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November 12, 2024

डिप्टी सीएम का आदेश, सड़क पर बोरा बेचने निकले शिक्षक, नहीं मिल रहे खरीददार, जानिए कारण

उप मुख्यमंत्री का आदेश आने के बाद शिक्षकों की समस्या बढ़ गई। ऐसे में कोई चारा न देखते हुए वे सड़क पर बोरा बेचने निकल गए। इसके बाद भी मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है।

उप मुख्यमंत्री का आदेश आने के बाद शिक्षकों की समस्या बढ़ गई। ऐसे में कोई चारा न देखते हुए वे सड़क पर बोरा बेचने निकल गए। इसके बाद भी मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है। क्योंकि उनके बोरों का खरीददार कोई नहीं मिल रहा है। कारण ये है कि बोरे घटिया हैं, उन्हें चूहों ने कुतरा हुआ है। अब यदि बोरे नहीं बिकते तो उन्हें अपने जेब से सरकारी खाते में बोरों की रकम जमा करनी पड़ सकती है।
ये मामला बिहार राज्य का है। उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के गृह जिले कटिहार के कदवा विधानसभा क्षेत्र के कदवा सौनैली बाजार का एक वीडियो वायरल हुआ है। वीडियो में एक सरकारी शिक्षक मध्याह्न भोजन योजना (मिड-डे मील) के तहत स्कूलों में आए राशन के खाली बोरे बेच रहे हैं। उनका कहना है कि वो सरकार से मिले आदेश के बाद ऐसा कर रहे हैं।
कोरोना संकट के बाद भले ही स्कूल खुल गए हों, लेकिन शिक्षक मोहम्मद तमिजुद्दीन पढ़ाई लिखाई छोड़कर सरकार के आदेश पर बाजार में 10 रुपये प्रति बोरा बेचने को निकल पड़े। उन्होंने बताया कि खाली बोरे की बिक्री कर इस राशि को मध्याह्न भोजन के खाते में जमा करने का सरकार ने आदेश दिया है। विभागीय आदेश के खिलाफ शिक्षक ने सड़क पर अनूठे ढंग से प्रदर्शन किया है। उनके हाथ में तख्ती है। साथ ही छाती पर भी उन्होंने स्लोगन लिखे कागज को चिपकाया हुआ है।
विभागीय आदेश के अनुसार मिड-डे मील के तहत वर्ष-2014-15 एवं वर्ष 2015-16 में विद्यालयों को उपलब्ध कराए गए चावल के खाली बोरे को 10 रुपया प्रति बोरा की दर से बिक्री कर उक्त राशि को जमा करने का आदेश निर्गत किया गया है। इस आदेश के तामील में शिक्षक खाली बोरे को घूम-घूम कर बेचने लगे। शिक्षकों की मुसीबत तब और बढ़ गई, जब बोरों का कोई खरीददार नहीं मिल रहा। क्योंकि विद्यालयों में जो चावल के बोरे उपलब्ध कराए गए थे, वह अधिकतर या तो कटे-फटे हैं या फिर रखे-रखे चूहों ने उसे कुतर दिया है। लोग भी 10 रुपये देकर फटे बोरे नहीं लेना चाह रहे हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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