कुंभ के दौरान आरटी-पीसीआर घोटाले को कांग्रेस बनाएगी राजव्यापी मुद्दा, पार्टी ने तैयार कर रही रोडमैपः धस्माना
उत्तराखंड में कुंभ के दौरान हरिद्वार में हुए कोरोना जांच घोटाले को कांग्रेस पार्टी राज्यव्यापी बड़ा मुद्दा बनाने जा रही है। इसके लिए पार्टी रोडमैप तैयार कर रही है।
उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि महाकुंभ सनातनी हिंदुओं की आस्था श्रद्धा व विश्वास से जुड़ा है। इस आयोजन में आने वाले शत प्रतिशत लोग हिन्दू होते हैं। धस्माना ने कहा कि ऐसे आयोजन में श्रद्धालुओं की सेहत व जान से खेलने का जो घृणित काम कोरोना की जांच में सरकार की नाक के नीचे हुआ है, उससे भाजपा का चेहरा सबके सामने आ गया है।
उन्होंने कहा कि जिस कम्पनी ने यह काम किया, उसके मालिकों की नजदीकी भाजपा के बड़े नेताओं के साथ होने के सुबूत सामने आ रहे हैं। उसी से भाजपा का असली चेहरा बेनकाब हो गया है। इसके बावजूद घोटाले की जांच की औपचारिकताएं की जा रही हैं। इससे स्पष्ट हो गया है कि राज्य की भाजपा सरकार इस पूरे महाघोटाले के दोषियों को बचाने का प्रयास कर रही है। घोटालेबाजों के पीछे कौन सी शक्तियां हैं, उनका पर्दाफाश न हो, ऐसा प्रयास भी किया जा रहा है। कांग्रेस ने यह संकल्प कर लिया है कि इस महाघोटाले का पर्दाफाश करके रहेगी।
उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार को कांग्रेस हाई कोर्ट के माननीय सिटिंग जज की निगरानी में जांच कराने के लिए राज्य भर में इसे बड़े आंदोलन का रूप दे कर मजबूर करेगी। इसी कड़ी में कल हरिद्वार में आंदोलन का श्री गणेश हो चुका है। अब आगामी 27 जून रविवार को प्रदेश भर में जिला मुख्यालयों पर राज्य सरकार का पुतला दहन किया जाएगा। उसके बाद राज्य भर में प्रत्येक विधानसभा में प्रदर्शन व तत्पश्चात ब्लॉक व न्याय पंचायत व वार्ड स्तर तक आंदोलन की रूप रेखा बनाई जा रही है।
धस्माना ने कहा कि राज्य में दूसरी लहर में जो तबाही हुई है। उस पर माननीय न्यायालय नैनीताल की ओर से लगाई गई फटकार अपने आप में यह बात साबित करने के लिए काफी है कि इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार की लापरवाही बड़ी वजह है।
ये है फर्जीवाड़ा
उत्तराखंड में हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था। जांच में कम से कम एक लाख कोरोना टेस्ट फर्जी पाए गए। एक जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि उत्तराखंड सरकार की तरफ से कुंभ मेले के दौरान कराई जाने वाली कोरोना टेस्टिंग के लिए एक प्राइवेट एजेंसी ने इतनी बड़ी जांच में कम से कम एक लाख फर्जी रिपोर्ट जारी की थीं।
बता दें कि हरिद्वार में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक कुंभ उत्सव का आयोजन किया गया था। इस दौरान 22 प्राइवेट लैब्स की तरफ से लगभग 4 लाख कोरोना टेस्ट किए गए थे। फरीदकोट पंजाब निवासी एक व्यक्ति ने आइसीएमआर से कोरोना जांच में फर्जीवाड़े की शिकायत की थी। इस व्यक्ति के मोबाइल पर कोरोना जांच का संदेश पहुंचा था, जबकि उसकी कभी कोरोना जांच हुई ही नहीं।
राज्य के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने मामले की प्रारंभिक जांच कराई। कोविड-19 मामलों के चीफ कंट्रोलिंग आफिसर डा. अभिषेक त्रिपाठी के स्तर से की गई इस जांच में प्रथमदृष्टया शिकायत सही पाई गई। यही नहीं, उन्होंने एक लाख से अधिक कोरोना जांच में गड़बड़ी की आशंका जाहिर की है। डा. त्रिपाठी ने शासन को सौंपी अपनी रिपोर्ट में मामले को गंभीर बताते हुए इसकी विस्तृत जांच की सिफारिश की थी। इसके मद्देनजर स्वास्थ्य सचिव ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को कुंभ मेला अवधि, इससे पहले और इसके बाद हुई कोरोना जांच की विस्तृत छानबीन के निर्देश दिए थे।
कुंभ मेले के दौरान श्रद्धालुओं की कोरोना जांच में धांधली की असलियत का पता लगाने के लिए जिलाधिकारी सी रविशंकर ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता में गठित समिति में मुख्य कोषाधिकारी और जिला विकास अधिकारी शामिल थे।
मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता वाली एक समिति की ओर से की गई जांच में निजी एजेंसी की रिपोर्ट में कई अनियमितताएं पाई गईं। जांच में पाया गया है कि इसमें 50 से अधिक लोगों को रजिस्टर्ड करने के लिए एक ही फोन नंबर का उपयोग किया गया था। वहीं एक एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी।
सबसे बड़े फर्जीवाड़े की ये है कि एक ही घर से 530 सैम्पल लिए गए। जांच से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि-पते और नाम फर्जी थे। हरिद्वार में ‘हाउस नंबर 5’ से ही लगभग 530 सैंपल लिए गए। क्या एक ही घर में 500 से अधिक लोग रह सकते हैं? फोन नंबर भी फेक थे और कानपुर, मुंबई, अहमदाबाद और 18 अन्य जगहों के लोगों ने एक ही फोन नंबर शेयर किए।
ये भी बताया गया कि एजेंसी में रजिस्टर्ड करीब 200 नमूना संग्राहक छात्र और डेटा एंट्री ऑपरेटर या राजस्थान के निवासी निकले, जो कभी हरिद्वार ही नहीं गए थे। सैंपल लेने के लिए एक सैंपल कलेक्टर को शारीरिक रूप से मौजूद होना पड़ता है। एक अफसर ने बताया कि- जब हमने एजेंसी के साथ रजिस्टर्ड सैंपल कलेक्टर्स से संपर्क किया, तो हमने पाया कि उनमें से 50 फीसदी राजस्थान के निवासी थे, जिनमें से कई छात्र या डेटा एंट्री ऑपरेटर थे।
दर्ज हुए हैं मुकदमें
चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार द्वारा नगर कोतवाली के मैक्स, लाल चंदानी कंपनी व नलवा लेब्रोट्रीज के के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ आपदा प्रबंधन एक्ट के साथ 420,467,468,128 समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। साथ ही एसआइटी का भी गठन कर दिया है। इससे पहले मैक्स की ओर से भी हाईकोर्ट में इसी तरह की याचिका दाखिल की जा चुकी है।
मामले की एसआइटी कर रही जांच
कुंभ के दौरान कोरोना जांच घोटाले की जांच एसआइटी कर रही है। इसके अलावा सीडीओं के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम अलग से जांच कर रही है। दो दिन पहले ही कोरोना जांच कंपनी मैसर्स मैक्स कारपोरेट सर्विसेज नई दिल्ली व नलवा लेबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड हरियाणा व डा. लाल चंदानी लैब नई दिल्ली पर नामजद मुकदमा भी दर्ज किया गया है। मामले में सीएमओ डा. शंभू कुमार झा व मेलाधिकारी डा. अर्जुन सिंह सेंगर के बयान भी दर्ज कर चुकी है। साथ ही टेंटिंग कंपनी अधिकारियों को हरिद्वार तलब भी किया गया है। वहीं, कंपनियां गिरफ्तारी के विरोध में हाईकोर्ट नैनीताल पहुंच गई हैं। साथ ही कंपनियों की ओर से जांच में सहयोग की बात कही गई है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
फर्जीवाड़ा बहुत गहरा है, जांच के साथ बीजेपी का नकाब उतरना जरूरी है