शिक्षक एवं कवि रामचन्द्र नौटियाल की गढ़वाली कविता-कख हरचि आज
रामचन्द्र नौटियाल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गड़थ विकासखंड चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी में भाषा के अध्यापक हैं।
कख हरचि आज
हमारा पुराणा रीति रिवाज
कख हरचि आज
हमारा पुराणा साज बाज
ब्यो बरात्युं म मांगळ
नि सुणेन्दा कखि
पता नि
हरचि होला जखि
नि सुणेन्दा कखि
बाजूबन्द क गीत
पता नि जख
हरचि होलि य रीत
तान्दि क गीत
छ्यूडा पवाडा
नवति क ढोल
चैति क बोल
पैसारा सारंगी
शबद कखन सुणेणि
अब त बजिगि
डीजे अर बैण्ड
जैन खुयेलि सब कु मैण्ड
मेरि भि पुकार सुण
विदेशी संस्कृति म इतन
काणा नि बण
अपणि संस्कृति
रिवाज छोडिक बिराणा
नि बण तब तक नि
ह्वे सकदु कै राज्य देश कु
विकास
जब तक नि करो हम अपणि
भाषा संस्कृति कु सम्मान
कु प्रयास
कवि का परिचय
रामचन्द्र नौटियाल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गड़थ विकासखंड चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी में भाषा के अध्यापक हैं। वह गांव जिब्या पट्टी दशगी जिला उत्तरकाशी उत्तराखंड के निवासी हैं। रामचन्द्र नौटियाल जब हाईस्कूल में ही पढ़ते थे, तब से ही लेखन व सृजन कार्य शुरू कर दिया था। जनपद उत्तरकाशी मे कई साहित्यिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।