युवा कवयित्री किरन पुरोहित की कविता-हे ! बद्रीश प्रभु कृपा करो
हे ! बद्रीश प्रभु कृपा करो
हे देव-मनुजों के पति लक्ष्मीपति,
बद्रीवन के विशाल श्रीबद्रीश जी ,
सृष्टि पालनहार पीताम्बरधरा ,
दो खोल धर्म कपाट श्रीबद्रीश्वरा ।।
है आज विपदा की घड़ी, जग पर चली ।
तेरी कृपा से लाख अनहोनी टली ।।
प्रभु दीनबंधु दासी की विनती सुनो ।
सब सृष्टि में सुखदायी तुम कर दो पुनः ।।
हे देव —-
छत्रछाया में तुम्हारी हम खड़े,
मानव दुखी, श्रीनाथ के पग में पड़े ।
कांटे असंख्य पड़े हैं इस पथ में प्रभु,
भक्त है पुकारते रक्षा करो- रक्षा करो ।।
हे देव —-
रात दिन लाखों चिताएं जल रही,
भूदेवी हाहाकार मानो कर रही ।
अज्ञात शत्रु से सभी पीड़ित प्रभु,
तुम ही बनो शक्ति सदा रक्षा करो ।।
हे देव —
प्रभु भूख से बच्चे बिलखते हैं कहीं ,
तोड़ती चूड़ी सुहागिन हैं कई ।
अपने भारत की प्रभु रक्षा करो ,
तारो सभी को नाथ -पीड़ाएं हरो ।।
हे देव —
बद्रीश की कृपा से संभव है सभी।
सूर्य भारत का उचित होगा यहीं ।।
हिमपुत्री की श्रीनाथ से विनती यही ।
सब पर दया कर नाथ हे !मेरे हरि ।।
कवयित्री का परिचय
नाम – किरन पुरोहित “हिमपुत्री”
पिता -दीपेंद्र पुरोहित
माता -दीपा पुरोहित
जन्म – 21 अप्रैल 2003
अध्ययनरत – हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय श्रीनगर मे बीए प्रथम वर्ष की छात्रा।
निवास-कर्णप्रयाग चमोली उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
जै बद्रीबिशाल, सुंदर प्रार्थना????????