रायवाला में गंगा घाटों का संरक्षण एवं संवर्धन करे उत्तराखंड सरकार: स्वामी रसिक महाराज
नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि कुंभ मेला सनातन संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व है। इसमें करोड़ों श्रद्धालु गंगा का आशीर्वाद लेकर अपने जीवन को भवसागर से पार लगाते हैं। कुंभ मेले की व्यवस्थाएं ऐसी होनी चाहिए, जिससे बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं का मन मोह लेने के साथ-साथ विदेशों में भी भारतीय परंपरा एवं संस्कृति का एक दिव्य व भव्य संदेश जाए। उन्होंने महाकुंभ में अब तक पहुंचे सभी संत-महात्माओं एवं श्रदालुओं का शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए आभार व्यक्त किया।
देहरादून के रायवाला स्थित नृसिंह वाटिका आश्रम में तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़ा के संतों की बैठक में आचार्य स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि रायवाला, भूपतवाला एवं सप्त सरोवर क्षेत्र संत बाहुल्य क्षेत्र है। इसमें कुंभ मेले के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के साथ-साथ संत महापुरुष रहने आते हैं। शासन प्रशासन को चाहिए कि क्षेत्र में बिजली, पानी और शौचालय की व्यवस्था उपलब्ध कराने के साथ-साथ सड़कों का निर्माण कराए।
इस मौके पर श्रीमहंत प्रकाशानन्द सरस्वती ने कहा कि अखाड़े के संत महापुरुषों से कुंभ मेले की पहचान है। बाहर से आने वाले नागा साधु कुंभ मेले का मुख्य आकर्षण केंद्र होते हैं। प्रशासन को संपूर्ण कुंभ मेला क्षेत्र की व्यवस्थाओं को सुचारु रूप से उपलब्ध कराना चाहिए। रायवाला क्षेत्र के सभी गंगा घाटों का सौंदर्यीकरण किया जाए। इस दौरान महन्त देवेश्वरी गिरी, महंत कृष्णा गिरी, महंत शंकरानंद सरस्वती, महंत गोवर्धन पुरी, स्वामी गौरांग गिरि, महंत सागर गिरि, स्वामी रविन्द्र पुरी, स्वामी सत्यानंद गिरि, स्वामी नीलकंठ गिरि, ब्रह्मचारी विजय स्वरूप आदि मौजूद रहे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।