने को कुछ मिला है और न ही सो पाए हैं। बैठने और रहने की कोई व्यवस्था नहीं है। जिस कंपनी में वह काम करते थे, उसने उन्हें छोड़ दिया है। वह भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि वह सभी को यहां से सुरक्षित निकाल लें। प्रदेश के कई लोग दूतावासों में शरण लिए हैं। दूसरी तरफ, यहां उनके घर में भी दहशत का माहौल है। चिंता और भय से घिरे स्वजन परेशान हैं। लगातार अपनों से संपर्क कर उनका हाल पूछ रहे हैं।
सीएम धामी ने दिया भरोसा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि अफगानिस्तान में उत्तराखंड के जो लोग फंसे हुए हैं, उन्हें वापिस सकुशल लाने के लिए राज्य सरकार हर सम्भव प्रयास कर रही है। ये लोग जल्द ही सकुशल अपने घर वापस आ जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कल ही इस संबंध में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में भी बात कर आवश्यक कार्यवाही करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम केन्द्र सरकार के लगातार सम्पर्क में हैं। केन्द्र सरकार द्वारा अफगानिस्तान से प्रत्येक भारतीय की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की जा रही है।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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