हाईकोर्ट से सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों को मिली राहत, अब मिलेगा तीन माह का वेतन
उत्तराखंड के अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालय को हाईकोर्ट से राहत मिल गई। हाईकोर्ट ने शासन के उस आदेश पर स्टे दे दिया, जिसके कारण सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों का करीब तीन माह से वेतन नहीं मिल पा रहा है। इन महाविद्यालयों की उत्तराखंड में संख्या 18 है। उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से फरवरी माह के शासनादेश का हवाला देकर इन महाविद्यालयों को राशि अवमुक्त नहीं की जा रही थी। ऐसे में एक हजार से अधिक शिक्षक और कर्मचारियों को आर्थिक समस्या से जूझना पड़ रहा था।
उत्तराखंड हाई कोर्ट नैनीताल में अशासकीय महाविद्यालय को लेकर पूर्व छात्र नेता रविंद्र जुगरान तथा डीएवी महाविद्यालय, देहरादून प्रबंधन की ओर से एडवोकेट शोभित सहारिया, बीएसएम कॉलेज. रुड़की तथा सती कुंड महिला महाविद्यालय, हरिद्वार एवं एडवोकेट अरुण शर्मा की संयुक्त याचिका पर में याचिका पर आज सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की संयुक्त बैंच में सुनवाई की गई।
इस दौरान बताया गया कि सरकार से उत्तराखंड के राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों को वर्तमान वित्तीय वर्ष (2021-22) में वित्त विभाग से स्वीकृत होकर उच्च शिक्षा विभाग तथा तत्पश्चात उच्च शिक्षा विभाग से उच्च शिक्षा निदेशालय, हल्द्वानी को 104 करोड रुपए की धनराशि वेतन मद में स्वीकृति का शासनादेश जारी हो चुके थे। साथ ही नौ जून को 52 करोड रुपए निर्गत होने की अनुमति के बाद भी अभी तक उच्च शिक्षा निदेशालय के स्तर से महाविद्यालयों को अनुदान प्राप्ति के लिए जिलेवार तथा महाविद्यालयवार वित्तीय अनुदान के आवंटन के आदेश अभी तक निर्गत नहीं किए गए हैं।
शिक्षकों के मुताबिक इस कारण शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के वेतन भुगतान में कोविड-19 महामारी की अवधि में लगभग साढ़े 3 महीने का विलंब हो गया है। इस संबंध में नौ जून के आदेश के बावजूद भी निदेशालय ने अधिकारिक रूप से मार्च, अप्रैल व मई माह के आशासकीय महाविद्यालयों के कार्मिकों के वेतन निर्गत करने के आदेश सार्वजनिक रूप से जारी नहीं किए हैं।
इस पर कोर्ट के पूछने पर सरकारी वकील ने 10 फरवरी के उच्च शिक्षा विभाग के शासनादेश का हवाला देते हुए मार्च माह से मई का वेतन देने में असमर्थता जाहिर की। शासनादेश में एक बिंदु में उच्च शिक्षा विभाग हल्द्वानी ने प्रदेश के अशासकीय महाविद्यालयों से अपेक्षा की है कि एक अप्रैल 2021 से सभी सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालय एचएनबी केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय से असंबद्ध होकर प्रादेशीय श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय से संबद्ध हो जाएंगे। तभी आगामी वेतन भुगतान होगा। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने उक्त शासनादेश पर स्थगित करते हुए वेतन निर्गत करने के आदेश दिए।
गौरतलब है कि संबद्धता के औचित्य और 10 फरवरी के शासनादेश को चुनौती देते हुए करीब छह वाद के माध्यम से हाईकोर्ट में चैलेंज किया गया है। इसी पर आज सुनवाई हुई। उक्त शासनादेश पर हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया। इससे अब शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
अशीसकीय महाविद्यालयों के शिक्षक संघों ने जताई खुशी
इस मामले में शिक्षक संघों ने अशासकीय महाविद्यालयों को वेतन निर्गत होने का रास्ता साफ होने पर खुशी जताई। साथ ही मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा सचिव से लंबित प्रमोशन प्रक्रिया पर भी लगी रोक को हटाने की मांग की। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. कौशल कुमार, गढ़वाल विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (ग्रूटा) के सचिव डॉ. डीके त्यागी, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तराखंड (राशैमउ) के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रशांत सिंह ने कहा कि उत्तराखंड हाई कोर्ट, नैनीताल की ओर से आज रविंद्र जुगरान तथा डीएवी महाविद्यालय, देहरादून प्रबंधन सहित बीएसएम कॉलेज. रुड़की तथा सती कुंड महिला महाविद्यालय, हरिद्वार एवं एडवोकेट अरुण शर्मा की संयुक्त याचिका पर जो अंतरिम आदेश दिया है, उससे शिक्षकों में खुशी की लहर है।
उन्होंने एक संयुक्त वक्तव्य में कहा कि शिक्षकों की दो महत्वपूर्ण मांगों में से एक, वेतन भुगतान का समाधान माननीय मुख्यमंत्री तथा उच्च शिक्षा विभाग के सहयोग से संपादित हो गया है, किंतु शिक्षकों के यूजीसी रेगुलेशन 2001, 2010 तथा 2018 के अंतर्गत पदोन्नतियों पर लगी रोक को हटाने से शिक्षकों की दूसरी प्रमुख समस्या का भी समाधान भी सरकार को जल्द करना चाहिए। उन्होंने हाईकोर्ट के आदेशों के क्रम में वेतन भुगतान के साथ शिक्षकों के पुराने तथा नए प्रमोशन प्रक्रिया पर लगी रोक भी हटाने की मांग दोहराई। उन्होंने इस मामले में डीएवी महाविद्यालय प्रबंधन तंत्र की ओर से जोरदार पैरवी करने पर एडवोकेट शोभित सहारिया का भी आभार व्यक्त किया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।