इस पार्क में डाइनासोर की विशाल मूर्ति दिला देती है काका की याद, जानिए इस कलाकार के बारे में
पिछले दिनों महान शिल्पकार उदय सिंह काका की पत्नी सविता जी का कोरोना ग्रसित होने से निधन हो गया। परिवार में कई लोगो को कोरोना हुआ। वे घर मे कोरोंटीन रहे, पर सविता जी का कैलाश अस्पताल मे निधन हो गया। उनके निधन की सूचना जैसे ही मिली मन व्यथित हो गया। पहले काका ने इस दुनियां को अलविदा कहा। अब कुछ साल बाद उनकी पत्नी भी इस दुनियां से चली गई। काका की पत्नी की मौत की सूचना ने मन को दुखी किया, साथ ही काका के योगदान की यादें ताजा हो गई। आइए यहां बताते हैं काका के बारे में।
अजबपुर में अजब गजब है डायनासोर
आप जैसे ही देहरादून के अजबपुर चौक पहुचते हैं तो एक पार्क मे डाइनासोर की विशाल मूर्ति दिख जायेगी। बहुत आकर्षक। जो भी यहां से गुजरता उसका ध्यान उसकी तरफ जाता ही है। पर क्या आपको पता है कि यह किसने बनाई है? हम बताते हैं। यह उदय सिंह काका भाई ने बनाई। वह पेड़ों की जड़ों से कृतियां भी बनाते थे। जो कि अद्भुत कृतियां हैं।
नगर निगम के पार्षद भी रहे काका
उदय सिंह काका का भी गतवर्षो पहले निधन हो गया था। वे नगरनिगम देहरादून के पार्षद भी रहे। वह देहरादून के अजबपुर में रहते थे। मेरी उनसे घनिष्टता 1978 में हुई। जब संघर्ष वाहिनी द्वारा आयोजित दूनमार्च में मैं और वह साथ थे। दोहरी शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ लखनऊ से देहरादून तक पैदल मार्च की गई थी। वह देहरादून मे साथ रहे।उ स समय मार्च मे हमारे साथ पत्रकार कंवर प्रसुन, संतोष भारतीय, रेखा, रंजना, रीता, अमर नाथ भाई, प्रताप शिखर, वेद उनियाल आदि थे।
मूर्ति कला में माहिर थे काका
सामाजिक सरोकारों के साथ काका एक वुडकार्विंग और मूर्ति कला के माहिर कलाकार रहे। उन्होने अजबपुर मे नंदी बैल, शेर और डायनासोर की मूर्तियां बना कर आश्चर्य मे डाल दिया था। उनके द्वारा बनाई एक मूर्ति जसवंत मोर्डन स्कूल मे भी लगी है। एक बार उनके साथ एक बरसाती नदी मे जाना हुआ और वहां उन्होंने पेड़ों की जड़ों को एकत्रित किया। जो बरसात मे बह कर आ गई थीं। उन्हे साइकिल पर लाद कर वे घर लाये।
कुछ सपताह बाद जब मैं उनके घर गया तो काका भाई ने जड़ों की विभिन्न आकृतियो को कृतियों मे बदल दिया था। उन्हे पेन्ट भी किया था। अभूतपूर्व कला। यह सब इनके घर पर ही थीं। वह विक्रय के लिये नही थीं। कई प्रदर्शनकारियों मे भी इन्हे लगाया था ।
लिखी है किताब
काका का जन्म 26 दिसम्बर 1947मे और निधन 4अगस्त 2011 को हूआ ।
उनके निधन के बाद मैंने भाई उदय सिंह पर एक किताब लिखी थी-“कहां हो काका भाई “।
कलाकृतियां
वुडकार्विंग की कृतियों मे जो उन्होंने बनाई उनमे हं-स्वतंत्रता की मशाल, हिरन को निवाला बनाता अजगर, उडीसा का चक्रवात आदि। लगता है कि कलाकृति बेहद जीवंत हैं। वे जड़ों मे आकृतियों को देख लेते थे और फिर उन्हे अपने सधे हाथों से आकार दे देते थे। उनके निजी संग्रह मे बहुत सारी कृतियां हैं। वे चित्रकला के भी माहिर थे । सामाजिक कार्यों मे वे सबसे आगे रहते और वे नागरिक सुरक्षा संगठन मे भी रहे । वे अपनी कला के रूप में आज भी जीवित हैं।
लेखक का परिचय
नाम- डॉ. अतुल शर्मा
डॉ. अतुल शर्मा देहरादून निवासी हैं। उनकी कविताएं, कहानियां व लेख देश भर की पत्र पत्रिकाओ मे प्रकाशित हो चुके हैं। उनके लिखे जनगीत उत्तराखंड आंदोलन में हर किसी की जुबां पर रहे। वह जन सरोकारों से जुड़े साहित्य लिख रहे हैं। उनकी अब तक तीस से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।