कुंभ में कोरोना टेस्टिंग घोटाले के विरोध में हरिद्वार में धरने और उपवास पर बैठे कांग्रेसी, 27 जून को फूकेंगे सरकार का पुतला

कुंभ के दौरान कोरोना जांच महाघोटाले की जांच हाई कोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में कराने की अपनी मांग पर अड़ी कांग्रेस ने आज हरिद्वार में उपवास कार्यक्रम आयोजित कर अब इस आंदोलन को पूरे प्रदेश भर में एक बड़ा मुद्दा बना दिया। सरकार पर कुंभ जैसे पवित्र हिन्दू पर्व के आयोजन में भ्रष्टाचार और प्रदेश व देश के लोगों की सेहत से खिलवाड़ का आरोप लगाते हुए भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा किया। हरिद्वार में हरकी पैड़ी स्थित सुभाष घाट पर धरने के दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने आगामी रविवार 27 जून को प्रदेश के सभी जिलों में राज्य सरकार का पुतला दहन करने का आह्वान किया है।
धरने के बाद प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने प्रेस को बताया कि पार्टी ने यह तय कर लिया है कि वो इस पूरे घोटाले का जनता के सामने पूरी तरह से पर्दाफाश करेगी। इसके लिए पार्टी चरणबद्ध तरीके से आंदोलन चलाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पहले दिन से इस पूरे घोटाले की जांच माननीय उच्च न्यायालय के सिटिंग जज की निगरानी में करवाने की मांग की थी। घोटाले में शामिल कंपनी व उसके मालिकान सत्ताधारी पार्टी बीजेपी व राज्य सरकार के मंत्रियों व अधिकारियों के बेहद करीबी हैं। इसलिए जांच के नाम पर केवल औपचारिकताएं हो रही है। साथ ही मामला रफा दफा करने के भी तरीके सरकार व भाजपा तलाश कर रही है। इसलिए अब प्रदेश भर में व्यापक जन आंदोलन खड़ा करके ही इस मांग को मनवाया जा सकता है। धस्माना ने कहा कि जिला मुख्यालय के बाद सभी विधानसभाओं व तत्पश्चात सभी ब्लॉकों और तहसीलों पर प्रदर्शन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह केवल आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि कुंभ के दौरान कोरोना की दूसरी लहर में लाखों लोगों की असमय मृत्यु के लिए सीधे उत्तराखंड की भाजपा सरकार को दोषी है। सरकार के जिम्मेदारों पर हत्या का मुकद्दमा कायम किया जाना चाहिए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में उपवास में कांग्रेस की सह प्रभारी दीपिका सिंह, पूर्व सांसद एवं प्रदेश उपाध्यक्ष महेन्द्रपाल, उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी, पूर्व मंत्री तिलक राज बेहड़, उप नेता कांग्रेस विधायक दल करण माहरा, विधायक काज़ी निज़ामुद्दीन, विधायक आदेश चौहान, विधायक ममता राकेश, विधायक राजकुमार, पूर्व विधायक रंजीत रावत, पूर्व विधायक रामयश सिंह, पूर्व विधायक राजकुमार
पूर्व विधायक सरिता आर्या, मेयर अनीता शर्मा, आर्येंद्र शर्मा, महामंत्री पीसीसी संजय पालीवाल, विजय सारस्वत, राजेन्द्र शाह, सतपाल ब्रह्मचारी, शूरवीर सिंह सजवाण, संजय अग्रवाल, संजय किशोर, गौरव चौधरी, गरिमा दसौनी, कमलेश रमन, प्रतिमा सिंह, लाल चंद शर्मा, महेश जोशी, कुलदीप जखमोला, गौतम सोनकर, जयेंद्र रमोला, विनय सारस्वत
आदि बैठे।
ये है फर्जीवाड़ा
उत्तराखंड में हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था। जांच में कम से कम एक लाख कोरोना टेस्ट फर्जी पाए गए। एक जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि उत्तराखंड सरकार की तरफ से कुंभ मेले के दौरान कराई जाने वाली कोरोना टेस्टिंग के लिए एक प्राइवेट एजेंसी ने इतनी बड़ी जांच में कम से कम एक लाख फर्जी रिपोर्ट जारी की थीं।
बता दें कि हरिद्वार में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक कुंभ उत्सव का आयोजन किया गया था। इस दौरान 22 प्राइवेट लैब्स की तरफ से लगभग 4 लाख कोरोना टेस्ट किए गए थे। फरीदकोट पंजाब निवासी एक व्यक्ति ने आइसीएमआर से कोरोना जांच में फर्जीवाड़े की शिकायत की थी। इस व्यक्ति के मोबाइल पर कोरोना जांच का संदेश पहुंचा था, जबकि उसकी कभी कोरोना जांच हुई ही नहीं।
राज्य के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने मामले की प्रारंभिक जांच कराई। कोविड-19 मामलों के चीफ कंट्रोलिंग आफिसर डा. अभिषेक त्रिपाठी के स्तर से की गई इस जांच में प्रथमदृष्टया शिकायत सही पाई गई। यही नहीं, उन्होंने एक लाख से अधिक कोरोना जांच में गड़बड़ी की आशंका जाहिर की है। डा. त्रिपाठी ने शासन को सौंपी अपनी रिपोर्ट में मामले को गंभीर बताते हुए इसकी विस्तृत जांच की सिफारिश की थी। इसके मद्देनजर स्वास्थ्य सचिव ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को कुंभ मेला अवधि, इससे पहले और इसके बाद हुई कोरोना जांच की विस्तृत छानबीन के निर्देश दिए थे।
कुंभ मेले के दौरान श्रद्धालुओं की कोरोना जांच में धांधली की असलियत का पता लगाने के लिए जिलाधिकारी सी रविशंकर ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता में गठित समिति में मुख्य कोषाधिकारी और जिला विकास अधिकारी शामिल थे।
मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता वाली एक समिति की ओर से की गई जांच में निजी एजेंसी की रिपोर्ट में कई अनियमितताएं पाई गईं। जांच में पाया गया है कि इसमें 50 से अधिक लोगों को रजिस्टर्ड करने के लिए एक ही फोन नंबर का उपयोग किया गया था। वहीं एक एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी।
सबसे बड़े फर्जीवाड़े की ये है कि एक ही घर से 530 सैम्पल लिए गए। जांच से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि-पते और नाम फर्जी थे। हरिद्वार में ‘हाउस नंबर 5’ से ही लगभग 530 सैंपल लिए गए। क्या एक ही घर में 500 से अधिक लोग रह सकते हैं? फोन नंबर भी फेक थे और कानपुर, मुंबई, अहमदाबाद और 18 अन्य जगहों के लोगों ने एक ही फोन नंबर शेयर किए।
ये भी बताया गया कि एजेंसी में रजिस्टर्ड करीब 200 नमूना संग्राहक छात्र और डेटा एंट्री ऑपरेटर या राजस्थान के निवासी निकले, जो कभी हरिद्वार ही नहीं गए थे। सैंपल लेने के लिए एक सैंपल कलेक्टर को शारीरिक रूप से मौजूद होना पड़ता है। एक अफसर ने बताया कि- जब हमने एजेंसी के साथ रजिस्टर्ड सैंपल कलेक्टर्स से संपर्क किया, तो हमने पाया कि उनमें से 50 फीसदी राजस्थान के निवासी थे, जिनमें से कई छात्र या डेटा एंट्री ऑपरेटर थे।
दर्ज हुए हैं मुकदमें
चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार द्वारा नगर कोतवाली के मैक्स, लाल चंदानी कंपनी व नलवा लेब्रोट्रीज के के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ आपदा प्रबंधन एक्ट के साथ 420,467,468,128 समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। साथ ही एसआइटी का भी गठन कर दिया है। इससे पहले मैक्स की ओर से भी हाईकोर्ट में इसी तरह की याचिका दाखिल की जा चुकी है।
मामले की एसआइटी कर रही जांच
कुंभ के दौरान कोरोना जांच घोटाले की जांच एसआइटी कर रही है। इसके अलावा सीडीओं के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम अलग से जांच कर रही है। दो दिन पहले ही कोरोना जांच कंपनी मैसर्स मैक्स कारपोरेट सर्विसेज नई दिल्ली व नलवा लेबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड हरियाणा व डा. लाल चंदानी लैब नई दिल्ली पर नामजद मुकदमा भी दर्ज किया गया है। मामले में सीएमओ डा. शंभू कुमार झा व मेलाधिकारी डा. अर्जुन सिंह सेंगर के बयान भी दर्ज कर चुकी है। साथ ही टेंटिंग कंपनी अधिकारियों को हरिद्वार तलब भी किया गया है। वहीं, कंपनियां गिरफ्तारी के विरोध में हाईकोर्ट नैनीताल पहुंच गई हैं। साथ ही कंपनियों की ओर से जांच में सहयोग की बात कही गई है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।