सेवाविस्तार को एक अधिकारी ने लगाया पूरा जोर, जानिए कितने नेताओं की लाए सिफारिश, डकैतों ने बताया था इनका नाम
उत्तराखंड के देहरादून में आरटीओ में टेक्निकल निरीक्षक। सेवानिवृत्ति से पहले सेवा विस्तार को लेकर लगा दी पूरी ताकत। कैबिनेट मंत्री, भाजपा सांसद, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के सिफारिशी पत्र सीएम तक पहुंचे। हालांकि इन पत्र पर कोई एक्शन नहीं हुआ और वे समय पर ही रिटायर्ड हो गए। ये वही निरीक्षक थे, डकैती में पकड़े गए गिरोह के सदस्यों ने जिनके घर करोड़ों रुपये मिलने की बात कही थी और उन्होंने घर में डकैती की घटना को दबा दिया था। अब उन्हें सेवा विस्तार देने को लेकर सिफारिशी पत्रों पर बवाल मचा है। हालांकि पत्र उनके सेवानिवृत्ति से पहले के हैं।
ये लगे थे आरोप
उत्तराखंड राज्य परिवहन विभाग के रिटायर्ड संभागीय निरीक्षक आलोक गुप्ता के घर में 26 मई, 2019 को डकैती (Dacoity) पड़ी थी। डकैत आलमारी और बेड के नीचे रखे एक करोड़ 31 लाख रुपए लूटकर ले गए थे। बताया गया कि आलोक गुप्ता ने डकैती की किसी को कानों-कान खबर नहीं लगने दी। इसके बाद 22, सितंबर 2019 में भारत के क्रिकेटर अभिमन्यु ईश्वरन के पिता एवं अभिमन्यू क्रिकेट एकेडमी के संचालक आरपी ईश्वरन के घर पर भी डकैती की वारदात सामने आई। पुलिस ने इसकी जांच करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया। तब आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि 26 मई को भी उन्होंने देहरादून के वसंत विहार इलाके स्थित एक घर में डकैती डालकर एक करोड़ 31 लाख की कैश लूटा था।
पुलिस निशानदेही के लिए जब आरोपियों को घटनास्थल पर ले गई तो पता चला कि वो घर आरटीओ से जुड़े एक अधिकारी का है। यह अधिकारी संभागीय निरीक्षक आलोक गुप्ता थे। आलोक गुप्ता ने इतनी बड़ी रकम की डकैती होने की पुलिस को सूचना नहीं दी थी। ऐसे में यह बात उठती है कि आखिर क्यों उन्होंने पुलिस से यह बात छिपाई? दरअसल अगर पुलिस को डकैती की सूचना दी जाती तो आलोक गुप्ता को घर से लूटी गई करोड़ों की नगदी की डिटेल देनी पड़ती। सवाल उठता है कि आलोक गुप्ता के घर डेढ़ करोड़ की नगदी कहां से आई थी।
31 जुलाई को हुए रिटायर, लेकिन सेवा विस्तार को लगाया पूरा जोर
बता दें कि आलोक गुप्ता बीते 31 जुलाई को रिटायर हो चुके हैं। इससे पहले उन्होंने सेवाविस्तार के लिए पूती ताकत झोंक दी। ऐसे में पता चलता है कि आलोक गुप्ता का सियासी दखल ठीक-ठाक है। उन्हें सेवाविस्तार देने के लिए भाजपा से हरिद्वार विधायक एवं वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने 17 जून, नैनीताल उधमसिंह नगर सांसद अजय भट्ट ने 20 जून और कैबीनेट मंत्री गणेश जोशी ने 10 जुलाई को आलोक गुप्ता की सिफारिश में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह रावत को सिफारिशी पत्र लिखे।
पत्र की भाषा
तीनों पत्रों में कहा गया है कि अलोक कुमार संभागीय निरीक्षक टेक्निकल वर्तमान में परिवाहन विभाग में देहरादून कार्यालय में ग्रेड पे 4600 में तैनाीत हैं। 31 जुलाई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इनकी वास्तविक परिस्थिति से भली भांति भिज्ञ हूं। मेहनत ईमानदारी व्यवहार कुशल तथा तकनीकी कार्यों में निपुणता रखते हैं। संभागीय निरीक्षक के आठ पद रिक्त हैं। इन्हें भरने में दो तीन साल लग जाएंगे। स्वस्थ हैं एक वर्ष का सेवा विस्तार दिया जाता है तो विभाग के हित में होगा।
कांग्रेस ने मचाया बवाल
भले ही आलोक गुप्ता सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन उनकी सिफारिश को लेकर लिखे गए पत्रों के अब बाहर आने पर सत्तारूढ़ बीजेपी विपक्ष के निशाने पर आ गई है। इस संबंध मे उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हाल ही में कहा कि एक भ्रष्ट अफसर को सेवा विस्तार देने के लिए मंत्रियों की सिफारिश ही बीजेपी का असली चेहरा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के खाने के दांत कुछ और, दिखाने के दांत कुछ और हैं। उन्होंने आगे कहा कि दिखावा के लिए वो कहते हैं भ्रष्टाचार के विरोध में हैं, लेकिन भ्रष्टाचार उनका श्रंगार है, भोजन है। वहीं, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि डेढ़ करोड़ रुपये की डकैती छुपाने वाले आलोक कुमार गुप्ता जैसे लोगों को बीजेपी ही ईमानदार बताकर सेवा विस्तार दे सकती है। उन्होंने तत्काल प्रभाव से आलोक गुप्ता का सेवा विस्तार रद्द करने की मांग की।
22 जुलाई को आदेश करने पड़े थे सरकार को
ऐसे नहीं है कि इस तरह के और भी पत्र सीएम को नहीं मिलते हैं। ऐसे पत्रों के कारण ही उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी को 22 जुलाई को एक आदेश के जरिये सिफारिश की परिपाटी पर अंकुश लगाने का प्रयास किया। उन्होंने आदेश के जरिये सिफारिशी लोगों को पिछले नियमों को याद दिलाया। इसे लेकर सचिव कार्मिक अरविंद सिंह ह्यांकी ने शासन की ओर से आदेश जारी किए थे। इसमें समस्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को सरकार की तरफ से पत्र भेजा है। इसमें उन नियमों की याद दिलाई गई, जो 1968 से हैं।
इसमें कहा गया है कि-मुझे आपका ध्यान THE ALL INDIA SERVICES (CONDUCT) RULES, 1968 के नियम 18 की और आकृष्ट करते हुए यह स्पष्ट करने का निर्देश हुआ है कि संदर्भित नियम-18 के अनुसार संवर्ग के सदस्य द्वारा अपने सेवा सम्बंधी प्रकरणों को लेकर अपने उच्चतर प्राधिकारियों पर राजनैतिक अथवा किसी भी अन्य प्रकार का दबाव बनाने की चेष्टा करना निषिद्ध है। सुलभ संदर्भ हेतु संगत नियम 18 निम्नवत उद्धृत है।
अतः संवर्ग के प्रत्येक सदस्य से यह अपेक्षित हैं कि कृपया THE ALL INDIA SERVICES (CONDUCT) RULES, 1968 के उक्त संदर्भित नियम-18 का अक्षरशः पालन सुनिश्चित करें। सन्दर्भित नियम के उल्लंघन की दशा में सम्बन्धित सदस्य / अधिकारी की सेवा पुस्तिका में यथोचित अंकन करने हेतु शासन की बाध्यता होगी।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।